अंतरिक्ष विभाग
संसद प्रश्न: सामाजिक विकास एवं आपदा प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग
Posted On:
03 APR 2025 5:12PM by PIB Delhi
सामाजिक विकास गतिविधियों/कार्यक्रमों में रिमोट सेंसिंग डेटा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। देश के ग्रामीण एवं दूरदराज क्षेत्रों को लक्षित करने वाले कई सरकारी कार्यक्रमों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। अंतरिक्ष आधारित इनपुट का उपयोग करने वाले प्रमुख कार्यक्रमों का विवरण निम्नलिखित है:
- मनरेगा कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी (जियो-एमजीएनआरईजीए): मनरेगा कार्यक्रम के अंतर्गत परिसंपत्तियों एवं गतिविधियों के सृजन की निगरानी सैटेलाइट डेटा, जियोपोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से की जा रही है। 6.24 करोड़ से अधिक परिसंपत्तियों/गतिविधियों को जियो-मनरेगा जियोपोर्टल पर जियो-टैग किया गया है। इसके बाद, नयी परिसंपत्तियों या गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का निर्णय लेने में सहायता प्राप्त करने के लिए युक्तधारा भू-स्थानिक नियोजन पोर्टल भी विकसित किया गया है। भू-मनरेगा परियोजना के चरण-II में मनरेगा के अंतर्गत 23 ग्राम पंचायतों (प्रत्येक राज्य में एक ग्राम पंचायत) में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन गतिविधियों के कार्यान्वयन होने से तीन वर्षों में हुए परिवर्तनों की निगरानी की गई।
- एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम: इसरो/अंतरिक्ष विभाग ने एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 1.0) के अंतर्गत लगभग 86,000 सूक्ष्म वाटरशेड की निगरानी करने के लिए भू-स्थानिक समाधान लागू किया है। इसके अंतर्गत 18 लाख से अधिक वाटरशेड विकास मध्यवर्तनों को जियोटैग किया गया है। पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 2.0 के अंतर्गत, लगभग 1150 परियोजनाओं का मूल्यांकन भुवन टूल्स के माध्यम से उच्च रिजोल्यूशन उपग्रह डेटा (कार्टोसैट 2एस एवं 3) का उपयोग करके किया गया है।
- विकेन्द्रीकृत योजना के लिए अंतरिक्ष आधारित सूचना समर्थन (एसआईएस-डीपी): इस परियोजना के दो चरणों के अंतर्गत, सुदूर संवेदन डेटा का उपयोग करके भूमि उपयोग/ भूमि आवरण, जल निकासी, बस्तियों, रेल एवं सड़क तथा ढलान पर बहुत बड़े पैमाने (1:10,000) पर देश स्तरीय विषयगत डेटाबेस तैयार किया जाता है। विज़ुअलाइज़ेशन और विश्लेषणात्मक उपकरण 'भुवन पंचायत' जियोपोर्टल (https://bhuvanpanchayat.nrsc.gov.in) पर विकासात्मक योजना तैयार करने में पंचायत/ गांव स्तर पर सहायता के लिए तैनात किए गए हैं।
- ग्रामीण सड़क अवसंरचना का मानचित्रण: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत ग्रामीण सड़कों का मानचित्रण करने के लिए भुवन पर उच्च-परिभाषा उपग्रह डेटा का उपयोग किया गया। पूरे देश के लिए ग्रामीण सड़कों का डेटाबेस तैयार किया गया है और पीएमजीएसवाई डैशबोर्ड की प्रगति की निगरानी के लिए भुवन वेब पोर्टल पर डाला गया है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना - सभी के लिए आवास (पीएमएवाई-एचएफए) और ग्रामीण परियोजना के अंतर्गत, (पीएमएवाई-एचएफए) पहल के कार्यान्वयन को सफल बनाने के लिए भुवन पोर्टल पर एक भू-स्थानिक मंच विकसित किया गया है। यह 78.64 लाख लाभार्थियों के लिए घरों के निर्माण का प्रबंधन करने, निर्माण के पांच अलग-अलग चरणों के माध्यम से प्रगति की निगरानी करने एवं परियोजना की प्रगति के आधार पर धनराशि निर्गत करने में मदद करता है।
इसरो/अंतरिक्ष विभाग के आपदा प्रबंधन सहायता कार्यक्रम (डीएमएसपी) के अंतर्गत, इसरो द्वारा संबंधित नोडल मंत्रालयों/विभागों द्वारा आपदा प्रबंधन गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष-आधारित इनपुट के उपयोग को सक्षम बनाया जाता है। अंतरिक्ष आधारित इनपुट का उपयोग खतरे, संवेदनशीलता, जोखिम (एचवीआर) आकलन, आपदा निगरानी, क्षति आकलन, तथा बाढ़, चक्रवात, भूस्खलन, भूकंप और वन आग जैसी प्रमुख आपदाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियों के विकास में किया जा रहा है। विभिन्न वैश्विक उपग्रह मिशनों के डेटा के अतिरिक्त, भारतीय पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों जैसे रिसोर्ससैट-2 और 2ए, कार्टोसैट-2 श्रृंखला, कार्टोसैट-3, ईओएस-04 (आरआईसैट-1ए), ईओएस-06 (ओशनसैट-3) और इनसैट-3डीआर और 3डीएस के डेटा का उपयोग आपदा प्रबंधन सहायता के लिए किया जा रहा है।
2024 में, उपग्रह डेटा का उपयोग करके प्रमुख बाढ़ों की निगरानी की गई और विभिन्न राज्य और केंद्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसियों को लगभग 300 बाढ़ जलभराव मानचित्र प्रदान किए गए। राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी) के भाग के रूप में, इसरो ने गोदावरी एवं तापी नदियों के लिए स्थानिक बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की। बाढ़ की चेतावनियां भुवन-एनएचपी और एनडीईएम जियोपोर्टल के माध्यम से और आंध्र प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भी 2 दिन के लीड टाइम और 85% सटीकता के साथ भेजी गयी। जुलाई 2024 में वायनाड (केरल) भूस्खलन के पैमाने का आकलन करने के लिए भारत के आरआईसैट उपग्रह से प्राप्त अति उच्च रिज़ॉल्यूशन डेटा का उपयोग किया गया। वर्ष 2024 में उष्णकटिबंधीय चक्रवात रेमल, असना, दाना और फेंगल की निगरानी इनसैट-3डीआर, इनसैट-3डीएस और ओशनसैट-3 डेटा से की गई। 2024 में, भारतीय वन में अग्नि मौसम के दौरान प्रतिदिन 6 से 8 बार उपग्रह डेटा का उपयोग करके सक्रिय वन अग्नि का पता लगाया गया और 2025 में अग्नि मौसम के लिए गतिविधियां चल रही है।
यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सभा में लिखित उत्तर में दी।
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एमजी/आरपीएम/केसी/एके /डीए
(Release ID: 2118424)
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