विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विज्ञान सचिवों की बैठक की अध्यक्षता की


डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी को परिवर्तन के इंजन के रूप में परिभाषित किया और कहा कि विकसित भारत केवल विकसित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही व्यवहार्य है

एसटीआई संघवाद के लिए प्रयास: वार्षिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी बैठक में राष्ट्र की प्रगति में राज्यों की मजबूत भूमिका पर ध्यान

राज्यों से शीर्ष प्रदर्शन करने वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषदों के सर्वोत्तम तरीकों को अपनाने का आग्रह: डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यों से जमीनी स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने को कहा

Posted On: 23 MAY 2025 5:45PM by PIB Delhi

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) में केंद्र-राज्य सहयोग को मजबूत करने का आह्वान करते हुए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज 2047 तक विकसित राष्ट्र की ओर भारत की यात्रा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नवाचार का इंजन बनने की आवश्यकता पर जोर दिया।

राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) परिषदों की वार्षिक समीक्षा बैठक के समापन सत्र में बोलते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी को परिवर्तन के इंजन के रूप में परिभाषित किया और इस बात पर जोर दिया कि विकसित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिना विकसित भारत का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता है और उन्होंने राज्यों से नवाचार के रणनीतिक, समावेशी और गतिशील केंद्रों के रूप में विकसित होने का आग्रह किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 30 से ज़्यादा राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषदों को संबोधित करते हुए विकसित भारत के सपने को साकार करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान की अहम भूमिका को रेखांकित किया। यह एक ऐसा मिशन है जो भारत को आज़ादी के सौ साल पूरे होने तक आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के साथ जुड़ा हुआ है। डॉ. सिंह ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सिर्फ़ एक क्षेत्र नहीं है - यह हमारे बदलाव को गति देने वाला इंजन है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यक्रम (एसएसटीपी) के माध्यम से इस परिवर्तन का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को बजटीय और तकनीकी सहायता दोनों प्रदान करता है। ये परिषदें नोडल संस्थानों के रूप में कार्य करती हैं, क्षेत्रीय एसटीआई इको सिस्टम को उत्प्रेरित करती हैं और इससे स्थानीय आवश्यकताएं राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित होती हैं। उन्होंने राज्यों में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जागरूकता और सुविधा को और बेहतर करने के लिए 23 पेटेंट सूचना केंद्रों के नेटवर्क को महत्वपूर्ण बताया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने केंद्र द्वारा पेश की गई विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और प्रभावी उपयोग के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषदों से आग्रह किया कि वे जमीनी स्तर पर इन कार्यक्रमों के बारे में जानकारी का सक्रिय रूप से प्रसार करें, ताकि विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में हितधारकों को सूचित किया जा सके और उनसे लाभ के लिए सशक्त बनाया जा सके। उन्होंने कहा, "जागरूकता प्रभाव की दिशा में पहला कदम है," केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि समावेशी नवाचार के लिए परिषदों की रणनीति में दृश्यता और पहुंच को अभिन्न अंग बनना चाहिए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को देश भर में अपने समकक्षों के सफल मॉडलों का सक्रिय रूप से अध्ययन करने और उनका अनुकरण करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। सहकर्मी से सीखने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्यों के सर्वोत्तम तौर तरीके अनुकरणीय टेम्पलेट के रूप में काम कर सकते हैं, जिससे अन्य राज्य अपने प्रभाव को कुशलतापूर्वक बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा, "प्रगति को गति देने के लिए क्रॉस-लर्निंग महत्वपूर्ण है," उन्होंने राष्ट्रीय एसटीआई इको सिस्टम को सामूहिक रूप से मजबूत करने के लिए विचारों और अनुभवों के नियमित आदान-प्रदान की आवश्यकता पर बल दिया।

दो दिवसीय बैठक में देशभर के परिषदों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सहकर्मी शिक्षण, रणनीतिक योजना और सफलता की कहानियों के माध्यम से एसटीआई इको सिस्टम को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया। एक विशेष सत्र में 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों और प्रधान सचिवों ने अभिनव राज्य-स्तरीय हस्तक्षेपों को साझा करने, विज्ञान-आधारित समाधानों का प्रस्ताव करने और भविष्य की रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक साथ आए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस आदान-प्रदान ने समान विकास प्राप्त करने में सहयोगी संघवाद के महत्व को मजबूत किया।

 

बैठक में जम्मू-कश्मीर से अपनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को और अधिक सहायता देने के प्रस्तावों पर भी विचार किया गया, साथ ही झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, मेघालय और मध्य प्रदेश में नए पेटेंट सूचना केंद्र स्थापित करने की योजना पर भी विचार किया गया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन पहलों से देश भर में एक अधिक मजबूत और समावेशी आईपीआर ढांचा बनाने में मदद मिलेगी।

भविष्य को देखते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों से खुद को न कि केवल प्रशासनिक निकाय के रूप में बल्कि “परिवर्तन के दूरदर्शी प्रवर्तक” के रूप में पुनः स्थापित करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे अपने प्रभावशाली कार्यक्रमों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने और ब्रांड बनाने, क्षेत्रों में सफल मॉडलों को दोहराने और शिक्षाविदों, उद्योग, नीति निर्माताओं और नागरिक समाज के साथ अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “परिषदों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कदम उठाने चाहिए कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी शासन और विकास की आधारशिला बने।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आशावादी अंदाज में कहा कि रणनीतिक संरेखण और नीतिगत सुसंगतता के माध्यम से भारत एक समावेशी और नवाचार-संचालित भविष्य का निर्माण कर सकता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत@2047 की यात्रा महत्वाकांक्षी है, लेकिन केंद्र-राज्य सहयोग के माध्यम से इसे हासिल किया जा सकता है। हम इस अमृत काल की पूरी क्षमता का दोहन कर सकते हैं।

विज्ञान आधारित क्षेत्रीय विकास की दिशा में एकजुट प्रयास को बल देने वाली इस बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर, एसएसटीपी पर विशेषज्ञ समिति के सदस्य प्रोफेसर सतीश बी. अग्निहोत्री और डॉ. पीके अग्रवाल तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।

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(Release ID: 2130928)
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