आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
विश्व पर्यावरण दिवस पर प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के अभियान ने पकड़ी रफ्तार
प्लास्टिक बाहर, कपड़ा अंदर: 3 लाख से अधिक कपड़े के थैले वितरित करने के लिए शहरों में लगभग 2,400 कियोस्क स्थापित किए गए
Posted On:
05 JUN 2025 8:55PM by PIB Delhi
हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (डब्ल्यूईडी) आम लोगों, समाज और देशों को पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता में एकजुट करता है। इस वर्ष 'वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने' की अवधारणा, पृथ्वी पर सबसे गंभीर संकटों में से एक प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने का मजबूत आह्वान करती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (एसबीएम-यू 2.0) के दृष्टिकोण के अनुरूप, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय प्रभावशाली उपक्रमों की एक शृंखला (1 से 5 जून 2025) के माध्यम से इस वैश्विक आंदोलन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य जागरूकता फैलाना, कार्रवाई करना और दीर्घकालिक व्यवहार में परिवर्तन लाना है।

प्लास्टिक कचरा खास तौर पर एकल उपयोग वाला प्लास्टिक, पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। भारत के शहरी क्षेत्र में जहां प्लास्टिक सूखे कचरे का 46% हिस्सा बनाता है, तेजी से बढ़ते शहरीकरण ने समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। भारत ने इस पर सख्त नियम लागू किए हैं। वर्ष 1999 से पतली प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। साथ ही जुलाई 2022 से प्रमुख एकल-उपयोग वाली वस्तुओं पर भी बैन लगा दिया गया। एसबीएम-यू और इसका 2.0 चरण कटौती, पृथक्करण और पर्यावरण अनुकूल विकल्पों के माध्यम से टिकाऊ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर देता है।

स्वच्छ भारत मिशन ने शहरी भारत को बदलने में लोगों की सामूहिक भागीदारी की शक्ति को दर्शाया है। अब यह स्थिरता और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए व्यापक प्रयास को बढ़ावा दे रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (1-5 जून) के तहत एसबीएम-यू ने निम्नलिखित पहल शुरू की हैं: i) प्लास्टिक बाहर, कपड़ा अंदर - अधिक यातायात वाले क्षेत्रों में कपड़े के थैले बेचने वाली मशीनें, (ii) आरआरआर केंद्रों पर प्लास्टिक संग्रह अभियान और (iii) स्वच्छ भारत हरित भारत हरित संकल्प।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर पूरे भारत के शहरों ने स्थिरता और प्लास्टिक मुक्त जीवन को बढ़ावा देने के लिए प्रभावशाली पहल शुरू की। मीरा भयंदर में “थैला बैंक” आरआरआर केंद्रों से पुराने कपड़ों को स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा सिले गए पुन: प्रयोज्य कपड़े के थैलों में बदल रहा है। पिंपरी चिंचवाड़ में आम लोगों और नगर निगम ने मिलकर एकल-उपयोग प्लास्टिक मुक्त भविष्य को बढ़ावा देने के लिए पूरे शहर में साइकिल रैलियां निकालीं, जिसका समापन हरित संकल्प के साथ हुआ।




छत्तीसगढ़ में गुरूर शिव शक्ति स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने बस स्टैंड बाजार में दीदी झोला बैंक की स्थापना की, जिसमें बढ़िया पर्यावरण अनुकूल कपड़े के थैले उपलब्ध कराए गए। लखनऊ में गोमती नदी की सफाई के लिए एक बड़े अभियान के तहत 10,000 से अधिक स्वयंसेवकों को शामिल किया गया जबकि इंदौर में रमाबाई बस्ती में ‘आरआरआर स्लम हाट’ ने जरूरतमंदों को आरआरआर केंद्रों से उपयोगी वस्तुएं वितरित कीं। साथ ही दुकानदारों को प्लास्टिक के विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

एनडीएमसी ने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के उपलक्ष्य में एक भव्य री-साइकिल मेले का आयोजन किया। इसमें ई-कार्ट, वेट-क्लीनिंग ट्रॉलियां और एक्शन किट लॉन्च किए गए। लोगों ने हरित शपथ ली, 'अपशिष्ट से संसाधन' स्टॉलों का भ्रमण किया और दुकानों पर प्लास्टिक मुक्त दुकान का स्टीकर लगाने पर जोर दिया। जमशेदपुर के पूर्वी क्षेत्र में नगर निगम और गैर सरकारी संगठनों ने प्लॉग रन और सफाई अभियान चलाया, जिसमें प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई में प्रसंस्करण के लिए 300 किलोग्राम से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया। रायपुर में उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने स्वच्छ भारत हरित भारत का संकल्प लेते हुए प्लास्टिक मुक्त अभियान की शुरुआत की। इस बीच अनंतनाग में 'प्लास्टिक भिक्षा' अभियान जारी है। इसमें सफाई कर्मचारी आरआरआर केंद्रों के माध्यम से जिम्मेदारीपूर्वक निपटान के लिए घर-घर जाकर एकल-उपयोग प्लास्टिक एकत्र कर रहे हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम के अनुरूप एसबीएम-यू ने स्वच्छ वार्ता के विशेष 10वें संस्करण की मेजबानी की। इसके तहत वेबिनार शृंखला में वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर प्रकाश डाला गया। हीलिंग हिमालयाज के संस्थापक श्री प्रदीप सांगवान ने स्वर्ग जैसी धरती को बनाए रखने पर जोर दिया। शक्तिशाली हिमालय को प्लास्टिक से बचाने और स्थिरता को बढ़ावा देने पर भी बल दिया गया। पेपकॉम इंडिया के संस्थापक एवं निदेशक श्री साग्निक मुखर्जी ने पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग के व्यवसाय पर चर्चा की। प्लास्टिक बाहर- कपड़े के थैले अंदर: तमिलनाडु में पीले कपड़े के थैलों – मंजप्पई और आरआरआर के प्रयासों को स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा उजागर किया गया।
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(Release ID: 2134444)