मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
मछली पकड़ने के तरीकों को बढ़ावा देना
Posted On:
01 APR 2025 3:45PM by PIB Delhi
‘मात्स्यिकी’ राज्य का विषय है। 12 समुद्री मील तक के टेरिटोरियल वाटर्स (समुद्री सीमा) में मात्स्यिकी नियंत्रण राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है पर एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) और उससे आगे के क्षेत्रों में मात्स्यिकी केंद्र सरकार का विषय है। मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा अधिसूचित ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति, 2017’ (एनपीएमएफ, 2017) देश में समुद्री संसाधनों के सतत (सस्टेनेबल) उपयोग के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के लिए लागू किए गए संरक्षण और प्रबंधन उपायों में अन्य बातों के साथ-साथ 61 दिनों के लिए मछली पकड़ने पर वार्षिक प्रतिबंध, हानिकारक फिशिंग प्रैक्टिसिस पर प्रतिबंध जैसे कि पेयर्ड बॉटम ट्रॉलिंग या बुल ट्रॉलिंग और फिशिंग में आरटिफ़िशियल और एलईडी लाइटों का उपयोग, समुद्री संरक्षित क्षेत्र (एमपीए) और एन्डेन्जर्ड, थ्रेटन्ड और प्रोटेक्टेड (ईटीपी) प्रजातियों की सुरक्षा, ट्रॉल नेट में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (टीईडी), फिशिंग गियर और मेश-साइज़ के नियम, मिनिमम लीगल साइज़ (एमएलएस), स्पेशियल -टेम्पोरल प्रतिबंध, और तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मत्स्यन क्षेत्रों का ज़ोनेशन आदि शामिल हैं।
मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और सामाजिक रूप से समावेशी मात्स्यिकी क्षेत्र की दृष्टि से एक प्रमुख योजना “प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)” को लागू कर रही है, जो मछुआरों की आर्थिक समृद्धि और कल्याण में एक सतत और जिम्मेदार तरीके से योगदान देती है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत, फिश स्टॉक को बढ़ाने और मछुआरों की आजीविका में सहायता प्रादन करने के लिए भारत के पूरे समुद्र तट पर पहली बार सरकार द्वारा सी रेंचिंग और आरटीफ़िशियल रीफ़्स की स्थापना जैसी गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान कि जा रही है। इसके अलावा, सी वीड कल्टिवेशन, ओपेन सी केज कल्चर, बाइवाल्व कल्चर और ओरनामेनटल फिशरीज़ जैसी गतिविधियों को भी पीएमएमएसवाई के अंतर्गत बढ़ावा दिया जाता है ताकि निकटवर्ती जल (नियरशोर वॉटर) में मत्स्यन दबाव को कम किया जा सके और समुद्री उत्पादन को बढ़ाया जा सके। जुवेनाइल फिशिंग को रोकने और सस्टेनेबल फिशिंग प्रेक्टीसेस को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह भी जारी की जाती है।
पीएमएमएसवाई सहित सरकारी योजनाओं का उद्देश्य विकास और आधुनिकीकरण के माध्यम से पोस्ट-हारवेस्ट हानि को कम करना, फिशरीज़ पोस्ट-इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, वैल्यू चैन और मारकेटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, जिसमें फिशिंग हारबर/फिश लैंडिंग सेंटर का निर्माण/आधुनिकीकरण और उन्नयन, मार्केट्स और मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना, ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज सुविधाओं की कोल्ड-चेन प्रदान करना शामिल है। विगत 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने लगभग 48,000 फिशिंग वेसेल्स की सुरक्षित लैंडिंग और बर्थिंग के लिए कुल 9,735.89 करोड़ रुपए की लागत से 67 फिशिंग हारबर और 50 फिश लैंडिंग सेंटर के निर्माण/आधुनिकीकरण की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिससे 9 लाख मछुआरों और संबंधित हितधारकों को लाभ हुआ है। इसके अलावा, भारत सरकार ने रियायती वित्त प्रदान करने के लिए 2018-19 में 7522.48 करोड़ रुपए के कोष के साथ ‘फिशरीज़ एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड’ (एफआईडीएफ) नामक एक समर्पित कोष भी बनाया है। भारत सरकार ने प्रसंस्करण सुविधाओं सहित ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में सुधार के लिए भी सहायता की है। इसमें 27,189 फिश ट्रांसपोर्टेशन सुविधाएं, 6,916 फिश रीटेल मार्केट्स, होलसेल मार्केट्स और फिश कियोस्क, 11 एकीकृत एक्वापार्क, 1,725 फिश फ़ीड मिल/प्लांट और आइस प्लांट/कोल्ड स्टोरेज और 128 वैल्यू ऐडीड एंटरप्राइज़ इकाइयां शामिल हैं। IoT (इंटेरनेट ऑफ थिंग्स), ई-ट्रेडिंग, ग्रीन टेक्नोलोजी, लॉजिस्टिक सप्लाइ चैन इंटिग्रेशन आदि जैसी सुविधाओं के साथ तीन आधुनिक और स्मार्ट फिश मारकेट्स विकसित किए जा रहे हैं।
मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार मछुआरों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की दिशा में पीएमएमएसवाई के अंतर्गत विभिन्न कदम उठा रही है, जिसमें मत्स्यन प्रतिबंध और लीन अवधि के दौरान ~5.94 लाख मछुआरे परिवारों को सालाना आजीविका और पोषण सहायता प्रदान करना शामिल है। इसके अलावा, समूह दुर्घटना बीमा योजना कवर को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया, जिससे 32.16 लाख मछुआरे लाभान्वित हुए। 2,195 मात्स्यिकी किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) की स्थापना के माध्यम से मात्स्यिकी सहकारी समितियों और उद्यमिता के सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी गई है। इसके अतिरिक्त, 63 एफएफपीओ को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) में एकीकृत किया गया है, जिससे बाजारों तक पहुंच और उचित मूल्य निर्धारण में सुधार हुआ है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत, पारंपरिक मछुआरों को डीप-सी फिशिंग वेसेल्स के अधिग्रहण, निर्यात क्षमता के लिए मौजूदा फिशिंग वेसेल्स के अपग्रेड़ेशन, बेहतर कैच के लिए पारंपरिक मछुआरों द्वारा बोट्स और नेट्स की खरीद, समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वेस्सल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम और सुरक्षा किट के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।
सरकार ने फिश स्टॉक बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे मानसून के मौसम में एक समान मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाना, डिस्ट्रक्टिव फिशिंग मेथड्स पर प्रतिबंध लगाना, जुवेनाइल फिशिंग को हतोत्साहित करना, आरटिफ़िशियल रीफ़्स स्थापित करना, सी रेंचिंग को बढ़ावा देना, मत्स्यन दबाव को कम करने के लिए तटीय समुदायों को वैकल्पिक/अतिरिक्त आजीविका प्रदान करना आदि। विशेषज्ञों की समिति द्वारा नियमित अंतराल पर भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में फिश स्टॉक की स्थिति का पता लगाने और मत्स्य संसाधनों की क्षमता के पुनर्मूल्यांकन के लिए मत्स्य संसाधनों की क्षमता का अनुमान लगाया जाता है। भारत के समुद्री क्षेत्रों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कानूनों, विनियमों और नीतियों के कार्यान्वयन के माध्यम से सतत मात्स्यिकी (सस्टेनेबल फिशरीस) सुनिश्चित कि जाती है। आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज़ रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) द्वारा प्रकाशित भारत के मरीन फिश स्टॉक की स्थिति 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जल में मरीन फिश स्टॉक अच्छी स्थिति में हैं और 2022 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन किए गए 135 फिश स्टॉक में से 91.1% ठीक स्थिति (सस्टेनेबल) में पाए गए।
एनपीएमएफ, 2017 में अन्य बातों के साथ-साथ मछुआरा समुदाय को सहायता प्रदान करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (एसटी) के इष्टतम उपयोग की सिफारिश की गई है। मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से मछुआरों के लाभ के लिए विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए आईटी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (एसटी) के उपयोग को बढ़ावा दिया है, जैसे कि मछुआरों को रियल-टाइम में पोटेंशियल फिशिंग जोन (पीएफजेड) की सलाह और मौसम का पूर्वानुमान प्रदान करना, वेस्सल मोनिट्रिंग सिस्टम /ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम का उपयोग, मछुआरों को उनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा किट प्रदान करना। समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वेस्सल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम (वीसीएसएस) प्रदान की जाती है। बायकैच समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को कमजोर कर सकता है, इसलिए, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार मछुआरों को टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (टीईडी) की स्थापना के लिए केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 60% केंद्रीय अंश और 40% राज्य अंश के अनुपात में 100% वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, जिसमें मछुआरे/लाभार्थी का कोई हिस्सा नहीं है।
सम्पूर्ण भारत में मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों की उपलब्धता, सतत और जिम्मेदार मत्स्यन विधियों को बढ़ावा देने, मात्स्यिकी संसाधनों के संरक्षण और इष्टतम उपयोग, जल कृषि को बढ़ावा देने और पोस्ट-हारवेस्ट हानि को कम करने के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है। इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रही है, जो अन्य बातों के साथ-साथ मात्स्यिकी संसाधनों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देती है, बढ़ती आबादी के लिए पोषण के एक किफायती स्रोत के रूप में मत्स्य की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, खासकर कम आय वाले क्षेत्रों में।
यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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