रक्षा मंत्रालय
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रक्षा मंत्री ने हिन्द महासागर क्षेत्र के नौ मित्र देशों के 44 कर्मियों के साथ आईएनएस सुनयना को हिंद महासागर जहाज सागर के रूप में कारवार से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया


हिंद महासागर जहाज सागर समुद्री क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सामूहिक सुरक्षा के प्रति भारत की वचनबद्धता का प्रतिबिंब है: श्री राजनाथ सिंह

“भारतीय नौसेना यह सुनिश्चित करती है कि हिंद महासागर क्षेत्र में कोई भी देश अपनी अपरिहार्य अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के आधार पर किसी अन्य राष्ट्र को दबा न सके”

"हमारा उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र को भाईचारे और साझा हित के प्रतीक के रूप में विकसित करना है"

रक्षा मंत्री ने प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत निर्मित 2,000 करोड़ रुपये की आधुनिक परिचालन, मरम्मत और लॉजिस्टिक सुविधा केंद्रों का भी उद्घाटन किया

Posted On: 05 APR 2025 4:07PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 05 अप्रैल, 2025 को कर्नाटक के कारवार में भारतीय नौसेना के अपतटीय गश्ती पोत, आईएनएस सुनयना को हिंद महासागर जहाज (आईओएस) सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास) के रूप में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रक्षा मंत्री ने प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित आधुनिक परिचालन, मरम्मत और लॉजिस्टिक सुविधा केंद्रों का भी उद्घाटन किया। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

आईओएस सागर

नौ मित्र देशों (कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स, श्रीलंका और तंजानिया) के 44 नौसैनिकों के साथ जहाज को रवाना करना, क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति भारत की वचनबद्धता को प्रतिबिंबित करने में एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाता है।

श्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के साझेदार देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए आईओएस सागर की यात्रा को समुद्री क्षेत्र में शांति, समृद्धि एवं सामूहिक सुरक्षा के प्रति भारत की वचनबद्धता का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की बढ़ती उपस्थिति का उल्लेख करते हुए हुए कहा कि यह सिर्फ हमारी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों से संबंधित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र में हमारे मित्र देशों के बीच अधिकारों व कर्तव्यों की समानता की ओर भी इशारा करता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना यह सुनिश्चित करती है कि हिंद महासागर क्षेत्र में कोई भी देश अपनी अपरिहार्य अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के आधार पर किसी अन्य राष्ट्र को दबा न सके। हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि विभिन्न देशों के हितों की रक्षा उनकी संप्रभुता से समझौता किए बिना की जाए।

रक्षा मंत्री ने इस क्षेत्र में जहाजों के अपहरण और समुद्री डाकुओं के हमले जैसी घटनाओं के दौरान प्राथमिक उत्तरदाता के रूप में उभरने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने कहा कि नौसेना न केवल भारतीय पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि विदेशी जहाजों की सुरक्षा भी निर्धारित करती है। श्री सिंह ने कहा कि स्वतंत्र नौवहन, नियम आधारित व्यवस्था, समुद्री डकैती विरोधी अभियान और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखना भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि अन्य हितधारकों के साथ मिलकर भारतीय नौसेना क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक जहाजों, हथियारों और उपकरणों तथा अच्छी तरह प्रशिक्षित व प्रेरित नाविकों से लैस होकर हम अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र को भाईचारे एवं साझा हितों के प्रतीक के रूप में विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।

यह उद्घाटन कार्यक्रम सागर पहल की 10वीं वर्षगांठ और राष्ट्रीय समुद्री दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया है। श्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की पहल ‘महासागर’ (क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक व समग्र उन्नति) का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इससे सागर के दृष्टिकोण को और अधिक उन्नत तथा सहयोगात्मक तरीके से विस्तार करने में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि अब जबकि भारत सागर से महासागर में परिवर्तित हो चुका है, तो ऐसे में आईओएस सागर की यात्रा शुरू करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है।

रक्षा मंत्री ने 5 अप्रैल के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला, जब आज के ही दिन वर्ष 1919 में भारत का पहला व्यापारिक जहाज एसएस लॉयल्टी मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुआ था। श्री सिंह ने इसे आईओएस सागर मिशन को शुरू करने के लिए एक उपयुक्त अवसर बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि जिस दिन हम अपनी समुद्री विरासत का जश्न मना रहे हैं, उसी दिन भारत क्षेत्रीय सहयोग की अगुवाई कर रहा है।

श्री राजनाथ सिंह ने चालक दल को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आईओएस सागर सामूहिक सुरक्षा एवं विकास और समुद्री उत्कृष्टता के अपने व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करेगा।

आईओएस सागर एक अग्रणी प्रयास है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र की नौसेनाओं और समुद्री एजेंसियों को एक भारतीय नौसेना मंच पर एक साथ लाना है। यह मिशन मित्र देशों के समुद्री कर्मियों को व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने के अवसर के रूप में कार्य करेगा और समुद्री सुरक्षा में अभूतपूर्व सहयोग को उजागर करेगा।

आईएनएस सुनयना अपनी तैनाती के दौरान दार-एस-सलाम, नकाला, पोर्ट लुईस और पोर्ट विक्टोरिया का दौरा करेगा। जहाज पर सवार अंतर्राष्ट्रीय चालक दल  के सदस्य प्रशिक्षण अभ्यास करेंगे और कोच्चि में विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूलों से प्राप्त ज्ञान का इस्तेमाल करेंगे। नियोजित अभ्यास/प्रशिक्षण में अग्निशमन, क्षति नियंत्रण, विजिट बोर्ड सर्च और जब्ती, ब्रिज ऑपेरशन, नाविक कौशल, इंजन कक्ष प्रबंधन, स्विचबोर्ड संचालन व नाव चलाना शामिल हैं - ये सभी भारतीय नौसेना और उसके अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के बीच आपसी सहभागिता में सुधार लाएंगे।

आईओएस सागर, हिन्द महासागर क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस मिशन के साथ ही भारत एक बार फिर अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाने और क्षेत्र में ज्यादा सुरक्षित, अधिक समावेशी एवं सकुशल समुद्री वातावरण की दिशा में कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

प्रोजेक्ट सीबर्ड फैसिलिटीज 

इनमें जहाज, पनडुब्बियों और बंदरगाह यान के लिए डिजाइन की गई समुद्री अवसंरचना, एक आयुध घाट, मरम्मत हेतु विशेष रूप से सुसज्जित दो घाट, समुद्री उपयोगिता परिसर, नाविकों एवं रक्षा असैन्य कर्मियों की 480 आवास इकाइयों से युक्त आवासीय अवसंरचना और 25 किलोमीटर सड़क नेटवर्क, 12 किलोमीटर तूफानी जल निकासी, जलाशय, अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र व सुरक्षा निगरानी टावरों से युक्त सहायक सुविधाओं वाले केंद्र शामिल हैं।

इस तरह की सुविधाओं से पश्चिमी तट पर कार्यरत परिसंपत्तियों की सहायता को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य के लिए तैयार बल बनाए रखने में भारतीय नौसेना के प्रयासों को विस्तार मिलेगा। बुनियादी ढांचे का विकास सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिसमें 90% से अधिक सामग्री और उपकरण देश के भीतर से ही प्राप्त किए गए हैं। कारवार बेस के प्रगतिशील संचालन से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और उत्तरी कन्नड़ क्षेत्र में स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी पर्याप्त उछाल आएगा।

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एमजी/केवी/एनके


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