मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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डेयरी उद्योग को बढ़ावा

Posted On: 01 APR 2025 5:11PM by PIB Delhi

दूध उत्पादन बढ़ाने, डेयरी किसानों की आजीविका और डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों में सहायता के लिए, केंद्र सरकार ओडिशा सहित पूरे देश में राष्ट्रीय गोकुल मिशन और अन्य योजनाएं कार्यान्वित कर रही है।

केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन और अन्य पहल के कार्यान्‍वयन से पिछले एक दशक में देश में दूध उत्पादन में 63 दशमलव 5 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दूध उत्‍पादन 2014-15 में 146 दशमलव तीन-एक मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 239 दशमलव 3 मिलियन टन हो गया है। ओडिशा में भी दूध उत्पादन 2014-15 में 18 दशमलव 98 लाख टन से 39 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 26 दशमलव 30 लाख टन हो गया है।

1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इस योजना का उद्देश्य देशी नस्लों के पशुधन का विकास और संरक्षण, गोजातीय आबादी का आनुवंशिक उन्नयन, दूध उत्पादन और गोजातीय उत्पादकता में बढोतरी करना है, जिससे किसानों के लिए डेयरी व्यवसाय अधिक लाभदायक बन सके। इस योजना के तहत निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

  1. राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम विस्‍तारित करना और उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के वीर्य का उपयोग कर किसानों के घर पर निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवाएं प्रदान करना है। ओडिशा में इसके अंतर्गत अब तक 46 दशमलव 53 लाख पशुओं को लाया गया है, 61 दशमलव 10 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं। इससे 29 दशमलव 48 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।

सेक्स सॉर्टेड वीर्य का उपयोग कर त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य 90 प्रतिशत सटीकता के साथ मादा बछड़ों का उत्पादन करना है, जिससे नस्ल सुधार को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में बढोतरी होगी। डेयरी व्यवसाय में लगे छोटे और सीमांत किसानों सहित सभी किसानों को सेक्स सॉर्टेड सीमन की लागत का 50 प्रतिशत तक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हाल में स्वदेशी तौर पर विकसित सेक्स सॉर्टेड सीमन उत्पादन तकनीक शुरू की गई है जिससे सेक्स सॉर्टेड सीमन की लागत 800 रुपये से घटकर 250 रुपये प्रति खुराक रह जाएगी। ओडिशा में, इस परियोजना के तहत अब तक 1,24,690 खुराकें खरीदी गई हैं और भारत पशुधन के अनुसार 38,398 किसान इससे लाभान्वित हुए हैं।

ग्रामीण भारत में बहुउद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री): मैत्री को किसानों के घरों तक पहुंचकर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। ओडिशा में 1500 मैत्री को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है।

  1. आईवीएफ तकनीक उपयोग से त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: भारत में पहली बार देशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए गोजातीय आईवीएफ तकनीक को बढ़ावा दिया गया है। इसके तहत देशी नस्लों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को प्रति सुनिश्चित गर्भावस्था 21,000  रुपये की कुल लागत में से 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

स्वदेशी कल्चर मीडिया आरंभ किया जाना: देश में आईवीएफ तकनीक को और अधिक बढ़ावा देने के लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए स्वदेशी मीडिया आरंभ की गई है। यह स्वदेशी कल्चर मीडिया महंगे आयातित मीडिया की तुलना में सस्ती दरों पर उपलब्ध है, जिससे आईवीएफ तकनीक उचित दरों पर उपलब्ध हो रही है।

  1. वीर्य केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण: वीर्य उत्पादन में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार के लिए कटक स्थित एक वीर्य केन्द्र के सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण के लिए ओडिशा को धनराशि जारी की गई है।
  2. जागरूकता कार्यक्रम और किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम: प्रजनन शिविर, दूध उत्पादन प्रतियोगिता, बछड़ा रैलियों और किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए ओडिशा को धनराशि दी गई है। राज्य में अब तक 1500 शिविर आयोजित किए गए हैं और पशु प्रबंधन, दूध की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के लिए 75,000 किसानों को प्रशिक्षित किया गया है।

2. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी): यह योजना राज्य सहकारी डेयरी संघों/जिला सहकारी दूध उत्पादक संघों/स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)/दूध उत्पादक कंपनियों/किसान उत्पादक संगठनों के लिए गुणवत्तापूर्ण दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ प्राथमिक शीतलन सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण/सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित है। पिछले तीन वर्षों में ओडिशा को इसके लिए 1591 दशमलव 08 लाख रुपये की राशि जारी की गई है।

3. पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम: यह योजना खुरपका और मुंहपका रोग, ब्रुसेलोसिस जैसी पशु बीमारियों के नियंत्रण के लिए सहायता देने तथा डेयरी पशुओं सहित पशुधन के अन्य संक्रामक रोग नियंत्रण के लिए राज्य सरकारों को सहायता देने हेतु कार्यान्वित की जाती है। इस योजना के तहत किसानों के घर-द्वार पर गुणवत्तापूर्ण पशुधन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां भी स्थापित की जाती हैं। यह योजना ओडिशा सहित देश में पशु रोग मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में महत्‍वपूर्ण पहल है, जिससे पशुधन उत्पादों के लिए बाजार के अवसर पैदा होते हैं।

4. राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (एनडीएलएम): पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड-एनडीडीबी के साथ मिलकर राष्ट्रीय गोकुल मिशन के एनडीएलएम के तहत भारत पशुधन नामक डेटाबेस विकसित किया है। यह डेटाबेस प्रत्येक पशुधन को अद्वितीय 12-अंकीय टैग आईडी आवंटन द्वारा विकसित किया गया है। ओडिशा में कुल 1 करोड़ 65 लाख पशुओं को डेटाबेस पर पंजीकृत किया गया है। सभी हितधारक एक ओपन-सोर्स एपीआई आधारित आर्किटेक्चर डेटाबेस से जुड़े हुए हैं। एनडीएलएम पशुधन की पता लगाने की क्षमता (ट्रेसबिलिटी) बनाए रखने की दिशा में पहल है, जिससे मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।

5. मूल्य वर्धित डेयरी उत्पादों सहित पशुधन उत्पादों के निर्यात संवर्धन और प्रमाणन का कार्य वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) और निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी) को सौंपा गया है। विभाग ने संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी), तकनीकी कार्य समूह आदि माध्‍यमों से द्विपक्षीय रूप से विभिन्न देशों के साथ भारतीय डेयरी उत्पादों के निर्यात और बाजार पहुंच से संबंधित मुद्दों को भी उठाया है।

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 1 अप्रैल, 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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