जनजातीय कार्य मंत्रालय
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अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची को निर्दिष्ट करने वाले आदेशों में शामिल करने, बहिष्कृत करने और अन्य संशोधनों के दावों पर निर्णय लेने की पद्धति

Posted On: 02 APR 2025 4:03PM by PIB Delhi

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गा दास उइके ने आज राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार ने 15.6.1999 को (25.6.2002 और 14.9.2022 को आगे संशोधित) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची को निर्दिष्ट करने वाले आदेशों में शामिल करने, बहिष्कृत करने और अन्य संशोधनों के दावों को तय करने के तौर-तरीके (पद्धति) निर्धारित किए हैं।

तौर-तरीकों के अनुसार, केवल उन प्रस्तावों पर विचार किया जाना है और कानून में संशोधन किया जाना है जिन्हें संबंधित राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा अनुशंसित और उचित ठहराया गया है और भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) द्वारा सहमति व्यक्त की गई है। प्रस्तावों पर सभी कदम इन अनुमोदित तौर-तरीकों के अनुसार उठाए जाते हैं। मामले को आगे बढ़ाने के लिए संबंधित राज्य सरकार की सिफारिश पूर्व-अपेक्षित है।

किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किए जाने के प्रस्ताव के लिए तौर-तरीकों के अनुसार कुछ प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। राज्य सरकार से प्राप्त प्रस्तावों के साथ मानव-जाति विज्ञान (एथनोग्राफिक) रिपोर्ट भी होनी चाहिए। प्रस्तावों की जांच आरजीआई के कार्यालय और फिर एनसीएसटी द्वारा की जाती है। प्रस्ताव के आरजीआई द्वारा अनुशंसित नहीं होने की स्थिति में, राज्य सरकारों को आरजीआई द्वारा उठाए गए बिंदुओं के बारे में सूचित किया जाता है, ताकि राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त जानकारी, यदि कोई हो, प्रस्तुत की जा सके। इसलिए ऐसे कई प्रस्ताव विभिन्न स्तरों पर जांच के अधीन रह सकते हैं।

 

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(Release ID: 2118004)
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