जल शक्ति मंत्रालय
संसद प्रश्न: कृषि के लिए सिंचाई से जुड़ी आपूर्तियों को समर्थन
Posted On:
10 MAR 2025 5:55PM by PIB Delhi
जल के राज्य का विषय होने के कारण, जल संसाधनों से संबंधित पहलुओं की योजना, वित्तपोषण और क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा स्वयं अपने संसाधनों और प्राथमिकताओं के अनुसार किया जाता है। इसमें जल का संरक्षण भी शामिल है। भारत सरकार की भूमिका उत्प्रेरक होने, तकनीकी सहायता प्रदान करने और कुछ मामलों में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही मौजूदा योजनाओं के संदर्भ में आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान करने तक सीमित है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) दो प्रमुख घटकों- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और हर खेत को पानी (एचकेकेपी) वाली एक व्यापक योजना है, जिन्हें जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। वहीं, एचकेकेपी में चार उप-घटक शामिल हैं: (i) कमांड क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडी और डब्ल्यूएम); (ii) सतही लघु सिंचाई (एसएमआई); (iii) जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और बहाली (आरआरआर); और (iv) भूजल (जीडब्ल्यू) विकास। 2016 में, संशोधित एआईबीपी प्रारूप के शुभारंभ के साथ, एचकेकेपी के सीएडी और डब्ल्यूएम उप-घटक को एआईबीपी के साथ समान रूप से लागू करने के लिए लिया गया है। इसके अलावा, दिसंबर, 2021 में, 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए पीएमकेएसवाई के कार्यान्वयन को भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालांकि, पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी के तहत भूजल घटक को अनंतिम रूप से 2021-22 तक केवल प्रतिबद्ध देनदारियों के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसे बाद में चल रहे कार्यों के पूरा होने तक बढ़ा दिया गया है।
इसके अलावा, प्रति बूंद अधिक फसल घटक, जो पहले पीएमकेएसवाई का एक घटक था, अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीओएएंडएफडब्ल्यू) द्वारा अलग से कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके अलावा, वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी) को भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
एआईबीपी घटक देश में नई सिंचाई क्षमता के सृजन/सिंचाई क्षमता की बहाली के लिए प्रमुख और मध्यम और विस्तार, नवीनीकरण और आधुनिकीकरण (ईआरएम) परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करता है। सीएडीएंडडब्ल्यूएम निर्मित सिंचाई क्षमता और इसके उपयोग के बीच के अंतर को पाटने और बर्बादी को कम करने के लिए खेत पर पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार लाने के लिए कमांड क्षेत्र विकास के लिए समर्पित है। एचकेकेपी-एसएमआई और आरआरआर खेत पर पानी की भौतिक रूप से पहुंच बढ़ाने और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र के विस्तार के लिए लघु सिंचाई परियोजनाओं को संभालते हैं। पीडीएमसी ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसे सटीक-सिंचाई (प्रिसिसन-इरीगेशन) और अन्य जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने से संबंधित है। डब्ल्यूडीसी मृदा और जल संरक्षण, भूजल के पुनः सुधार, अपवाह को रोकने और किसानों के लिए जल संचयन, जल प्रबंधन और फसल संरेखण से संबंधित विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वर्षा आधारित क्षेत्रों के एकीकृत विकास की दिशा में काम करता है।
पीएमकेएसवाई के अलावा भारत सरकार द्वारा की गई कुछ महत्वपूर्ण पहल इस प्रकार हैं।
- केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने देश में लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर के संपूर्ण मानचित्र योग्य क्षेत्र में राष्ट्रीय एक्वीफर मैपिंग (एनएक्यूयूआईएम) परियोजना पूरी कर ली है। एक्वीफर मानचित्र और प्रबंधन योजनाएं तैयार कर ली गई हैं और कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्य एजेंसियों के साथ साझा की गई हैं। प्रबंधन योजनाओं में पुनर्भरण संरचनाओं के माध्यम से विभिन्न जल संरक्षण उपाय शामिल हैं।
- सीजीडब्ल्यूबी ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान- 2020 तैयार किया है जो देश की विभिन्न भू-स्थितियों के लिए विभिन्न संरचनाओं को इंगित करने वाली एक वृहद स्तर की योजना है। मास्टर प्लान में 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) मानसून वर्षा का उपयोग करने के लिए देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण की परिकल्पना की गई है। भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान- 2020 सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा गया।
- जल शक्ति अभियान (जेएसए), एक समयबद्ध मिशन मोड वाला जल संरक्षण अभियान है, जिसे जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) द्वारा जुलाई-नवंबर 2019 में लॉन्च किया गया था। जल शक्ति मंत्रालय ने फरवरी 2020 में "कैच द रेन" (सीटीआर) अभियान शुरू किया और 2021 में कैच द रेन अभियान को शामिल करते हुए "जल शक्ति अभियान: कैच द रेन" (जेएसए: सीटीआर) शुरू किया, जिसमें देश के सभी जिलों (सभी विकासखंडों और नगर पालिकाओं) के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को शामिल किया गया। जेएसए: सीटीआर अभियान में पांच केंद्रित हस्तक्षेप हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ जल निकायों के पुनरुद्धार सहित वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण शामिल हैं। जेएसए: सीटीआर 2021 से एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया है।
- मिशन अमृत सरोवर को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल 2022 को लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण जिले (दिल्ली, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप को छोड़कर) में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुनरुद्धार करना है।
- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) और अमृत 2.0 जैसे राष्ट्रीय मिशनों के कार्यान्वयन के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में पानी के सतत प्रबंधन के लिए कई पहल की हैं।
- जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय जल नीति (2012) में अन्य बातों के साथ-साथ वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण की वकालत की गई है तथा वर्षा के प्रत्यक्ष उपयोग के माध्यम से जल की उपलब्धता बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहा गया है कि नदी, नदी निकायों और बुनियादी ढांचे के संरक्षण को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से वैज्ञानिक रूप से योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जल निकायों और जल निकासी चैनलों पर अतिक्रमण और मोड़ (बदलाव) की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और जहां भी ऐसा हुआ है, उसे यथासंभव बहाल किया जाना चाहिए और उचित रूप से बनाए रखा जाना चाहिए।
पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत पंजाब में कंडी नहर विस्तार परियोजना चरण II और प्रथम पटियाला फीडर एवं कोटला ब्रांच परियोजना के पुनर्वास नाम की दो (2) परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनसे नहरों के माध्यम से 1.15 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन/पुनर्स्थापन हुआ है। पंजाब राज्य में शाहपुर कंडी बांध परियोजना, राजस्थान फीडर की रीलाइनिंग और सरहिंद फीडर की रीलाइनिंग नामक तीन अन्य परियोजनाएं चल रही हैं। इन परियोजनाओं के तहत, नहरों के माध्यम से 1.43 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बहाल की गई है।
इसके अलावा, पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत शामिल उत्तर प्रदेश की चार परियोजनाओं में से मध्य गंगा नहर चरण- II पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संदर्भित क्षेत्र को लाभान्वित कर रही है। उत्तर प्रदेश में इस परियोजना के माध्यम से नहरों के माध्यम से 1.10 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन होने की सूचना मिली है।
यह जानकारी आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा प्रदान की गई।
***
एमजी/आरपीएम/केसी/एमपी
(Release ID: 2110069)
Visitor Counter : 85