विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
संसद प्रश्न: अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को धन का आवंटन
Posted On:
12 MAR 2025 3:40PM by PIB Delhi
अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) की स्थापना संसद के एक कानून, अर्थात् एएनआरएफ कानून, 2023 के माध्यम से की गई है। एएनआरएफ कानून, 2023 के प्रावधान 05 फरवरी, 2024 को लागू हुए। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए, एएनआरएफ को (संशोधित अनुमान) 966 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
एएनआरएफ द्वारा कार्यान्वयन के लिए अनेक कार्यक्रम तैयार किए गए थे, जिनमें प्रमुख क्षेत्रों में भारत की वैश्विक स्थिति, वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार इकोसिस्टम को आगे बढ़ाना और निजी क्षेत्र के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है। एएनआरएफ ने हाल ही में मिशन फॉर एडवांसमेंट इन हाई-इम्पैक्ट एरियाज (एमएएचए) के तहत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) मोबिलिटी प्रोग्राम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य मिशन मोड में प्राथमिकता-संचालित, समाधान-केन्द्रित अनुसंधान का सामाधान करना है, जो उद्योग के साथ घनिष्ठ सहयोग कर बहु-संस्थागत, बहु-विषयक और बहु-अन्वेषक सहयोग को उत्प्रेरित करेगा। उद्योग भागीदार को परियोजना के सफल निष्पादन के लिए नकद या वस्तु के रूप में आंशिक/आंशिक वित्तपोषण प्रदान करना अनिवार्य है। प्रस्तावित परियोजना लागत का कम से कम 10 प्रतिशत उद्योग/उद्योगों द्वारा नकद में सहायता होनी चाहिए।
देश में स्वदेशी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। इसमें प्रधानमंत्री प्रारंभिक कैरियर अनुसंधान अनुदान (पीएमईसीआरजी) योजना और एएनआरएफ का महा कार्यक्रम शामिल है। प्रारंभिक कैरियर वाले वैज्ञानिकों का सहयोग करके, पीएमईसीआरजी वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे प्राप्तकर्ता स्वदेशी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने की दिशा में स्वतंत्र और प्रभावशाली अनुसंधान करने में सक्षम होंगे। महा-ईवी मिशन पहल भारतीय इकोसिस्टम में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने पर केन्द्रित है ताकि वर्तमान तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और अत्याधुनिक उन्नत अनुसंधान किया जा सके। एएनआरएफ ने संस्थानों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बदलने, एक समान गति से अनुसंधान, बुनियादी अनुसंधान संवर्धन आदि के लिए भी कार्यक्रम तैयार किए हैं। ये योजनाएं वैश्विक मंच पर अपनी जगह बनाने के लिए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उचित संसाधन और वित्तीय सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करती हैं।
यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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