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अरुणाचल प्रदेश में संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आईबीसी द्वारा दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ


बौद्ध विरासत से समृद्ध नामसाई: उत्तर-पूर्व में बौद्ध सर्किट के लिए आदर्श केंद्र: श्री चौना मेन, उपमुख्यमंत्री

संगोष्ठी में संघों के प्रमुखों, भिक्खुओं, शिक्षाविदों और भूटान, म्यांमार, कंबोडिया के प्रतिनिधियों सहित 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया

Posted On: 21 APR 2025 5:18PM by PIB Delhi

अरुणाचल प्रदेश में संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर बुद्ध धम्म और पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति पर अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री चौना मेन ने कहा, अरुणाचल प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित नामसाई जिला, सदियों पुरानी बौद्ध संस्कृति और परंपराओं से समृद्ध है तथा यह इस बात का अनूठा उदाहरण है कि यहां आज भी प्राचीन जीवन शैली का पालन किया जा रहा है।

राज्य में बौद्ध पर्यटन सर्किट शुरू करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति सामाजिक-धार्मिक त्योहारों में गहराई से पैठी है। हमने हाल ही में सोंगपा जल महोत्सव का समापन किया, जो अरुणाचल प्रदेश में खामती समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला बौद्ध उत्सव है, विशेष रूप से नामसाई और चांगलांग और ईटानगर जैसे अन्य क्षेत्रों में, जिसमें विदेशों से आगंतुकों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह एक बड़ी सफलता थी। उपमुख्यमंत्री श्री चौना मेन ने कहा कि राज्य में बौद्ध धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्राचीन तीर्थ स्थल भी हैं।

वास्तव में उनके अनुसार उनकी जनजाति ताई खामती ने ही 1839 में अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की पहली लड़ाई शुरू की थी। उन्होंने बताया, "हमने एंग्लो-खामती युद्ध में अंग्रेजों को हराया और इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने हमारे गांवों को जला दिया और हमारी जनजाति को उत्तर पूर्व के कई क्षेत्रों में अलग-थलग कर दिया।"

 

श्री मेन के अनुसार, उन्होंने अपनी खामती लिपि के माध्यम से पाली भाषा को संरक्षित रखा है। वास्तव में, राज्य में केवल दो प्राचीन लिपियाँ हैं: उनकी (लिक ताई) और भोटी। यहाँ तक कि रामायण और महाभारत भी खामती लिपि (लिक ताई) में लिखे गए हैं।

उपमुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र में महाबोधि सोसाइटी द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने पर अच्छे कार्यों के बारे में भी बताया और उम्मीद जताई कि इस क्षेत्र के युवाओं के सशक्तिकरण के लिए एक कौशल विकास केंद्र स्थापित किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि वे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से तथा अरुणाचल प्रदेश सरकार और महाबोधि सोसाइटी ऑफ नामसाई द्वारा समर्थित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में संघों, भिक्खुओं और भिक्खुनियों के प्रमुखों, समाज के प्रतिष्ठित सदस्यों, राजनीतिक प्रतिनिधियों, प्रोफेसरों, पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों के शिक्षाविदों सहित 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। सेमिनार सत्रों में भूटान, म्यांमार, कंबोडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जबकि गुवाहाटी में भूटान के महावाणिज्यदूत श्री जिग्मे थिनली नामग्याल ने उद्घाटन सत्र में उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

नामसाई के विधायक श्री झिंगनू नामचूम ने इस बात पर बल दिया कि हमारा धर्म हमारी संस्कृति है; जो हमारी जीवन पद्धति है। उन्होंने कहा कि हमारे विवाहों में भी बुद्ध की शिक्षाएं दी जाती हैं कि समाज में विवाहित जीवन को कैसे जिया जाए। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म हमारे खून में है। धम्म संबोधन परम पूज्य अग्गधम्मा भदंत, मुख्य मठाधीश, पारियट्टी सासन बुद्ध विहार, नामसाई द्वारा प्रस्तुत किया गया।

आईबीसी के महासचिव शार्त्से खेंसुर जंगचुप चोएडेन रिनपोछे ने अतिथि का स्वागत किया और आईबीसी के महानिदेशक श्री अभिजीत हलदर ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और समापन भाषण दिया। सत्रों में निम्नलिखित विषयों पर चर्चाएं होनी हैं: भारत के उत्तर-पूर्व में बुद्ध धम्म की ऐतिहासिक प्रासंगिकता, बौद्ध समुदायों की कला, संस्कृति और विरासत और क्षेत्र में बौद्धों पर सांस्कृतिक प्रभाव पर एक विशेष सत्र।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को गोल्डन पैगोडा में म्यांमार और थाईलैंड में हाल ही में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए विशेष प्रार्थना और मंत्रोच्चार का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद विपश्यना पर एक सत्र होगा।

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