स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
प्रधानमंत्री ने 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर राष्ट्र को संबोधित किया
11 सालों में, योग दुनिया भर में लाखों लोगों की जीवनशैली का अभिन्न अंग बन गया है: प्रधानमंत्री
“योग, सीमाओं से परे, पृष्ठभूमि से परे, उम्र या क्षमताओं से परे, सभी के लिए है”
“योग एक गहन व्यक्तिगत अनुशासनात्मक मूल्य है, जो एक ही समय में एक सामूहिक प्रणाली के रूप में कार्य करता है और जो लोगों को मैं से हम में परिवर्तित करता है”
“भारत “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का मूल्य सिखाता है - सभी की खुशी और कल्याण एक पवित्र जिम्मेदारी है”
“योग को दुनिया को संघर्ष से सहयोग और तनाव से समाधान की ओर ले जाना चाहिए”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित सामूहिक योग प्रदर्शन के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया
वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री ने हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे 170 से अधिक देशों ने समर्थन दिया: श्री जे.पी. नड्डा
“2015 से, योग को स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के रूप में वैश्विक स्वीकृति मिली है”
“योग न केवल लोगों के स्वास्थ्य और फिटनेस में सुधार करता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक गतिविधियों को भी बढ़ाता है, जिससे अधिक संतुलित और पूर्ण जीवन जीने में मदद मिलती है”
Posted On:
21 JUN 2025 9:55AM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत और दुनिया भर के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने आज आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया और एक कार्यक्रम के दौरान योग सत्र में भाग लिया। उन्होंने कहा, "11 सालों में, योग दुनिया भर में लाखों लोगों की जीवनशैली का अभिन्न अंग बन गया है।"


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दृष्टि के लिहाज़ से दिव्यांगजनों को भी ब्रेल लिपि में योग संबंधी शास्त्र पढ़ते देखकर गहरी संतुष्टि जताई और वैज्ञानिकों की सराहना की, जो अंतरिक्ष में भी योग का अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने योग ओलंपियाड में ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं की सक्रिय भागीदारी पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि सिडनी ओपेरा हाउस जैसे प्रतिष्ठित स्थलों से लेकर माउंट एवरेस्ट की चोटी और समुद्र के विशाल अंचल तक, एक ही संदेश है: “योग सभी के लिए है, सीमाओं से परे, पृष्ठभूमि से परे, उम्र या क्षमता से परे।”

उन्होंने कहा कि योगांध्र अभियान में दो करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए हैं, जिसे उन्होंने जन सहभागिता का जीवंत प्रदर्शन बताया। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा कि नागरिकों की इस तरह की उत्साहजनक भागीदारी ही विकसित भारत की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि जब लोग पहल करते हैं और किसी मकसद की जिम्मेदारी लेते हैं, तो कोई भी लक्ष्य हासिल करना संभव हो जाता है।
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक मौलिक सत्य को ज़ाहिर करता है- पृथ्वी पर मौजूद हर जीव का कल्याण आपस में जुड़ा हुआ है। उन्होंने विस्तार से समझाया कि मानव स्वास्थ्य मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की शुद्धता, पशुओं के कल्याण और पौधों से मिलने वाले पोषण से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि योग हमें इस गहरे संबंध के प्रति जागरूक करने में मदद करता है और हमें दुनिया के साथ एकता की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि, “योग हमें सिखाता है कि हम अलग-अलग व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि प्रकृति के ही अभिन्न अंग हैं। शुरुआत में, हम अपने स्वास्थ्य और कल्याण की देखभाल करना सीखते हैं, लेकिन धीरे-धीरे, यही भावना हमारे पर्यावरण, समाज और पूरे ग्रह में समाहित हो जाती है। योग एक गहन व्यक्तिगत अनुशासन है, जो एक ही समय में एक सामूहिक प्रणाली के रूप में भी कार्य करता है - जो लोगों को मैं से हम में परिवर्तित करता है”।
उन्होंने आगे कहा कि, "मैं से हम तक की भावना, भारत की आत्मा को समेटे हुए है"। उन्होंने भारतीय मूल्यों पर भी विचार किया, जो लोगों को व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठने और सभी के कल्याण को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सांस्कृतिक लोकाचार का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत "सर्वे भवन्तु सुखिनः" का मूल्य सिखाता है - सभी की खुशी और भलाई एक पवित्र जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह दर्शन सेवा, निस्वार्थता और सद्भाव की नींव रखता है।
प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में बढ़ते तनाव, अस्थिरता और संघर्ष के बारे में चिंता जताई। उन्होंने योग को एक समाधान के रूप में दर्शाते हुए कहा कि "योग मानवता के लिए बेहद आवश्यक विराम का बटन है, जो सांस लेने के लिए, संतुलन बनाने के लिए, औऱ फिर से संपूर्ण बनने के लिए ज़रुरी है"। उन्होंने वैश्विक समुदाय से हार्दिक अपील करते हुए कहा कि "यह योग दिवस मानवता के लिए योग 2.0 की शुरुआत का प्रतीक है, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाती है।" उन्होंने योग को महज़ एक व्यक्तिगत दिनचर्या से अधिक बनाने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इसे वैश्विक साझेदारी के लिए उत्प्रेरक बनना चाहिए। श्री मोदी ने सभी देशों और समाजों से दैनिक जीवन और सार्वजनिक नीति में योग को शामिल करने का आह्वान किया, और एक अधिक शांतिपूर्ण, संतुलित और टिकाऊ ग्रह बनाने के लिए एकजुट प्रयास के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि "योग को दुनिया को संघर्ष से सहयोग और तनाव से समाधान की ओर ले जाना चाहिए।"
मोटापे की वैश्विक चुनौती के बारे में जागरूकता बढ़ाते हुए, प्रधानमंत्री ने अपने पिछले मन की बात संबोधन को फिर से दोहराया, जिसमें उन्होंने प्रतिदिन तेल के प्रयोग को 10 प्रतिशत तक कम करने के लिए एक अभियान शुरू किया था। उन्होंने भारत और दुनिया भर के लोगों से इस पहल में भाग लेने की अपनी अपील को दोहराया। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए तेल का सेवन कम करना, हानिकारक आहार से जुड़ी आदतों से बचना और योग को दैनिक जीवन में शामिल करना ज़रुरी है।


अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने सभी से योग को जन आंदोलन बनाने की अपील की। उन्होंने योग की शक्ति से प्रेरित शांति, स्वास्थ्य और सद्भाव की वैश्विक लहर की कल्पना की। उन्होंने लोगों को व्यक्तिगत संतुलन के लिए रोज़ाना योग से शुरू करने की अपील की और समाज को सामूहिक तनाव को कम करने के लिए योग को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। एक उम्मीदों से भरे वक्तव्य पर अपने संबोधन को खत्म करते हुए उन्होंने कहा, "योग को मानवता को एक साथ जोड़ने वाले धागे के रूप में काम करना चाहिए, एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग एक वैश्विक संकल्प बनना चाहिए।"
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर सैकड़ों प्रतिभागियों के साथ सामूहिक योग प्रदर्शन का नेतृत्व करके 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लिया।
इस मौके पर श्री नड्डा ने कहा कि, "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के कारण ही आज योग दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है। 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान माननीय प्रधानमंत्री ने हर साल 21 जून को योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका 170 से अधिक देशों ने समर्थन किया था।"

श्री नड्डा ने कहा कि, "वर्ष 2015 से योग को स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के रूप में वैश्विक स्वीकृति मिली है। योग न केवल लोगों के स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती में सुधार करता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक गतिविधियों को भी बढ़ाता है, जिससे अधिक संतुलित और पूर्ण जीवन जीने में मदद मिलती है।"
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारत भर के लाखों स्थानों से करोड़ों प्रतिभागी योग करेंगे। उन्होंने कहा, "यह गर्व का क्षण है कि हम सभी इस प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली का जश्न मनाने, इस प्रक्रिया में अपने शरीर और मन को बेहतर बनाने और योग के उपहार के ज़रिए खुद को बेहतर ढंग से समझने के लिए यहां एकत्र हुए हैं।"


श्री नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक समग्र और सुलभ दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए योग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत शामिल किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए योग और आधुनिक दवाओं जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को शामिल करते हुए, एकीकृत समाधान प्रदान करने हेतु एम्स दिल्ली में एक नया एकीकृत चिकित्सा और अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है।
उन्होंने सभी प्रतिभागियों को योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने और एक स्वस्थ राष्ट्र की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए अपने संबोधन का समापन किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि “योग भारत की आत्मा से निकलने वाली सार्वभौमिक चेतना का उत्सव है और इसने न केवल लाखों लोगों के जीवन को छुआ है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य और सामूहिक शांति के लिए एक स्थायी मार्ग को भी प्रशस्त किया है”।
उन्होंने यह भी कहा कि, “पिछले दस सालों में, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने योग को न केवल एक ‘व्यायाम’ या ‘वैकल्पिक चिकित्सा’ के रूप में, बल्कि जीवन जीने के एक तरीके के रूप में स्थापित किया है। यह योग की आध्यात्मिक गहराई, वैज्ञानिक प्रामाणिकता और सामाजिक सद्भाव को मिलाकर आगे बढ़ने का युग है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा कि “योग भारतीय संस्कृति का अमूल्य उपहार है, जिसने पूरी दुनिया को स्वस्थ जीवन जीने की एक नई दिशा दी है”। उन्होंने कहा कि “यह एक ऐसा अद्भुत विज्ञान है जो शरीर, मन और आत्मा को जोड़ता है”।
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