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कंटेंट पाइरेसी अब किसी विशिष्ट स्थान का मुद्दा नहीं, एक वैश्विक आर्थिक खतरा बन गई है - वैश्विक विशेषज्ञों ने वेव्स 2025 में पाइरेसी को रोकने के उपायों पर चर्चा की


हितधारकों ने इसके लिए केंद्रीकृत एंटी- पाइरेसी टास्क फोर्स और उन्नत प्रौद्योगिकी की मांग की

 Posted On: 03 MAY 2025 10:40PM |   Location: PIB Delhi

मुंबई में चल रहे वेव्स 2025 शिखर सम्मेलन में "सामग्री संरक्षण नीतियों और समन्वय पर अंतर्राष्ट्रीय अधिकार धारकों के दृष्टिकोण" पर एक मुख्य सत्र आयोजित किया गया, जिसमें वैश्विक हितधारकों को डिजिटल पाइरेसी के बढ़ते खतरे से निपटने और सामग्री संरक्षण के लिए सहयोगी दृष्टिकोणों का पता लगाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाया गया।

तेलुगु फिल्म उद्योग के जाने-माने फिल्म निर्माता और पाइरेसी के विरोधी श्री राजकुमार अकेला ने इस सत्र में चर्चा की शुरुआत क्षेत्रीय फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता से उत्पन्न पाइरेसी के खतरे पर जोर देकर की। उन्होंने इस संबंध में तेलुगु फिल्म उद्योग द्वारा उठाए गए साहसिक सक्रिय पर प्रकाश डाला, जिसमें एक समर्पित एंटी-पाइरेसी सेल और एक डिजिटल पाइरेसी टीम की स्थापना भी शामिल है।

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, अंतर्राष्ट्रीय अधिकार विशेषज्ञ सुश्री डॉन बैरीट्यू और जीही ली ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार पाइरेसी की समस्या ने अब परिष्कृत, सीमा-पार साइबर अपराध का रूप ले लिया है। उन्होंने पाइरेसी में आए खतरनाक बदलाव पर ध्यान दिलाया जो फिजीकल  पाइरेसी के साथ-साथ विभिन्न वेबसाइटों और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सीधे डाउनलोडिंग के माध्यम से डिजिटल पाइरेसी के रूप में भी हो रहा है। विशेषज्ञ सुश्री ली ने आगे कहा कि वर्तमान इकोसिस्टम में, पाइरेसी अब किसी विशिष्ट स्थान तक सीमित समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह एक वैश्विक आर्थिक खतरा बन गई है।

उभरते डिजिटल रुझानों पर अधिक जोर देते हुए, वक्ताओं ने दर्शकों को याद दिलाया कि कोरियाई शो (के-ड्रामा और के-पॉप) भारत में व्यापक रूप से देखे जाते हैं, लेकिन उनके राजस्व मॉडल पाइरेसी मेट्रिक्स से नहीं, बल्कि वैध दर्शक जुड़ाव और ब्रांड साझेदारी से संचालित होते हैं। इसके विपरीत, भारतीय फिल्में जापान जैसे देशों में लोकप्रियता हासिल कर रही हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय पाइरेसी के मोर्चे पर अवसर और खतरे दोनों पैदा हो रहे हैं।

सत्र में इस बात पर भी चर्चा की गई कि किस प्रकार पाइरेसी वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर अपराध सहित व्यापक आपराधिक गतिविधियों को वित्तपोषित करती है। इस सत्र में चर्चा का मुख्य विषय व्यापक, वैश्विक नीतियों के माध्यम से पाइरेसी की समस्या का समाधान ढूंढना था। कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की गईं, जिनमें राष्ट्रीय सीमाओं के पार प्रयासों के समन्वय के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व के साथ एक केंद्रीकृत एंटी-पाइरेसी टास्क फोर्स का गठन भी शामिल है। पाइरेसी का अधिक प्रभावी ढंग से पता लगाने और उसे रोकने के लिए आधुनिक डिजिटल निगरानी और प्रवर्तन प्रौद्योगिकियों में अधिक निवेश करने का भी आह्वान किया गया। सभी वक्ताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि पाइरेसी से न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि यह नवाचार, निवेश और वैश्विक सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए दीर्घकालिक खतरा भी उत्पन्न करती है।

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