गृह मंत्रालय
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देश में साइबर अपराधों को नियंत्रित करने की रणनीति

Posted On: 23 JUL 2025 1:41PM by PIB Delhi

संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, 'पुलिस' और 'सार्वजनिक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के माध्यम से साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों की रोकथाम, उनका पता लगाने, जाँच और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। केन्‍द्र सरकार, राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की पहलों को उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की क्षमता निर्माण हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत परामर्श और वित्तीय सहायता प्रदान करके सहायता प्रदान करती है।

साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के तंत्र को मजबूत करने के लिए, केन्‍द्र सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  1. गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्‍द्र’ (I4सी) की स्थापना की है।
  2. I4सी के एक भाग के रूप में, 'राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल' (NCRP) (https://cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है ताकि आम जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर। इस पोर्टल पर दर्ज साइबर अपराध की घटनाओं, उनकी एफआईआर में रूपांतरण और उसके बाद की कार्रवाई, कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की जाती है।
  1. वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल सूचना देने और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी रोकने के लिए, I4सी के अंतर्गत वर्ष 2021 में ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन प्रणाली’ (सीएफसीएफआरएमएस) शुरू की गई है। I4सी द्वारा संचालित सीएफसीएफआरएमएस के अनुसार, अब तक 17.82 लाख से अधिक शिकायतों से 5,489 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज कराने में सहायता के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ शुरू की गई है।
  2. I4सी में एक अत्याधुनिक साइबर धोखाधड़ी शमन केन्‍द्र (सीएफएमसी) स्थापित किया गया है, जहाँ प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि साइबर अपराध से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
  1. पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार अब तक 9.42 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2,63,348 आईएमईआई ब्लॉक कर चुकी है।
  2. गृह मंत्रालय ने 'महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी)' योजना के अंतर्गत राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, कनिष्ठ साइबर सलाहकारों की नियुक्ति और एलईए कर्मियों, लोक अभियोजकों एवं न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसे क्षमता निर्माण कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। 33 राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं और 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जाँच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
  3. गृह मंत्रालय का I4सी नियमित रूप से ‘राज्य कनेक्ट’, ‘थाना कनेक्ट’ और सहकर्मी शिक्षण सत्र का आयोजन कर रहा है ताकि सर्वोत्तम कार्य प्रणालियां साझा की जा सके, क्षमता निर्माण को बढ़ाया जा सके, आदि। 
  4. I4सी के एक भाग के रूप में, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र पुलिस के जाँच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए, नई दिल्ली में अत्याधुनिक 'राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)' की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित लगभग 12,460 मामलों में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के एलईए को अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं।
  5. साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए I4सी के तहत बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, जिसका नाम 'साइट्रेन' पोर्टल है, विकसित किया गया है। राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 1,05,796 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और पोर्टल के माध्यम से 82,704 से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
  6. समन्वय प्लेटफ़ॉर्म को प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्लेटफ़ॉर्म, डेटा संग्रह और साइबर अपराध डेटा साझाकरण एवं विश्लेषण हेतु एलईए के समन्वय प्लेटफ़ॉर्म के रूप में कार्य करने के लिए चालू किया गया है। यह विभिन्न राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराध की शिकायतों में शामिल अपराधों और अपराधियों के अंतरराज्यीय संपर्कों पर आधारित विश्लेषण प्रदान करता है। 'प्रतिबिंब' मॉड्यूल क्षेत्राधिकारियों को दृश्यता प्रदान करने के लिए अपराधियों और अपराध के बुनियादी ढाँचे के स्थानों को मानचित्र पर प्रदर्शित करता है। यह मॉड्यूल I4सी और अन्य लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) से कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा तकनीकी-कानूनी सहायता प्राप्त करने और प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान करता है। इसके परिणामस्वरूप 10,599 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है, 26,096 संपर्क स्थापित हुए हैं और 63,019 साइबर जाँच सहायता अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
  7. आईटी कानून, 2000 की धारा 79 की उप-धारा (3) के खंड (ख) के अंतर्गत उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा आईटी मध्यस्थों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिए 'सहयोग' पोर्टल शुरू किया गया है ताकि किसी भी गैरकानूनी कार्य को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल की जा रही किसी भी जानकारी, डेटा या संचार लिंक को हटाया जा सके या उस तक पहुँच को अक्षम किया जा सके। अब तक, 9 केन्‍द्रीय और 34 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अधिकृत एजेंसियों, 72 आईटी मध्यस्थों और 35 वर्चुअल एसेट सेवा प्रदाताओं (वीएएसपी) को सहयोग पोर्टल पर शामिल किया जा चुका है।

गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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एमजी/केसी/केपी


(Release ID: 2147339)
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