जल शक्ति मंत्रालय
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संसदीय प्रश्‍न: तमिलनाडु में ग्रामीण घरों में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के अन्‍तर्गत पेय जल की गुणवत्ता

Posted On: 24 MAR 2025 12:13PM by PIB Delhi

अगस्त, 2019 से राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन (जेजेएम) - हर घर जल को क्रियान्वित किया जा रहा है ताकि ग्रामीण परिवारों को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में निर्धारित गुणवत्ता वाला और पीने योग्य नल का पानी उपलब्ध कराया जा सके। भारत सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करके तमिलनाडु सहित राज्यों की सहायता करती है। जल जीवन मिशन के अन्‍तर्गत मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारतीय मानक ब्यूरो के बीआईएस: 10500 मानकों को पाइप जलापूर्ति योजनाओं के माध्यम से आपूर्ति किए जा रहे पानी की गुणवत्ता के लिए बेंचमार्क के रूप में अपनाया जाता है। पेयजल राज्य का विषय होने के कारण, जल जीवन मिशन के अंतर्गत आने वाली पेयजल आपूर्ति योजनाओं की योजना, अनुमोदन, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की है।

परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार, तमिलनाडु सहित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जल गुणवत्ता निगरानी एवं निरीक्षण (डब्ल्यूक्यूएमएंडएस) कार्यों के लिए जेजेएम के अन्‍तर्गत अपने वार्षिक आवंटन का 2 प्रतिशत तक उपयोग कर सकते हैं। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना और उन्हें मजबूत करना, उपकरण, यंत्र, रसायन, कांच के बने पदार्थ, उपभोग्य सामग्रियों की खरीद, कुशल जनशक्ति की भर्ती, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके समुदाय द्वारा निगरानी, ​​जागरूकता उत्‍पन्‍न करना, जल की गुणवत्ता पर शैक्षिक कार्यक्रम, प्रयोगशालाओं को मान्यता/प्रमाणन आदि शामिल हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पानी की गुणवत्ता के लिए पानी के नमूनों का परीक्षण करने और नमूना संग्रह, रिपोर्टिंग, निगरानी और पेयजल स्रोतों की निगरानी में सक्षम बनाने के लिए एक ऑनलाइन जेजेएम-जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूक्यूएमआईएस) पोर्टल बनाया गया है।

जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए समुदायों को सशक्त बनाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे प्रत्‍येक गांव में 5 व्यक्तियों, प्रमुखतः महिलाओं की पहचान करें और प्रशिक्षित करें ताकि वे ग्राम स्तर पर फील्ड टेस्टिंग किट (एफटीके) का उपयोग करके जल गुणवत्ता परीक्षण कर सकें और इसकी रिपोर्ट डब्ल्यूक्यूएमआईएस पोर्टल पर दे सकें। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा डब्ल्यूक्यूएमआईएस पर दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 24.81 लाख से अधिक महिलाओं (तमिलनाडु में 62,898 सहित) को एफटीके का उपयोग करके जल परीक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आज की तारीख में देश में राज्य, जिला, उप-खण्‍ड और/या ब्लॉक स्तर पर 2,182 पेयजल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं (तमिलनाडु में 113 सहित) हैं। पीने योग्य पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल गुणवत्ता परीक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने आम जनता के लिए उनके जल नमूनों के परीक्षण के लिए मामूली दर पर जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं खोली हैं।

जेजेएम-आईएमआईएस पर राज्यों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, जेजेएम की शुरुआत से लेकर अब तक 13,706 आर्सेनिक प्रभावित और 7,745 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को पाइप जलापूर्ति योजनाओं के तहत शामिल किया गया है। इसके अलावा, देश में 314 आर्सेनिक और 251 फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण बस्तियां हैं जहां जेजेएम मानकों के अनुरूप पाइप जलापूर्ति योजनाएं अभी शुरू की जानी हैं। हालांकि, इन सभी बस्तियों (आर्सेनिक के लिए 314 और फ्लोराइड के लिए 251) को अंतरिम उपाय के रूप में सीडब्ल्यूपीपी/आईएचपी के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया गया है। इस प्रकार, देश के ग्रामीण क्षेत्र में सभी बस्तियों को आर्सेनिक और फ्लोराइड संदूषण से मुक्त सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जेजेएम के संभावित लाभों पर अध्ययन किया है जिसमें अनुमान लगाया गया है कि इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है जो कि जेजेएम के बिना मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा पानी लाने में खर्च किए जाते हैं। समय की इस बचत से आर्थिक लाभ और ग्रामीण परिवारों को बेहतर जीवन प्राप्‍त हो सकता है। इसके अलावा, डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया है कि सभी घरों में सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल उपलब्ध कराने से डायरिया से होने वाली बीमारियों से लगभग 4,00,000 मौतों को रोका जा सकता है और मिशन अवधि के दौरान 14 मिलियन विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) को टाला जा सकता है। इसके अलावा, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. माइकल क्रेमर के शोध पत्र से पता चलता है कि सुरक्षित पानी की सार्वभौमिक पहुंच से पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आ सकती है और इस प्रकार 1,36,000  बच्‍चों का जीवन बचाया जा सकता है।

मरुस्थल विकास कार्यक्रम (डीडीपी), सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम (डीपीएपी), पहाड़ी क्षेत्र विकास योजना (एचएडीपी) और ग्रामीण क्षेत्रों के संदर्भ में विशेष श्रेणी के पहाड़ी राज्यों के लिए जेजेएम निधि में 30 प्रतिशत आवंटन किया गया है। जल संकटग्रस्त और सूखाग्रस्त क्षेत्रों सहित ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल जल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 2019-20 से 2024-25 (17.03.2025 तक) तक जेजेएम के तहत राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा आवंटित, आहरित और उपयोग की गई केंद्रीय निधि का वर्षवार विवरण नीचे दिया गया है ।

जल जीवन मिशन: 2019-20 से 2024-25 तक आवंटित, आहरित और उपयोग की गई केंद्रीय निधि

  (राशि करोड़ रुपये में)

वित्तीय वर्ष

केंद्र का हिस्‍सा

राज्य द्वारा व्यय का हिस्सा

प्रारंभिक जमा

आवंटित निधि

जारी की गई राशि

व्यय

2019-20

2,436.37

11,139.21

9,951.81

5,983.49

4090.79

2020-21

6,447.36

23,033.02

10,917.86

12,544.51

7,905.45

2021-22

4,825.92

92,308.77

40,009.77

25,326.67

18,226.18

2022-23

19,510.05

1,00,789.77

54,742.30

50,667.81

40,147.74

2023-24

23,584.58

1,32,936.83

69,885.01

82,295.58

69,219.37

2024-25*

11,180.11

69,926.68#

22,341.74

27,333.70

33,616.09

* 17.03.2025 तक स्रोत: जेजेएम-आईएमआईएस # केवल 22,694 करोड़ रुपये के उपयोग तक सीमित

इसके अलावा, 15 वें वित्त आयोग के तहत आरएलबी/पीआरआई को 2,36,805 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जिसमें से 60 प्रतिशत अनुदान राशि 1,42,084 करोड़ रुपये 1) पेयजल आपूर्ति और 2) स्वच्छता पर खर्च की जानी है।

यह जानकारी आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्‍ना ने दी।

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(Release ID: 2121154)
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