इस्पात मंत्रालय
हरित इस्पात विनिर्माण को अपनाना
Posted On:
21 MAR 2025 1:53PM by PIB Delhi
देश में हरित इस्पात विनिर्माण को अपनाने के लिए सरकार द्वारा वित्तीय सहायता सहित उठाए गए विशिष्ट उपाय इस प्रकार हैं:-
i. मंत्रालय ने कम उत्सर्जन वाले इस्पात को परिभाषित करने और वर्गीकृत करने के लिए मानक प्रदान करने के लिए हरित इस्पात का वर्गीकरण जारी किया है।
ii. इस्पात मंत्रालय ने इस उद्देश्य के लिए गठित 14 टास्क फोर्स की सिफारिशों के अनुरूप "भारत में इस्पात क्षेत्र को हरित बनाना: रोडमैप और कार्य योजना" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जो 2070 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य की ओर हरित इस्पात और स्थिरता के लिए भविष्य का रोडमैप प्रदान करती है। रिपोर्ट इस्पात मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
iii. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत वित्त वर्ष 2029-30 तक इस्पात क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए इस्पात मंत्रालय को 455 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस्पात मंत्रालय ने इस मिशन के तहत कोयला/कोक की खपत को कम करने के लिए वर्टिकल शाफ्ट में 100% हाइड्रोजन का उपयोग करके डीआरआई का उत्पादन करने के लिए दो पायलट परियोजनाएं और मौजूदा ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए एक पायलट परियोजना प्रदान की है।
iv. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जनवरी, 2010 में शुरू किया गया राष्ट्रीय सौर मिशन सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है तथा इस्पात उद्योग के उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है।
इस्पात मंत्रालय के सीपीएसई ऑस्ट्रेलिया से मेसर्स बीएचपी, जर्मनी से मेसर्स एसएमएस, ब्रिटेन से मेसर्स प्राइमेटल टेक्नोलॉजीज, बेल्जियम से मेसर्स जॉन कॉकरिल इंडिया लिमिटेड, मद्रास से मेसर्स राम चरण कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, आईआईटी बॉम्बे के कार्बन कैप्चर और उपयोग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई-सीसीयू) और ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसे प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ मिलकर कम कार्बन वाले स्टील उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं।
यह जानकारी इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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