जल शक्ति मंत्रालय
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी आर पाटिल ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत भारतीय वन्यजीव संस्थान की प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की
श्री पाटिल ने स्वीच्छी जल जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म आरंभ किया
श्री पाटिल ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और भारतीय वन्यजीव संस्थान के कार्यों की सराहना की
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने अपनी पहल के तहत विकसित ज्ञान उत्पादों की एक श्रृंखला जारी की
Posted On:
17 APR 2025 2:37PM by PIB Delhi

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी आर पाटिल की अध्यक्षता में नई दिल्ली में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा कार्यान्वित और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा समर्थित विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा बैठक आयोजित हुई जिसमें मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
श्री पाटिल ने जलीय जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने, नदियों की साफ-सफाई और रख-रखाव, स्थानीय क्षमता वर्धन और जल संरक्षण में समुदायों को शामिल करने के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और भारतीय वन्यजीव संस्थान के कार्यों की सराहना की। उन्होंने नदी बेसिन (वह क्षेत्र जहां से वर्षा का पानी और अन्य जल स्रोत नदी और उसकी सहायक नदियों के माध्यम से एक बड़े जलस्रोत में मिलती है) में चलाए गए व्यापक सामुदायिक संपर्क गतिविधियां और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के प्रभाव और जन जागरूकता पहल में भारतीय वन्यजीव संस्थान की भूमिका खास तौर पर गंगा प्रहरियों को शामिल करके की पहल की सराहना की। उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ निरंतर जुड़ाव मजबूत करने के लिए गंगा प्रहरी सम्मेलन आयोजित करने का भी सुझाव दिया और नदियों में मगरमच्छ पर केंद्रित नई संरक्षण पहल के उपाय तलाशने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में श्री पाटिल ने इन विशिष्ट पहल के तहत जुटाई गई जानकारी और कौशल पर आधारित ज्ञान उत्पाद भी जारी किए। इनमें हाइड्रोफाइट्स: ग्रीन लंग्स ऑफ गंगा खंड I और II तथा स्वच्छ जल के मैक्रोफौना जैविक नमूनों के संग्रह, भंडारण और परिवहन के नियमावली शामिल हैं। ये प्रकाशन मंत्रालय के जैव विविधता संरक्षण प्रयासों के सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार और व्यावहारिक प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।
समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा आरंभ की गई संरचित और बहुविषयक संरक्षण योजना की भी चर्चा की गई जिसका मुख्य उद्देश्य छह-आयामी दृष्टिकोण गंगा नदी के लिए विज्ञान-आधारित जलीय प्रजाति संरक्षण नीति स्थापित करना, समर्पित संरक्षण निगरानी केंद्र बनाना, जलीय प्रजातियों को पुनर्स्थापित करने की योजना, संस्थागत क्षमता निर्माण, बचाव और पुनर्वास केंद्र स्थापित करना, समुदाय-आधारित संरक्षण कार्यक्रम आरंभ करना और जैव विविधता संरक्षण से संबंधित जानकारी का प्रसार शामिल है।

बैठक में जल शक्ति मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव संस्थान के अंतर्गत विकसित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म - सूचना डैशबोर्ड www.rivres.in का भी शुभारंभ किया गया जो उल्लेखनीय है। डैशबोर्ड - गंगा एक्वालाइफ़ संरक्षण निगरानी केंद्र/राष्ट्रीय नदी अनुसंधान केंद्र के हिस्से के तौर पर एक व्यापक डिजिटल हब के रूप में कार्य करता है जो गंगा, बराक, महानदी, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी और पंबा सहित प्रमुख भारतीय नदियों में पारिस्थितिकी जानकारी, संरक्षण संबंधी केस स्टडी और भौतिक संरचना, जैव विविधता और सामुदायिक सहभागिता गतिविधियों की जानकारी प्रदान करता है।

इस संरक्षण मॉडल का आधार सामुदायिक सहभागिता है। इसमें वन अधिकारी, पशु चिकित्सक, स्कूली शिक्षक, राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवक और स्थानीय समुदाय सहित हजारों हितधारक शामिल हैं जिन्हें 130 से अधिक क्षमता-वर्धन कार्यक्रमों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। अग्रिम पंक्ति के संरक्षण स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने के लिए 5,000 से अधिक गंगा प्रहरी हैं जिनमें कई महिलाएं हैं। उनकी भागीदारी से जैव विविधता निगरानी बढ़ी है, बचाव कार्यों में सुदृढ़ता आई है और स्थानीय प्रबंधन बेहतर हुआ है।
जीपीएस-सक्षम डेटा संग्रह, सोनार-आधारित गहराई की जानकारी और पारिस्थितिकी निगरानी ऐप जैसी उन्नत तकनीकों द्वारा देश की 22 नदियों में 12,000 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में व्यापक नदी सर्वेक्षण किया गया। इसी क्रम में डॉल्फिन परियोजना आरंभ की गई, जिसका उद्देश्य डॉल्फ़िन और उनके रहने के स्थान को संरक्षित करना और इको-टूरिज्म और अन्य पहल द्वारा स्थानीय आजीविका प्रयासों को मदद पहुंचाना है।

समीक्षा बैठक धन्यवाद प्रस्ताव और जल शक्ति मंत्रालय तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान के बीच निरंतर साझेदारी द्वारा डेटा-संचालित, समावेशी और निरंतर जल स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण प्रयासों को आगे बढ़ाने की नई प्रतिबद्धता के साथ सम्पन्न हुई।
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