वित्त मंत्रालय
'एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक' नीति के अंतर्गत सामर्थ्य बढ़ाने और वित्तीय सुदृढ़ीकरण के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय के सरकार के अभियान से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 से घटकर 28 हुई
विलय से सेवाओं में सुधार, खर्चों में कमी और प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि; विलय किए गए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विकास और कार्यक्षमता में वृद्धि तथा घाटे में कमी: आरबीआई रिपोर्ट
नाबार्ड के अध्ययन से पता चलता है कि विलय के बाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लाभ और वित्तीय क्षमता में सुधार हुआ है।
Posted On:
21 JUL 2025 6:38PM by PIB Delhi
भारत सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की परिचालन क्षमता में सुधार लाने और बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाने के लिए वित्त वर्ष 2005-06 में इनके संरचनात्मक विलय की पहल की। विलय के पहले चरण (2005-2010) में हर राज्य के अंदर एक ही प्रायोजक बैंक के आरआरबी को मिलाकर उनकी संख्या 196 से घटाकर 82 कर दी गई थी। विलय के दूसरे चरण (2012-14) में राज्यों में प्रायोजक बैंकों के अंतर्गत भौगोलिक रूप से निकटस्थ संचालन क्षेत्रों वाले आरआरबी को आपस में जोड़कर उनकी संख्या 82 से घटाकर 56 कर दी गई थी। इस प्रक्रिया का तीसरा चरण वर्ष 2019 में शुरू किया गया था। इसके अंतर्गत कमज़ोर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का मज़बूत बैंकों के साथ विलय किया गया। तीसरे चरण के विलय के परिणामस्वरूप मार्च 2021 के अंत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 56 से घटकर 43 हो गई।
नाबार्ड की ओर से 2021 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय के कारण उनके वित्तीय प्रदर्शन पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में एक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि विगत वर्षों में हुई विलय प्रक्रिया के परिणामस्वरूप क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विकास, उनकी कार्यक्षमता और वित्तीय प्रदर्शन में सुधार हुआ है। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने अपने प्रकाशन 'भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट (2020-2021)' में इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं।
इस अध्ययन से पता चला है कि विलय के विभिन्न चरणों के दौरान, लाभदायक और स्थायी रूप से सक्षम क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की हिस्सेदारी में लगातार सुधार हुआ और कुल परिसंपत्तियों के प्रतिशत के रूप में संचित घाटे में भी कमी आई। विलय के बाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लाभ में सुधार हुआ तथा उनकी ओर से कमज़ोर बैंकों में पूंजी निवेश ने उनके ऋण एवं परिसंपत्तियों की स्थिति में बेहतरी के अनुपात और पूंजी-भंडार के अनुपात को मजबूत किया।
सरकार ने 'एक राज्य-एक आरआरबी' के सिद्धांत के आधार पर चलते हुए चौथे चरण में आरआरबी के और अधिक विलय की प्रक्रिया जारी रखी है ताकि उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो और युक्तिसंगत खर्च के अनुरूप लाभ प्राप्त किए जा सकें। इसके अंतर्गत भारत सरकार की दिनांक 05.04.2025 की अधिसूचना के अनुसार, 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में आरआरबी की संख्या 01.05.2025 से 43 से घटाकर 28 कर दी गई है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय के परिणामस्वरूप एक राज्य स्तरीय आरआरबी का गठन हुआ है जिसका संचालन क्षेत्र निकट है, इसके कारण उसका प्रबंधन सरल हुआ है और सेवा प्रदान करने में आसानी हुई है। आरआरबी ने अपने पूंजीगत आधार में वृद्धि की है, जिससे विलय की गई इकाई की वित्तीय स्थिरता और सामर्थ्य में वृद्धि हुई है। विलय के माध्यम से इन बैंकों के परिचालन को आपस में जोड़कर और अलग-अलग प्रशासनिक संरचनाओं के कारण कार्यों की अधिकता को समाप्त किये जाने से खर्चों में बचत होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त विलय किए गए आरआरबी उन्नत प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों में निवेश कर सकते हैं और उनका लाभ उठा सकते हैं, जिससे परिचालन क्षमता और ग्राहक सेवा में सुधार होगा।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय 'एक राज्य-एक आरआरबी' के सिद्धांत के अनुसार 30.04.2025 तक हुई लेखा परीक्षा के वित्तीय विवरणों के आधार पर किया गया है और विलय की प्रभावी तिथि 01.05.2025 है। सरकार ने विलय कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समिति (एसएलएमसी) और राष्ट्रीय स्तरीय परियोजना निगरानी इकाई (एनएलपीएमयू) का गठन किया है।
नाबार्ड ने इसके लिए राष्ट्रीय स्तर की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसमें विस्तृत दिशानिर्देश शामिल हैं। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ, प्रत्येक एंकर/स्थानांतरित आरआरबी में विलय परियोजना प्रबंधन इकाई (एपीएमयू), संचालन समिति और कार्यात्मक समितियों की स्थापना करने की सलाह दी गई है ताकि समन्वित नीतियों और परिचालन दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया जा सके और एकीकरण योजना को प्रतिदिन के आधार पर चलाया जा सके।
भारत सरकार की विलय संबंधी अधिसूचना में अन्य बातों के साथ-साथ आरआरबी के वर्तमान कर्मचारियों के पारिश्रमिक और सेवा शर्तों की सुरक्षा का भी प्रावधान है। नाबार्ड की ओर से जारी राष्ट्रीय स्तर की एसओपी के आधार पर अधिकारियों और कर्मचारियों की पारस्परिक वरिष्ठता निर्धारित होती है। एनएलपीएमयू ने ग्रामीण ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए सभी आरआरबी को विभिन्न संचार माध्यमों (इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया, ग्राहकों को एसएमएस, शाखा स्तर पर ग्राहक जागरूकता बैठकें आदि) के माध्यम से विलय के संबंध में जानकारी का पर्याप्त प्रचार करने की सलाह दी है। इसके अतिरिक्त, आरआरबी को ग्राहकों की शिकायतों के समाधान के लिए कॉल सेंटर स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है। नाबार्ड की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सभी शाखाएं नई संस्थाओं के अंतर्गत कार्य करना जारी रखे हुए हैं, जिससे बैंकिंग सेवाओं तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित हो रही है। ग्राहक खातों, जमा राशि और ऋणों का स्थानांतरण बिना किसी बड़ी बाधा के किया जा रहा है।
यह जानकारी केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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(Release ID: 2146705)