रक्षा मंत्रालय
जीएसएल द्वारा निर्मित परियोजना 1135.6 के दूसरे जलपोत का जलावतरण किया गया
रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने कहा - इस जलपोत के जलावतरण से भारत की तकनीकी क्षमताओं और आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट वचनबद्धता का पता चलता है
Posted On:
22 MAR 2025 5:34PM by PIB Delhi
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) द्वारा परियोजना 1135.6 के अतिरिक्त अनुवर्ती जहाजों की श्रृंखला के दूसरे जलपोत का जलावतरण किया गया। इसका नाम ‘तवस्या’ है और रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ तथा एफओसी-इन-सी पश्चिम वाइस एडमिरल संजय जे सिंह की उपस्थिति में आज 22 मार्च, 2025 को गोवा स्थित जीएसएल में श्रीमती नीता सेठ द्वारा इसे जलावतरित किया गया। ये युद्धपोत पी1135.6 जहाजों के अनुवर्ती हैं, जिनका निर्माण अब भारतीय शिपयार्ड द्वारा स्वदेशी तौर पर किया जा रहा है।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए रक्षा राज्य मंत्री ने भारतीय नौसेना की बढ़ती आत्मनिर्भरता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह सफलता भारत के नौसैन्य इतिहास में एक निर्णायक क्षण है, जो हमारी तकनीकी क्षमताओं एवं आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
रक्षा राज्य मंत्री ने जोर देकर कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, टारपीडो लांचर, सोनार और सहायक नियंत्रण प्रणालियों जैसे महत्वपूर्ण घटकों का सफल स्थानीयकरण भारत के जहाज निर्माण इकोसिस्टम के बढ़ते लचीलेपन को प्रदर्शित करता है। तवस्या का जलावतरण न केवल भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि भारत की रणनीतिक रक्षा महत्वाकांक्षाओं की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
इस पोत का नाम ‘तवस्या ’ रखा गया है, जो ‘महाभारत’ के महान योद्धा ‘भीम’ की गदा के नाम पर है। यह भारतीय नौसेना की अदम्य भावना और बढ़ते सामर्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है।
रक्षा मंत्रालय और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच 25 जनवरी 2019 को दो प्रोजेक्ट 1135.6 फॉलो-ऑन फ्रिगेट के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। पहला जहाज ‘त्रिपुट’ 23 जुलाई, 2024 को जलावतरित किया गया था। इन जहाजों को सतह, उप-सतह और हवाई युद्ध संचालन के लिए तैयार किया गया है। ‘त्रिपुट’ और ‘तवस्या’ 124.8 मीटर लंबे तथा 15.2 मीटर चौड़े हैं और इनका ड्राफ्ट 4.5 मीटर का है। इसका विस्थापन लगभग 3600 टन है और अधिकतम गति 28 नॉट्स है।
‘त्रिपुट’ व ‘तवस्या’ में स्वदेशी उपकरण, हथियार और सेंसर को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है, जिससे भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन सुनिश्चित होता है। आत्मनिर्भरता से देश के भीतर रोजगार और क्षमता में वृद्धि सुनिश्चित होती है। ये जहाज रडार से बच निकलने में सक्षम हुए कई सुविधाओं, उन्नत हथियार एवं सेंसर व प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणालियों से भी सुसज्जित हैं।
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