सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय
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नवीनतम सर्वेक्षण परिणामों की गहन समझ और वृहद आर्थिक संकेतकों में प्रमुख पहलों पर डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन:


डेटा निर्माता और डेटा उपयोगकर्ताओं के बीच संवाद को बढ़ावा देना

Posted On: 19 APR 2025 11:12AM by PIB Delhi

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) डेटा उपयोगकर्ताओं और अन्य हितधारकों के साथ संबंधों को मजबूत करने के अपने निरंतर प्रयासों के अनुरूप, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आईजीआईडीआर), मुंबई के सहयोग से 21 अप्रैल 2025 को आईजीआईडीआर परिसर, गोरेगांव (पूर्व), मुंबई में डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) रोज़गार और बेरोज़गारी, उपभोग व्यय और औद्योगिक सांख्यिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रमुख आर्थिक संकेतों के लिए बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण करता है। यह राष्ट्रीय खातों और मूल्य सूचकांकों सहित आवश्यक व्यापक आर्थिक संकेतक भी तैयार करता है। ये डेटा भारत में साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और प्रभावी शासन का आधार होते हैं।

यह सम्मेलन डेटा निर्माताओं और डेटा उपयोगकर्ताओं के बीच संवाद को बढ़ावा देने, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और क्षेत्र में नवीनतम विकास पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

  • सर्वेक्षणों में अपनाई गई नमूना पद्धतियां
  • घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस 2023-24) के नवीनतम परिणामों की जानकारी
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में वर्तमान में हुए परिवर्तन
  • सकल घरेलू उत्‍पादन (जीडीपी) का संकलन और उसके आधार में बदलाव
  • उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) के आधार अद्यतनीकरण की प्रमुख पहल

डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन की अध्यक्षता सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग, आईएएस करेंगे। प्रधानमंत्री की ईएसी के सदस्य और यूआईडीएआई के अध्यक्ष डॉ. नीलकंठ मिश्रा, आईजीआईडीआर के निदेशक प्रोफेसर बसंत कुमार प्रधान, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की महानिदेशक सुश्री गीता सिंह राठौर और केंद्रीय सांख्यिकी (सीएस) के महानिदेशक श्री एनके संतोषी सहित कई गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे और अपने विचार साझा करेंगे।

इस कार्यक्रम में लगभग 250 प्रतिभागी भाग लेंगे जिनमें शोधकर्ता, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, औद्योगिक संघ, नीति निर्माता, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि, निजी सर्वेक्षण एजेंसियां, साथ ही शिक्षा जगत और मीडिया के प्रतिष्ठित संस्थान शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) और तकनीकी समितियों के विशेषज्ञ और सदस्य भी मौजूद रहेंगे।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण पर तकनीकी सत्र नमूनाकरण डिजाइन, गुणकों की गणना और एनएसएस घरेलू सर्वेक्षणों में मापदंडों के अनुमान का अवलोकन प्रदान करेंगे। सत्र में 2022-23 और 2023-24 के लिए घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के प्रमुख सबक भी बताए जाएंगे। इसमें नवीनतम डेटा से प्राप्त गहन विश्‍लेषण भी शामिल होगा। इसी पर आगे एक पैनल चर्चा होगी। इसके अलावा, उपयोगकर्ताओं की समझ बढ़ाने और व्याख्या में स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) पद्धति में हाल के बदलावों को प्रस्तुत किया जाएगा।

दूसरे भाग में निम्नलिखित विषयों पर प्रमुख वृहद-आर्थिक संकेतकों पर तकनीकी सत्र प्रस्तुत किए जाएंगे और प्रत्येक प्रस्तुति के बाद पैनल चर्चा होगी:

  • जीडीपी का मापन और जीडीपी आधार संशोधन - डेटा स्रोत, जीडीपी के संकलन की पद्वति। क्षेत्रवार डेटाबेस, मापन के मुद्दे, आधार संशोधन में प्रस्तावित पद्वति सुधार।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधार अद्यतनीकरण पर प्रमुख पहल।

आयोजित पैनल चर्चाओं की अध्यक्षता प्रतिष्ठित विशेषज्ञ करेंगे। ये प्रस्तुत विषयों की आलोचनात्मक समीक्षा और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करेंगे। पैनल में भारतीय रिजर्व बैंक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, निजी सर्वेक्षण एजेंसियों और आईजीआईडीआर, आईआईपीएस सहित शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। पैनल चर्चाओं के बाद, खुली चर्चा होगी। इससे प्रतिभागियों को वक्ताओं और पैनलिस्टों से सीधे जुड़ने का अवसर मिलेगा और इससे डेटा उपयोगकर्ताओं और डेटा उत्पादकों के बीच विचारों का आदान-प्रदान होगा। इंटरैक्टिव सत्रों को सुव्यवस्थित करने के लिए, प्रतिभागियों को मेंटीमीटर प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से प्रश्न प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चर्चाएं केंद्रित और आकर्षक बनी रहें।

सम्मेलन का उद्देश्य उभरती हुई पद्धतियों, सर्वेक्षण प्रणालियों और नीति निर्माण तथा अनुसंधान में आधिकारिक सांख्यिकी की प्रासंगिकता पर संवाद को बढ़ावा देना है, तथा देश के सांख्यिकीय व्‍यवस्‍था में सुधार के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना है।

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