विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्वदेशी रूप से विकसित पानी के नीचे ध्वनिक परीक्षण सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन की प्रशंसा की


वैश्विक मान्यता के साथ, एनआईओटी चेन्नई की ध्वनिक प्रयोगशाला अब पानी के नीचे की तकनीक में भारत के वैश्विक मानक स्थापित कर रही है

Posted On: 12 APR 2025 5:40PM by PIB Delhi

चेन्नई, 12 अप्रैल: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज चेन्नई के राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) में अंतर्जलीय ध्वनिक परीक्षण सुविधा (एटीएफ) की वैश्विक मान्यता और अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन की प्रशंसा की है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे अंतर्जलीय ध्वनिकी और महासागर प्रौद्योगिकी में वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में एक गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्मारक पट्टिका का अनावरण करने के बाद सुविधा की क्षमताओं का सजीव प्रदर्शन देखा, जिसमें हाइड्रोफोन, ट्रांसड्यूसर और ध्वनिक मॉडेम जैसे पानी के नीचे के ध्वनिक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला का सटीक परीक्षण और अंशांकन शामिल है। यह सामरिक और नागरिक दोनों अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने इस सुविधा को "महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति" बताते हुए समुद्री प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "ध्वनिक परीक्षण सुविधा हमारी समुद्री अवलोकन क्षमताओं को बढ़ाती है, सुनामी का पता लगाने वाली प्रणालियों का समर्थन करती है और अपने महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है।"

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 2004 में स्थापित, एटीएफ भारत की एकमात्र ऐसी सुविधा है जिसे हाइड्रोफोन अंशांकन के लिए राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त है। वर्ष 2005 से, इसने लगातार इस मान्यता को बनाए रखा है और नौसेना प्रयोगशालाओं, आईआईटी, विश्वविद्यालयों और बीईएल, एलएंडटी और टाटा पावर जैसे प्रमुख औद्योगिक प्रतिनिधियों सहित उपयोगकर्ताओं के एक व्यापक स्पेक्ट्रम को पूरा करता है।

वर्ष 2018 में, इस सुविधा की वैश्विक क्षमता को तब मान्यता मिली जब इसने ब्रिटेन के नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी द्वारा आयोजित एक प्रमुख तुलना परीक्षण में भाग लिया, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन और रूस सहित सात अन्य देशों की प्रयोगशालाओं ने भाग लिया। एटीएफ के अंशांकन परिणाम अंतरराष्ट्रीय मानदंडों से मेल खाते हैं, जिससे यह शीर्ष वैश्विक प्रयोगशालाओं के साथ समानता स्थापित करती है।

एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, इस सुविधा को हाल ही में सीएसआईआर-एनपीएल के माध्यम से पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय बाट और माप ब्यूरो (बीआईपीएम) के अंतर्गत पानी के नीचे ध्वनिकी के क्षेत्र में भारत कीनामित प्रयोगशालाके रूप में मान्यता दी गई है, जो 30 जनवरी, 2024 से प्रभावी है। इसका अर्थ है कि एनआईओटी अब पानी के नीचे ध्वनिकी में माप के लिए राष्ट्रीय मानकों को रखता है - जो रणनीतिक क्षेत्रों में माप सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस मान्यता से केवल भारत की वैज्ञानिक विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि अंतर्जलीय अनुसंधान और समुद्री प्रौद्योगिकी में वैश्विक सहयोग के अवसर भी खुलेंगे।

भारत जैसे-जैसे महासागर अन्वेषण और समुद्री सुरक्षा में अपनी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ा रहा है, ध्वनिक परीक्षण सुविधा से भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आकार देने में एक निर्णायक भूमिका निभाने की संभावना है, जो देश के गहरे समुद्र में अन्वेषण के प्रयासों को सटीकता और स्वदेशी ताकत दोनों प्रदान करेगी।

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