वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
पीएलआई योजना घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है, उत्पादन बढ़ाती है, नए रोजगार सृजित करती है और निर्यात को बढ़ावा देती है
पीएलआई योजना से 1.61 लाख करोड़ रुपये का निवेश, 14 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन, 5.31 लाख करोड़ रुपये का निर्यात और 11.5 लाख नौकरियां पैदा हुईं
इसके 14 क्षेत्रों में 176 एमएसएमई लाभार्थियों के साथ 764 आवेदन स्वीकृत किए गए
Posted On:
22 MAR 2025 4:10PM by PIB Delhi
भारत के आत्मनिर्भर बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। भारत में विभिन्न क्षेत्रों में पीएलआई योजनाओं का प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है। इन योजनाओं ने घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया है, जिससे उत्पादन, रोजगार सृजन और निर्यात में वृद्धि हुई है। उन्होंने घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों से महत्वपूर्ण निवेश भी आकर्षित किया है।
आजतक 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई है। बल्क ड्रग्स, मेडिकल डिवाइस, फार्मा, टेलीकॉम, व्हाइट गुड्स, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में पीएलआई लाभार्थियों में 176 एमएसएमई शामिल हैं।
नवंबर 2024 तक लगभग 1.61 लाख करोड़ रुपये (US$ 18.72 बिलियन) का वास्तविक निवेश दर्ज किया गया है, जिससे वित्त वर्ष 2024-25 तक 15.52 लाख करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 14 लाख करोड़ रुपये (लगभग US$ 162.84 बिलियन) का उत्पादन/बिक्री उत्पन्न हुई है और 11.5 लाख से अधिक (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) रोजगार सृजित हुए हैं।
पीएलआई योजनाओं ने भारत के निर्यात बास्केट को पारंपरिक वस्तुओं से बदलकर उच्च मूल्यवर्धित उत्पादों (वीएपी) जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार सामान, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद आदि में बदल दिया है। पीएलआई योजनाओं के तहत निर्यात 5.31 लाख करोड़ रुपये (लगभग 61.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक हो गया है, जिसमें बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण एवं दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों जैसे क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है।
पीएलआई योजनाओं के अंतर्गत 10 क्षेत्रों अर्थात बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (एलएसईएम), आईटी हार्डवेयर, बल्क ड्रग्स, चिकित्सा उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, व्हाइट गुड्स, ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक तथा ड्रोन और ड्रोन घटक के लिए लगभग 14020 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि वितरित की गई।
पारदर्शी तंत्र के माध्यम से अलग-अलग मामलों को समय-समय पर मंजूरी दी गई है। परियोजनाओं को विनिर्माण की प्रकृति के आधार पर 2 वर्ष से 3 वर्ष की अवधि में क्रियान्वित किया जाता है और आमतौर पर उत्पादन के पहले वर्ष के बाद दावे किए जाते हैं। इसलिए अधिकांश परियोजनाएं कार्यान्वयन चरण में हैं और नियत समय में प्रोत्साहन दावे दायर किए जाएंगे।
स्पेशियलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना में प्रतिबद्ध 27,106 करोड़ रुपये में से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश कंपनियों द्वारा किया गया है और इन परियोजनाओं ने 9000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया है। उद्योग को अब तक 48 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन जारी किया गया है। इस्पात मंत्रालय का अनुमान है कि योजना अवधि के अंत तक 2,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन वितरित किया जाएगा। 58 में से 14 परियोजनाएं कंपनी की व्यावसायिक योजनाओं में बदलाव और परियोजना निष्पादन में देरी के कारण योजना से हट गईं।
गौरतलब है कि स्पेशियलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के दूसरे दौर में 35 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इन कंपनियों ने 25,200 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। इस्पात मंत्रालय इन कंपनियों के चयन और उनके साथ समझौता ज्ञापन (एमओयूएस) पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में है। इन परियोजनाओं को 3,600 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन वितरित किए जाने का अनुमान है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए पीएलआई योजना के तहत, बाजरा के लिए दावे दाखिल करने की समय सीमा 30 नवंबर और अन्य श्रेणियों के लिए 31 दिसंबर है। अधिकांश स्वीकृत लाभार्थी दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में अपने दावे प्रस्तुत करते हैं, जिसके बाद उनका निपटान किया जाता है और जनवरी से मार्च के बीच उसका भुगतान होता है। इसलिए, अप्रैल से अक्टूबर के बीच प्रोत्साहन भुगतान का आकलन करना सटीक प्रतिनिधित्व प्रदान नहीं करता है। वित्त वर्ष 2022-23 के दावे वर्ष के लिए 474 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन वितरित किया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, भुगतान लक्ष्य 700 करोड़ रुपये है, जिसे प्राप्त करने की दिशा में काम चल रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएफआई) में वर्तमान में सभी श्रेणियों में 171 सक्रिय लाभार्थी हैं। इस बड़ी संख्या को देखते हुए, छह लाभार्थियों का वापस लौटना महत्वपूर्ण नहीं है। इसके अलावा इन आवेदकों ने मुख्य रूप से विदेशों में ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर अपने प्रतिबद्ध निवेश या व्यय को पूरा करने में असमर्थता के कारण वापस ले लिया।
पीएलआई योजना ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव डाला है:
- वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति को मजबूत करना : भारत अब उन्नत/मध्यवर्ती उत्पादों और घटकों का आयातक होने के बजाय प्रमुख वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का हिस्सा है।
- चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के तहत, 19 ग्रीन-फील्ड परियोजनाएं चालू की गई हैं और 44 उत्पादों का उत्पादन शुरू हो गया है, जिनमें उच्च श्रेणी के चिकित्सा उपकरण जैसे कि लीनियर एक्सेलेरेटर, एमआरआई मशीन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म्स, अल्ट्रासाउंड मशीन आदि शामिल हैं, जिन्हें पहले देश में आयात किया जाता था।
- व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी लाइट) के लिए पीएलआई योजना के तहत 84 कंपनियां 10,478 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही हैं, जिससे एसी और एलईडी सेगमेंट में घरेलू क्षमता मजबूत होगी। एसी के लिए चयनित कंपनियां कंप्रेसर, कॉपर ट्यूब जैसे अन्य घटकों का निर्माण करेंगी।
- इसी प्रकार, एलईडी लाइट्स, एलईडी चिप पैकेजिंग, एलईडी ड्राइवर्स, एलईडी इंजन, एलईडी लाइट प्रबंधन प्रणाली और कैपेसिटर के लिए मेटलाइज्ड फिल्में आदि का आयात करने के बजाय भारत में ही निर्माण किया जाएगा।
- घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना : अधिकाधिक कम्पनियां भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित कर रही हैं, जिनमें एमएसएमई और स्टार्टअप भी शामिल हैं।
- ड्रोन क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है। ड्रोन घटकों के लिए पीएलआई योजना के तहत कारोबार सात गुना बढ़ा है। एमएसएमई और स्टार्टअप द्वारा संचालित इस सफलता ने महत्वपूर्ण निवेश और रोजगार सृजन को आकर्षित किया है, जिससे भारत ड्रोन निर्माण में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित हुआ है।
- भारत ने दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना के तहत दूरसंचार उत्पादों में 60 प्रतिशत आयात प्रतिस्थापन हासिल किया है। वैश्विक तकनीकी कंपनियों ने विनिर्माण इकाइयां स्थापित की हैं, जिससे भारत 4 जी और 5 जी दूरसंचार उपकरणों का एक प्रमुख निर्यातक बन गया है।
- निर्यात बढ़ाना और आयात कम करना : भारत एक उन्नत औद्योगिक, विनिर्माण-आधारित अर्थव्यवस्था बनने और आत्मनिर्भर बनने के अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है।
- भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र पीएलआई योजना के अंतर्गत फल-फूल रहा है तथा मोबाइल फोन का शुद्ध आयातक से शुद्ध निर्यातक बन गया है।
- वैश्विक दवा बाजार में भारत की स्थिति का विस्तार हुआ है और यह मात्रा के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा देश है। अब निर्यात उत्पादन का 50 प्रतिशत है और देश ने पेनिसिलिन-जी जैसी प्रमुख थोक दवाओं का निर्माण करके आयात पर निर्भरता कम कर दी है।
पीएलआई योजनाओं का उद्देश्य प्रमुख क्षेत्रों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश आकर्षित करना; दक्षता सुनिश्चित करना और विनिर्माण क्षेत्र में आकार और पैमाने की अर्थव्यवस्था लाना तथा भारतीय कंपनियों और निर्माताओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। इन योजनाओं में अगले पाँच वर्षों में उत्पादन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने, विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ाने और आर्थिक विकास में योगदान देने की क्षमता है।
पीएलआई योजना का उद्देश्य विनिर्माण इकोसिस्टम बनाने के लिए शुरुआत और एक आधार तैयार करना है। पीएलआई योजनाओं के तहत पहचाने गए सभी स्वीकृत क्षेत्र उन प्रमुख प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने के व्यापक मानदंडों का पालन करते हैं, जहां भारत रोजगार, निर्यात और अर्थव्यवस्था के लिए समग्र आर्थिक लाभ को बढ़ा सकता है। उल्लेखनीय है कि इन क्षेत्रों को नीति आयोग द्वारा जांचने और संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद मंजूरी दी गई है।
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