पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
भारत ने ब्रासीलिया में आयोजित 11वीं ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में एनडीसी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिए 'बाकू से बेलेम रोडमैप' पर एकजुट होने के लिए ब्रिक्स से आह्वान किया
भारत ने वैश्विक स्थिरता को मजबूत करने और सभी के लिए न्यायोचित परिवर्तन के लिए ब्रिक्स देशों के बीच सहयोगात्मक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर जोर दिया
Posted On:
03 APR 2025 8:16PM by PIB Delhi
आज ब्राजील के ब्रासीलिया में आयोजित 11वीं ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में भारत ने 2030 जलवायु परिवर्तन एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री अमनदीप गर्ग ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
प्रथम सत्र : सतत विकास और सभी के लिए न्यायोचित परिवर्तन की दिशा में ब्रिक्स देशों के बीच पर्यावरण सहयोग को आगे बढ़ाना
प्रथम सत्र के दौरान भारत ने वैश्विक स्थिरता और जलवायु कार्रवाई को आकार देने में ब्रिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि ब्रिक्स राष्ट्र सामूहिक रूप से दुनिया की आबादी का 47% हिस्सा हैं और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)(पीपीपी) में 36% का योगदान करते हैं, भारत ने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास से निपटने में समूह की जिम्मेदारी पर जोर दिया।
भारत ने 2021 में 7वीं ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में नई दिल्ली में जारी बयान के महत्व की पुष्टि की। इसमें अनुकूलन, उत्सर्जन (शमन) और कार्यान्वयन के साधनों को एकीकृत करके जलवायु कार्रवाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की वकालत की गई। न्यायसंगत कार्बन बजट उपयोग की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए भारत ने एक संतुलित परिवर्तन का आह्वान किया, जिसमें विकासशील देशों के विकास को प्राथमिकता देने के साथ ही स्थायित्व सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य फोकस बाकू से बेलेम रोडमैप पर था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) का समर्थन करने के लिए जलवायु वित्त में 1.3 ट्रिलियन अमरीकी डालर हासिल करना था। भारत ने ब्रिक्स साझेदारों से वैश्विक स्थिरता प्रतिबद्धताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए जलवायु वित्तपोषण तंत्र को मजबूत करने का आग्रह किया।
ऊर्जा सुरक्षा पर भारत ने ब्रिक्स नई दिल्ली घोषणा (2021) में की गई प्रतिबद्धताओं को दोहराया, जो जीवाश्म ईंधन, हाइड्रोजन, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विविध ऊर्जा मिश्रण को बढ़ावा देता है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के तहत शुरू की गई ग्रीन ग्रिड पहल-एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड को वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण के लिए एक परिवर्तनकारी परियोजना के रूप में रेखांकित किया।
भारत ने सतत लक्ष्यों को प्राप्त करने में संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था की भूमिका पर भी जोर दिया। जी20 के तहत शुरू किए गए संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन को स्थायी संसाधन प्रबंधन में वैश्विक कॉरपोरेट सहयोग के लिए एक मॉडल के रूप में उद्धृत किया गया था।
भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया कि न्यायसंगत परिवर्तन में राष्ट्रों की विविध आर्थिक वास्तविकताओं को स्वीकार किया जाना चाहिए। प्रत्येक देश के पास विकास का एक अनूठा मार्ग है। वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण में कार्यान्वयन के पर्याप्त साधनों का प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि कोई भी राष्ट्र या समाज इस परिवर्तन में पीछे न रह जाए। ब्रिक्स देशों के रूप में हमें बहुपक्षीय मंचों पर अपने जुड़ाव को मजबूत करना चाहिए, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के हितों का समर्थन करना चाहिए और एक निष्पक्ष और न्यायसंगत परिवर्तन की वकालत करनी चाहिए।
द्वितीय सत्र : जलवायु और 2030 एजेंडा के लिए सामूहिक नेतृत्व
द्वितीय सत्र में भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ब्रिक्स के पांच से ग्यारह सदस्यों का विस्तार वैश्विक जलवायु शासन में इसके नेतृत्व को मजबूत करता है। चूंकि ब्रिक्स देश मरुस्थलीकरण, प्रदूषण और जैव विविधता की हानि जैसी समान पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, इसलिए भारत ने सामूहिक अभियान और साझा जिम्मेदारी के महत्व पर बल दिया।
निष्पक्ष और न्यायसंगत जलवायु परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर देते हुए भारत ने यूएनएफसीसीसी, यूएनसीसीडी, सीबीडी और यूएनईए जैसे बहुपक्षीय मंचों पर ब्रिक्स देशों के बीच निरंतर सहयोग पर बल दिया। देश ने जलवायु वार्ता के लिए एक मौलिक दिशानिर्देश के रूप में सामान्य लेकिन विभिन्नता प्रदान करने वाली जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांत को दोहराया।
भारत ने शहरी पर्यावरणीय स्थिरता के लिए साझेदारी, स्वच्छ नदी कार्यक्रम और सतत शहरी प्रबंधन सहित प्रमुख उपक्रमों के माध्यम से स्थिरता में ब्रिक्स के नेतृत्व को भी स्वीकार किया। देश ने समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने, वायु गुणवत्ता में सुधार लाने और मुद्रण संसाधन दक्षता में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। जलवायु वित्त के संबंध में भारत ने विकसित देशों द्वारा अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि जलवायु वित्त पर नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य के तहत 2035 तक प्रति वर्ष 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रस्तावित वित्तपोषण आवश्यक 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से काफी कम है।
भारत ने ब्राजील में आयोजित होने वाले सीओपी30 के महत्व पर जोर दिया, जो वैश्विक अनुकूलन और लचीलेपन के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए एक ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा।
भारत ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक वैश्विक प्रयास, इंटरनैशनल बिग कैट अलायंस जैसी पहल का हवाला देते हुए संरक्षण और स्थिरता में अपने नेतृत्व को भी दोहराया। इसके अलावा भारत ने ब्रिक्स देशों से सामूहिक जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसी वैश्विक स्थिरता उपक्रमों में शामिल होने का आग्रह किया।
भारत ने जलवायु कार्रवाई, पर्यावरण सहयोग और सतत विकास में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए ब्रिक्स भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बैठक की मेजबानी के लिए ब्रिक्स अध्यक्ष ब्राजील के प्रति आभार व्यक्त किया और हरित, अधिक मजबूत भविष्य के लिए निरंतर सहभागिता के महत्व पर बल दिया।
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