गृह मंत्रालय
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महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को बीएनएस के तहत प्राथमिकता दी गई

Posted On: 11 MAR 2025 5:55PM by PIB Delhi

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में पहली बार महिला और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित प्रावधानों को प्राथमिकता दी गई है और उन्हें एक अध्याय के तहत रखा गया है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा तक की सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की सजा, दोषी के शेष प्राकृतिक जीवन या मृत्यु तक आजीवन कारावास है। झूठा वादा करके शादी, नौकरी, पदोन्नति या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाने आदि के लिए एक नया अपराध भी बीएनएस में शामिल किया गया है। नए आपराधिक कानूनों में महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुख्य प्रावधान अनुलग्नक में दिए गए हैं।

सरकार मानव तस्करी के अपराध की रोकथाम और उसका मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीएनएस, 2023 की धारा 143 में मानव तस्करी के अपराध के लिए आजीवन कारावास तक की सख्त सजा का प्रावधान है। जिन मामलों में अपराध में किसी बच्चे की तस्करी शामिल है, वहां कम से कम 10 साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना लगाया जा सकता है। 'भिक्षावृत्ति' को तस्करी के लिए शोषण के रूप में पेश किया गया है और यह बीएनएस, 2023 की धारा 143 के तहत दंडनीय है। इसके अलावा, बीएनएस की धारा 144 (1) में तस्करी किए गए बच्चों के यौन शोषण के अपराध के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। ऐसे अपराधों के लिए न्यूनतम सजा पांच साल है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रावधान

  1. बीएनएस के नए अध्याय-5 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को अन्य सभी अपराधों पर वरीयता दी गई है।
  2. बीएनएस में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ विभिन्न अपराधों को लिंग-तटस्थ बनाया गया है, जिसमें लिंग की परवाह किए बिना, सभी पीड़ितों और अपराधियों को शामिल किया गया है।
  3. बीएनएस में, सामूहिक बलात्कार की नाबालिग पीड़ितों के लिए आयु अंतर को समाप्त कर दिया गया है। पहले 16 वर्ष और 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए अलग-अलग सजाएँ निर्धारित की गई थीं। इस प्रावधान को संशोधित किया गया है और अब अठारह वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा हो सकती है।
  4. महिलाओं को परिवार के एक वयस्क सदस्य के रूप में मान्यता दी गई है, जो सम्मन प्राप्त करने वाले व्यक्ति की ओर से सम्मन प्राप्त कर सकती है। 'कुछ वयस्क पुरुष सदस्य' के पहले के संदर्भ को 'कुछ वयस्क सदस्य' से बदल दिया गया है।
  5. बलात्कार के अपराध से संबंधित जांच में पीड़िता को अधिक सुरक्षा प्रदान करने और पारदर्शिता लागू करने के लिए, पुलिस द्वारा पीड़िता का बयान, ऑडियो वीडियो के माध्यम से दर्ज किया जाएगा।
  6. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, पीड़िता का बयान, जहां तक ​​​​संभव हो, एक महिला मजिस्ट्रेट द्वारा और उसकी अनुपस्थिति में एक पुरुष मजिस्ट्रेट द्वारा एक महिला की उपस्थिति में दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि संवेदनशीलता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके और पीड़ितों के लिए एक सहायक वातावरण मुहैया किया जा सके।
  7. चिकित्सकों को बलात्कार की पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजने का आदेश दिया गया है।
  • viii. यह प्रावधान किया गया है कि पंद्रह वर्ष से कम आयु के या 60 वर्ष (65 वर्ष से पहले) से अधिक आयु के किसी पुरुष या महिला या मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति या गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को, उस स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने की ज़रूरत नहीं होगी, जहां ऐसा पुरुष या महिला मौजूद है। ऐसे मामलों में जहां ऐसा व्यक्ति पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने के लिए तैयार है, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है।
  1. नए कानून में सभी अस्पतालों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के पीड़ितों को मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान करने का प्रावधान है। यह प्रावधान चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पीड़ितों की भलाई और स्वास्थ्य लाभ को प्राथमिकता देते हुए ज़रुरी चिकित्सा देखभाल तक तत्काल पहुंच सुनिश्चित करता है।

 यह जानकारी गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

 

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