स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
Posted On:
21 MAR 2025 4:01PM by PIB Delhi
पीएम-एबीएचआईएम स्वास्थ्य केंद्रों, क्रिटिकल केयर बेड्स, ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों और एकीकृत जिला प्रयोगशालाओं में निवेश के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है, तथा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच पर ध्यान केंद्रित कर रहा है
वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा स्थानीय सरकारों को अनुदान की सिफारिश की गई
पीएमएसएसवाई का उद्देश्य किफायती तृतीयक स्वास्थ्य सेवा में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करना और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाएं बढ़ाना है
एनएचएम के तहत प्रोत्साहन और मानदेय के प्रावधान डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चिकित्सा सुविधाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित होती है
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) के रूप में प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना और चिकित्सा कर्मियों की भर्ती सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। भारत सरकार मानदंडों और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार कार्यवाही के रिकॉर्ड (आरओपी) के रूप में प्रस्ताव के लिए अनुमोदन प्रदान करती है।
इसके अलावा, भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं:
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य और अन्य स्वास्थ्य सुधारों में निवेश बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। इसके तहत i) रोगों का शीघ्र पता लगाने के लिए गांवों और शहरों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को मजबूत बनाया जाएगा; ii) जिला स्तर के अस्पतालों में नए क्रिटिकल केयर संबंधित बिस्तरों को जोड़ा जाएगा; iii) 11 उच्च फोकस वाले राज्यों में ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों (बीपीएचयू) के लिए सहायता; और iv) सभी जिलों में एकीकृत जिला सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
पंद्रहवें वित्त आयोग (एफसी-XV) ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की सुविधा के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पांच साल की अवधि में स्वास्थ्य क्षेत्र के विशिष्ट घटकों के लिए स्थानीय सरकारों के माध्यम से अनुदान की सिफारिश की है।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) का उद्देश्य किफायती तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करना और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को बढ़ाना है। इस योजना के दो घटक हैं: i) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना; और (ii) मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों (जीएमसीआई) का अपग्रेडेशन।
केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तहत, ' मौजूदा जिला/रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना ', वंचित क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता देते हुए, जहां कोई मौजूदा सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं है। केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच निधि साझाकरण तंत्र पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में है, तथा अन्य के लिए 60:40 के अनुपात में है।
एनएचएम के तहत, देश के सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में अभ्यास करने के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को प्रोत्साहित करने हेतु निम्नलिखित प्रकार के प्रोत्साहन और मानदेय प्रदान किए जाते हैं:
ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सेवा करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों को हार्ड एरिया भत्ता और उनके आवासीय क्वार्टरों के लिए भत्ता, ताकि उन्हें ऐसे क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सेवा करना आकर्षक लगे।
ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सिजेरियन सेक्शन करने के लिए विशेषज्ञों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञों / आपातकालीन प्रसूति देखभाल (ईएमओसी), बाल रोग विशेषज्ञों और एनेस्थेटिस्ट / जीवन रक्षक एनेस्थीसिया कौशल (एलएसएएस) प्रशिक्षित डॉक्टरों को मानदेय भी प्रदान किया जाता है।
डॉक्टरों के लिए विशेष प्रोत्साहन, समय पर प्रसवपूर्व जांच (एएनसी) और रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करने के लिए सहायक नर्स और दाई (एएनएम) के लिए प्रोत्साहन, किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य गतिविधियों के संचालन के लिए प्रोत्साहन।
राज्यों को विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए बातचीत योग्य वेतन की पेशकश करने की भी अनुमति है, जिसमें "आप बोली लगाएं, हम भुगतान करें" जैसी रणनीतियों में लचीलापन शामिल है।
एनएचएम के अंतर्गत गैर-मौद्रिक प्रोत्साहन जैसे कि दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अधिमान्य प्रवेश तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आवास व्यवस्था में सुधार भी शुरू किया गया है।
विशेषज्ञों की कमी को दूर करने के लिए एनएचएम के तहत डॉक्टरों के बहु-कौशल को समर्थन दिया जाता है। स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने के लिए एनआरएचएम के अंतर्गत मौजूदा मानव संसाधन का कौशल उन्नयन एक अन्य प्रमुख रणनीति है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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