जल शक्ति मंत्रालय
संसद प्रश्न: जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पेयजल परियोजनाएं
Posted On:
24 MAR 2025 12:15PM by PIB Delhi
अगस्त, 2019 से भारत सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन (जेजेएम) को कार्यान्वित कर रही है ताकि देश के प्रत्येक ग्रामीण घर को नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में निर्धारित गुणवत्ता से युक्त पीने योग्य नल का पानी उपलब्ध कराया जा सके।
अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय देश में केवल 3.23 करोड़ (16.8 प्रतिशत) ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन होने की सूचना थी। तब से, राज्यों/केन्द्र- शासित प्रदेशों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 16.03.2025 तक जेजेएम के तहत लगभग 12.29 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण घरों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार, 16.03.2025 तक देश के कुल 19.37 करोड़ ग्रामीण घरों में से 15.52 करोड़ (80.19 प्रतिशत) से अधिक घरों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं।
जल राज्य का विषय है। पेयजल आपूर्ति की योजनाओं का नियोजन, अनुमोदन, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) की जिम्मेदारी राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों की सरकारों की है। भारत सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों की सहायता करती है।
जेजेएम के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों का समग्र रूप से समाधान करने और उन पर काबू पाने हेतु भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में अन्य बातों के साथ-साथ पूंजी निवेश की परियोजनाओं के लिए 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता के लिए वित्त मंत्रालय के माध्यम से पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता का कार्यान्वयन; राज्यों को वैधानिक/अन्य मंजूरी प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करने के लिए केन्द्रीय नोडल मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों के साथ समन्वय करने के लिए विभाग में एक नोडल अधिकारी को नामित करना आदि शामिल हैं ताकि परियोजना के कार्यान्वयन में किसी भी अनावश्यक देरी से बचा जा सके।
गांवों में जलापूर्ति प्रणाली को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करने हेतु विश्वसनीय पेयजल स्रोतों का विकास और/या मौजूदा स्रोतों का संवर्धन, जेजेएम का एक अभिन्न अंग है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, जेजेएम के कार्यान्वयन से जुड़ी संचालन संबंधी दिशानिर्देशों में निम्नलिखित प्रावधान शामिल किए गए हैं:
- जेजेएम के तहत शुरू की गई किसी भी जलापूर्ति योजना को संबंधित राज्य सरकार की स्रोत खोज समिति की सिफारिश के बाद ही मंजूरी दी जाती है। उक्त समिति की सिफारिश में यह बताया जाता है कि जिस पहचाने गए जल स्रोत के माध्यम से इस योजना की योजना बनाई गई है, उसमें योजना की डिजाइन अवधि के लिए आवश्यक मानदंड के अनुसार जलापूर्ति बनाए रखने हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध है।
- गांव के भीतर जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण के अलावा पानी की कमी वाले सूखाग्रस्त व रेगिस्तानी क्षेत्रों में जहां भरोसेमंद भूजल स्रोत नहीं हैं, वहां पानी के बड़े पैमाने पर हस्तांतरण, शोधन एवं वितरण प्रणालियों के लिए पेयजल स्रोतों तथा बुनियादी ढांचे का विकास/सुदृढ़ीकरण/संवर्द्धन करना।
- एमजीएनआरईजीएस, ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को वित्त आयोग का अनुदान, सांसद व विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, जिला खनिज विकास निधि, सीएसआर निधि आदि जैसी अन्य योजनाओं के साथ समन्वय करके पेयजल स्रोतों को मजबूत करना।
जल शक्ति अभियान (जेएसए) के तहत एक विशेष पहल ‘जल संचय जन भागीदारी (जेएसजेबी): कैच द रेन (सीटीआर)’ अभियान 6 सितंबर, 2024 को शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य समुदाय द्वारा संचालित जल संरक्षण के सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा देना है और स्थानीय समुदायों, उद्योगों तथा अन्य हितधारकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करते हुए कम लागत वाली वैज्ञानिक रूप से डिजाइन की गई कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के माध्यम से जल प्रबंधन को उन्नत करने पर ध्यान केन्द्रित करना है।
जेजेएम के अंतर्गत, मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, भारतीय मानक ब्यूरो के बीआईएस:10500 मानकों को पाइप जलापूर्ति योजनाओं के माध्यम से आपूर्ति किए जा रहे पानी की गुणवत्ता के लिए मानक (बेंचमार्क) के रूप में अपनाया जाता है।
जेजेएम-आईएमआईएस पर राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आज की तारीख में देश में 314 आर्सेनिक और 251 फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण बस्तियां हैं तथा इन सभी बस्तियों को सीडब्ल्यूपीपी/आईएचपी के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया गया है। इस प्रकार, देश के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित सभी बस्तियों को आर्सेनिक एवं फ्लोराइड संदूषण से मुक्त सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया गया है। जेजेएम की शुरुआत के बाद से, 13,706 आर्सेनिक प्रभावित और 7,745 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को पाइप द्वारा जलापूर्ति के जरिए कवर किया गया है।
मार्च 2023 में पेयजल के शोधन से जुड़ी प्रौद्योगिकियों से संबंधित एक पुस्तिका जारी की गई थी, जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों के बीच उपलब्ध नई प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी का प्रसार करना था ताकि जल-गुणवत्ता प्रभावित गांवों में स्थानीय समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान करने वाली प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके पेयजल शोधन संयंत्रों के प्रदर्शन एवं कार्यान्वयन को बेहतर बनाया जा सके। राज्य तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता के आधार पर जल शोधन की उपयुक्त प्रणाली अपना सकते हैं।
विभिन्न हितधारकों के परामर्श से, दिसंबर 2024 में राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के मार्गदर्शन हेतु "ग्रामीण घरों को पाइप के जरिए की जा रही पेयजल आपूर्ति की जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए संक्षिप्त पुस्तिका" जारी की गई है। इस पुस्तिका में नमूना संग्रह की बिंदुओं की पहचान करना, परीक्षण संबंधी मानदंड, परीक्षण की आवृत्ति एवं नमूनों की संख्या, नमूना तैयार करने में लगने वाला समय और संदूषण के लिए उपचारात्मक कार्रवाई जैसी जल की गुणवत्ता की परीक्षण पद्धति की सिफारिश की गई है।
शहरी क्षेत्रों के संबंध में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) के तहत 4,734 एमएलडी की जल शोधन क्षमता सृजित की गई है। इसी प्रकार, अमृत 2.0 के तहत अब तक 10,674 जल शोधन क्षमता वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
जलशक्ति राज्यमंत्री श्री वी. सोमन्ना द्वारा यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी गई।
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