कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गईं पहल
Posted On:
18 MAR 2025 6:08PM by PIB Delhi
सरकार सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर) योजना लागू की जा रही है। दोनों ही योजनाएं जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर कटाई के बाद प्रबंधन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण तक हर संभव सहायता देने पर जोर देती हैं। पीकेवीवाई और एमओवीसीडीएनईआर योजनाओं का मुख्य जोर प्राकृतिक संसाधन आधारित एकीकृत और जलवायु अनुकूल टिकाऊ कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने पर है जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, खेत पर पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण और बाहरी इनपुट पर किसानों की निर्भरता को कम करना सुनिश्चित करती हैं।
2015-16 से अब तक 59.74 लाख हेक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के अंतर्गत आ चुका है। 2023-2024 तक जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीओपी) (एमओवीसीडीएनईआर सहित) + पीकेवीवाई के तहत भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) के अंतर्गत जैविक खेती के दायरे में आने वाले क्षेत्र का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।
पीकेवीवाई योजना के अंतर्गत, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जैविक क्लस्टरों में 3 वर्षों में कुल मिलाकर 31,500 रुपये/हेक्टेयर की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें से 15,000 रुपये/हेक्टेयर किसानों को कृषि एवं गैर-कृषि जैविक इनपुट के लिए डीबीटी के माध्यम से सीधे प्रदान किए जाते हैं, 4,500 रुपये/हेक्टेयर विपणन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग, मूल्य संवर्धन आदि के लिए, 3,000 रुपये/हेक्टेयर प्रमाणीकरण एवं अवशेष विश्लेषण के लिए तथा 9,000 रुपये/हेक्टेयर प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिए प्रदान किए जाते हैं। एमओवीसीडीएनईआर योजना के अंतर्गत, किसान उत्पादक संगठनों के गठन, जैविक इनपुट के लिए किसानों को सहायता आदि के लिए 3 वर्षों में कुल 46,500 रुपये/हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जाती है। इसमें से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रूप में किसानों को 15,000 रुपये के साथ-साथ कृषि से इतर/ कृषि पर आधारित जैविक इनपुट के लिए 32,500 रुपये/हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाती है। दोनों योजनाओं के अंतर्गत किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सहायता हासिल कर सकते हैं।
जैविक उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए विकसित की गईं दो प्रकार की जैविक प्रमाणन प्रणालियां का उल्लेख नीचे किया गया है:
- निर्यात बाजार के विकास के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत एनपीओपी योजना के तहत मान्यता प्राप्त प्रमाणन एजेंसी द्वारा तृतीय पक्ष से प्रमाणन।
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत पीजीएस-इंडिया हितधारकों (किसानों/उत्पादकों सहित) को एक-दूसरे के उत्पादन के तौर-तरीकों का आकलन, निरीक्षण और सत्यापन करके पीजीएस-इंडिया प्रमाणन के संचालन के बारे में निर्णय लेने में शामिल करता है।
पीकेवीवाई योजना के तहत मूल्य संवर्धन, विपणन और प्रचार-प्रसार की सुविधा के लिए 3 वर्षों में कुल 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाती है। किसानों के लिए पीकेवीवाई के तहत 3 वर्षों के लिए क्रमशः 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से प्रमाणन और प्रशिक्षण तथा हैंडहोल्डिंग और क्षमता निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जाती है। वहीं, एमओवीसीडीएनईआर योजना के तहत प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और प्रमाणन के लिए 3 वर्षों में कुल 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाती है।
बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य अपने क्षेत्र में या अन्य राज्यों के प्रमुख बाजारों में सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशालाएं, क्रेता-विक्रेता बैठकें, प्रदर्शनियां, व्यापार मेले और जैविक महोत्सव आयोजित करते हैं।
यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने दी।
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एमजी/आरपीएम/केसी/एमपी
अनुलग्नक- I
2023-2024 तक पीकेवीवाई के तहत जैविक खेती एनपीओपी (एमओवीसीडीएनईआर सहित) + पीजीएस के तहत कवर किए गए कुल क्षेत्र का राज्यवार विवरण
क्षेत्रफल हेक्टेयर में
क्र. सं.
|
राज्य का नाम
|
एनपीओपी
|
पीएमवीवाई के अंतर्गत पीजीएस
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
63,678.69
|
3,60,805
|
2
|
बिहार
|
29,062.13
|
31,783
|
3
|
छत्तीसगढ
|
15,144.13
|
1,01,279
|
4
|
गोवा
|
12,287.40
|
15334
|
5
|
गुजरात
|
6,80,819.99
|
10000
|
6
|
हरयाणा
|
2,925.33
|
-
|
7
|
हिमाचल प्रदेश
|
9,334.28
|
18748
|
8
|
झारखंड
|
54,408.20
|
25300
|
9
|
केरल
|
44,263.91
|
94480
|
10
|
कर्नाटक
|
71,085.99
|
20900
|
11
|
मध्य प्रदेश
|
11,48,236.07
|
74960
|
12
|
महाराष्ट्र
|
10,01,080.32
|
66756
|
13
|
ओडिशा
|
1,81,022.28
|
45800
|
14
|
पंजाब
|
11,089.41
|
6981
|
15
|
तमिलनाडु
|
42,758.27
|
32940
|
16
|
तेलंगाना
|
84,865.16
|
8100
|
17
|
राजस्थान
|
5,80,092.22
|
148500
|
18
|
उत्तर प्रदेश
|
66,391.34
|
171185
|
19
|
उत्तराखंड
|
1,01,820.39
|
140740
|
20
|
पश्चिम बंगाल
|
8,117.80
|
21400
|
21
|
असम
|
27,079.40
|
4400
|
22
|
अरुणाचल प्रदेश
|
16,537.53
|
380
|
23
|
मेघालय
|
29,703.30
|
900
|
24
|
मणिपुर
|
32,584.50
|
600
|
25
|
मिजोरम
|
14,238.30
|
780
|
26
|
नागालैंड
|
16,221.56
|
480
|
27
|
सिक्किम
|
75,729.78
|
63000
|
28
|
त्रिपुरा
|
20,481.36
|
1000
|
29
|
जम्मू और कश्मीर
|
34,746.75
|
5160
|
30
|
पांडिचेरी
|
21.51
|
-
|
31
|
दिल्ली
|
9.60
|
-
|
32
|
लद्दाख
|
-
|
10480
|
33
|
दमन और दीव
|
-
|
642
|
34
|
दादर नगर हवेली
|
-
|
500
|
35
|
अंडमान और निकोबार
|
-
|
14491
|
कुल
|
44,75,836.90
|
14,98,804
|
कुल (एनपीओपी + पीजीएस)
|
59,74,640.90
|
स्रोत: एपीईडीए + पीजीएस
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(Release ID: 2112616)
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