विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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ध्वनि ने भारतीय वैज्ञानिकों को चौंकाया

Posted On: 14 JUL 2025 3:44PM by PIB Delhi

महत्वपूर्ण अनुसंधान से इस बात का पता चला है कि क्वांटम ध्वनि, जिसे अब तक व्यवधान माना जाता था, क्योंकि यह नाजुक क्वांटम प्रणालियों के साथ खिलवाड़ करता है। हमारी सोच के अनुसार हमेशा यह नुकसान पहुंचाने वाला नहीं हो सकता, यह कभी-कभी लाभ भी पहुंचा सकता है।

इस खोज के केंद्र में क्वांटम का उलझाव है। यह एक अजीबोगरीब घटना है, जिसे आइंस्टीन ने एक बार "दूरस्थ डरावनी क्रिया" कहा था। यह एक रहस्यमय कड़ी है, जो अंतरिक्ष में कणों को बांधती है और क्वांटम भौतिकी के केंद्र में स्थित है। परंपरागत रूप से, क्वांटम ध्वनि को उलझी हुई प्रणालियों का दुश्मन माना जाता है, जिसके कारण वे अपनी उलझाव खो देते हैं, इस घटना को 'डिकोहेरेंस' कहा जाता है

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) के अनुसंधानकर्ताओं और सहयोगियों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि क्वांटम उलझाव का एक कम ज्ञात रूप, अंतःकणीय उलझाव (जिसमें एक ही कण के भीतर लिंक शामिल होते हैं ), न केवल ध्वनि के सामने अधिक मजबूत होता है, बल्कि ध्वनि से भी उभर सकता है।

चित्र 1: अंतर-कणीय उलझाव बनाम अंत:कणीय उलझाव

ध्वनि  के प्रभाव में यह उलझाव किस प्रकार बदलता है, इसका पता लगाने के लिए एक सटीक गणितीय सूत्र का इस्तेमाल करते हुए, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान, आरआरआई के अनुसंधानकर्ताओं ने भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान - कोलकाता और कैलगरी विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर यह पता लगाया कि ध्वनि, विशेष रूप से एम्पलीट्यूड डेम्पिंग, न केवल उलझाव को मिटाता है, बल्कि कुछ निश्चित परिस्थितियों में इसे पुनर्जीवित भी करता है।

इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि यह अंतःकणीय प्रणालियों में प्रारंभिक रूप से असम्बद्ध अवस्था में भी उलझाव उत्पन्न कर सकता है। दूसरे शब्दों में, सही परिस्थितियों में, ध्वनि  न केवल क्वांटम सहसंबंधों को नष्ट करता है, बल्कि उन्हें बनाने में भी मदद कर सकता है।

चित्र 2: अंतःकणीय उलझाव में, एम्पलीट्यूड डेम्पिंग चैनल से उत्पन्न ध्वनि  न केवल उलझाव उत्पन्न कर सकता है, बल्कि उसे पुनर्जीवित भी कर सकता है।

जब यही विश्लेषण दो अलग-अलग कणों से जुड़े अंतर-कणीय उलझाव पर लागू किया गया, तो परिणाम काफी अलग थे। उलझाव केवल क्षयित हुआ, पुनर्जीवन या स्वतः निर्माण के कोई संकेत नहीं मिले। इससे पता चलता है कि अंतःकणीय उलझाव पर्यावरणीय ध्वनि  के तहत अधिक मजबूत और लचीला होता है, जबकि पुनर्जीवन और निर्माण की घटनाएं विशेष रूप से एम्पलीट्यूड डेम्पिंग स्थितियों में देखी गईं। अध्ययन किए गए सभी तीन ध्वनि चैनलों में अंतर-कणीय उलझाव की तुलना में अंतःकणीय उलझाव का धीमा क्षय एक समान था।

शोधपत्र के प्रमुख लेखक और आरआरआई में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो अनिमेष सिन्हा रॉय ने कहा, ‘‘इस व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए, हम एक एम्पलीट्यूड डेम्पिंग चैनल के अधीन एक  अंतःकणीय उलझी हुई अवस्था की सहमति (उलझन का एक प्रमुख माप) के लिए एक सटीक विश्लेषणात्मक व्यंजक प्राप्त करते हैं, जो एक सुंदर ज्यामितीय निरूपण भी प्रदान करता है।"  इस सूत्र से यह अनुमान लगाना संभव हो जाता है कि इनपुट अवस्था और ध्वनि की तीव्रता के आधार पर उलझाव किस प्रकार व्यवहार करेगा।

अंतराणु उलझाव की ध्वनि  के तहत जीवित रहने और यहां तक कि पुनर्जीवित होने की क्षमता इंगित करती है कि यह अधिक कुशल और स्थिर क्वांटम प्रणालियों के निर्माण के लिए एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है, जिसके क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ हो सकते हैं। आरआरआई में क्वांटम सूचना और कंप्यूटिंग  प्रयोगशाला के प्रमुख प्रोफेसर उर्बसी सिन्हा ने कहा, "हमारा अध्ययन अंतराणु उलझाव में विसंबद्धता के लिए सामान्य रूपरेखा तैयार करता है। अगले कदम के रूप में, इसे और अधिक यथार्थवादी बनाने के लिए इसे विशिष्ट भौतिक प्रणालियों की ओर विस्तारित किया जाना चाहिए। हम स्वयं क्वांटम संचार और कंप्यूटिंग जैसे कुछ क्वांटम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में एकल फोटॉन और अंतराणु उलझाव का उपयोग करके एक प्रयोग पर काम कर रहे हैं।" इसके अतिरिक्त, चूंकि परिणाम किसी विशेष भौतिक सेटअप पर निर्भर नहीं हैं, इसलिए वे फोटॉन, न्यूट्रॉन और फंसे हुए आयनों जैसे कई प्लेटफार्मों पर स्थिर होंगे।

उल्लेखनीय रूप से, फ्रंटियर्स इन क्वांटम साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन, ग्लोबल नॉइज मॉडल का उपयोग करता है, जो कण को एक पूरे के रूप में मानता है, जबकि पिछले अधिकांश मॉडल सिस्टम के प्रत्येक भाग को अलग-अलग मानते थे। यह एक अधिक भौतिक रूप से यथार्थवादी परिदृश्य प्रस्तुत करता है, क्योंकि एक कण के आंतरिक गुण आमतौर पर एक ही वातावरण के साथ परस्पर क्रिया करते हैं।

व्यावहारिक और लचीले क्वांटम संसाधनों के विकास के लिए यह जानना आवश्यक है कि वास्तविक ध्वनि की स्थितियों में उलझाव किस प्रकार व्यवहार करता है।

टीम ने इन अंतःकणीय प्रणालियों पर क्वांटम ध्वनि  के तीन सामान्य प्रकारों: एम्पलीट्यूड डेम्पिंग, फेज डेम्पिंग और विध्रुवीकरण (डिपोलराइजिंग) ध्वनि के प्रभाव का अध्ययन किया। इनमें से प्रत्येक एक अलग प्रकार के पर्यावरणीय विक्षोभ का अनुकरण करता है। उदाहरण के लिए एम्पलीट्यूड डेम्पिंग, प्रणाली में ऊर्जा हानि को दर्शाता है, ठीक उसी तरह जैसे एक उत्तेजित क्वांटम अवस्था मूल अवस्था में शिथिल हो जाती है। फेज डेम्पिंग, क्वांटम व्यतिकरण के लिए महत्वपूर्ण नाजुक फेज संबंधों को बाधित करता है, जबकि विध्रुवीकरण ध्वनि, क्वांटम अवस्था को सभी दिशाओं में अनियमित रूप से परिवर्तित करता है।

बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता के क्वांटम उलझाव के क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर दीपांकर होम ने इस काम को "वास्तव में एक सफलता" कहा कि यह उलझाव के एक नए रूप का उपयोग करके ध्वनि /डेम्पिंग के विभिन्न मॉडलों की उपस्थिति में उपयोगकर्ता के अनुकूल, व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य अत्याधुनिक क्वांटम तकनीकी इस्तेमाल के लिए अज्ञात रास्ते खोलने का वादा करता है, अर्थात एकल कण के विभिन्न गुणों के बीच उलझाव, जिसे इंट्रापार्टिकल उलझाव कहा जाता है।

इंडिया-ट्रेंटो प्रोग्राम ऑन एडवांस्ड रिसर्च के अंतर्गत संचालित और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन द्वारा आंशिक रूप से समर्थित यह अध्ययन लंबे समय से चली आ रही धारणा को चुनौती देता है कि ध्वनि अनिवार्य रूप से उलझाव का दुश्मन है। यह बताता है कि कुछ शर्तों के अंतर्गत ध्वनि एक असामान्य दोस्त हो सकता है। यह अग्रणी अनुसंधान और नवाचार प्रौद्योगिकी के लिए नए रास्ते खोलता है, जिसका अर्थ है कि क्वांटम दुनिया अभी भी छुपे हुए आश्चर्यों से भरी हुई है तथा इसके कई रहस्य अभी भी उजागर होने की प्रतीक्षा में हैं।

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एमजी/केसी/ केएल/एसके


(Release ID: 2144618)
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