विद्युत मंत्रालय
केन्द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक ने देश में वितरण से जुड़ी कंपनियों की व्यवहार्यता से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु गठित मंत्रिसमूह की चौथी बैठक की अध्यक्षता की
विनियामक सुधार, लागत के अनुरूप शुल्क
संचालन संबंधी दक्षता एवं गुणवत्ता में सुधार हेतु डिस्कॉम कंपनियों का वित्तीय पुनर्गठन
कंपनियों की व्यवहार्यता को बेहतर करने हेतु उत्पादन की लागत को कम करना आवश्यक
Posted On:
22 APR 2025 7:49PM by PIB Delhi
केन्द्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक ने आज विजयवाड़ा में विद्युत वितरण कंपनियों की व्यवहार्यता से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु गठित मंत्रिसमूह की चौथी बैठक की अध्यक्षता की।
इस बैठक में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री ए. के. शर्मा, आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री गोट्टीपति रवि कुमार, राजस्थान के ऊर्जा राज्यमंत्री श्री हीरालाल नागर और महाराष्ट्र की ऊर्जा राज्यमंत्री श्रीमती मेघना साकोरे बोर्डिकर ने समूह के सदस्यों के रूप में भाग लिया। इस बैठक में अखिल भारतीय डिस्कॉम एसोसिएशन (एआईडीए) के वरिष्ठ प्रतिनिधियों, केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, सदस्य राज्यों की राज्य विद्युत कंपनियों और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
अपने उद्घाटन भाषण में, केन्द्रीय राज्यमंत्री ने सदस्य राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों का स्वागत किया और इस बैठक की मेजबानी के लिए आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने वितरण कंपनियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में मंत्रिसमूह की पहली तीन बैठकों के दौरान हुए विचार-विमर्श पर प्रकाश डाला और विनियामक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पिछली बैठक तक मंत्रिसमूह द्वारा पहचाने गए कार्रवाई योग्य प्रमुख बिन्दुओं का भी उल्लेख किया, जिनमें कंपनियों की दक्षता में सुधार हेतु केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा उठाए जाने वाले कदम शामिल हैं।
माननीय मंत्री ने वितरण क्षेत्र को टिकाऊ बनाने हेतु राज्य सरकारों और नियामक आयोगों की सामूहिक जिम्मेदारियों को रेखांकित किया।
अपने संबोधन में, आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने विजयवाड़ा में इस मंत्रिसमूह की चौथी बैठक आयोजित करने के लिए केन्द्रीय राज्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
अखिल भारतीय डिस्कॉम एसोसिएशन (एआईडीए) ने विशेष आमंत्रित के रूप में इस विषय पर एक प्रस्तुति भी दी। इस प्रस्तुति में इस बात का उल्लेख किया गया कि राज्य विद्युत विनियामक आयोगों (एसईआरसी) द्वारा कंपनियों की शुल्क संबंधी याचिकाओं को अंतिम रूप देते समय शुल्क नीति एवं नियमों का अनुपालन किये जाने की आवश्यकता है। इस बात का भी उल्लेख किया गया कि शुल्क नीति की ऐसी व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है, जोकि कंपनियों और उसके उपभोक्ताओं की वर्तमान आवश्यकताओं एवं चुनौतियों के अनुरूप हो।
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के संयुक्त सचिव (वितरण) ने हस्तक्षेप के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए एक प्रस्तुति दी। उन्होंने सदस्य राज्यों की कंपनियों की वर्तमान वित्तीय स्थिति और उनके टैरिफ/ट्रू-अप ऑर्डर में विनियामक संबंधी प्रमुख अस्वीकृतियों को दर्शाते हुए प्रमुख मापदंड प्रस्तुत किए। यह भी प्रस्तुत किया गया कि अधिकांश कंपनियों की वार्षिक राजस्व वृद्धि उनके द्वारा लिए जा रहे ऋण में वृद्धि के अनुरूप नहीं है। प्रस्तुति में वितरण कंपनियों के बकाया ऋणों एवं घाटे को कम करने हेतु प्रस्तावित कार्ययोजना पर भी प्रकाश डाला गया।
चर्चा के मुख्य बिंदुओं में लागत के अनुरूप शुल्क सुनिश्चित करने, सब्सिडी एवं सरकारी विभागों के बकाये का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने, स्मार्ट मीटरिंग कार्यों सहित पुनरूद्धार वितरण क्षेत्र योजना के तहत चल रहे कार्यों में तेजी लाने, बिजली खरीद अनुकूलन और मांग पूर्वानुमान में सुधार हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व डेटा एनालिटिक्स के उपयोग को बढ़ाने आदि में राज्य सरकारों की भूमिका शामिल थी। राज्यों ने वितरण फ्रेंचाइजी/निजीकरण/समानांतर लाइसेंसी की शुरूआत आदि जैसे उपायों के जरिए अपने वितरण क्षेत्र में सुधार हेतु भारत सरकार से समर्थन का अनुरोध किया।
सदस्य राज्यों ने इस बात पर जोर दिया कि इस मंत्रिसमूह को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी जारी रखा जा सकता है तथा राज्यों को बारी-बारी से आमंत्रित किया जा सकता है ताकि समग्र रूप से बिजली क्षेत्र को प्रभावित करने वाली समस्याओं पर विचार-विमर्श किया जा सके। सभी हितधारकों को आमंत्रित करके बिजली खरीद की लागत को कम करने के उपायों के बारे में एक समर्पित सत्र आयोजित करने का प्रस्ताव किया गया।
मंत्रिसमूह ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई तथा वितरण कंपनियों की वित्तीय व्यवहार्यता को बेहतर करने हेतु आवश्यक उपाय करने का संकल्प व्यक्त किया।
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एमजी/आरपीएम/केसी/आर
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