जल शक्ति मंत्रालय
संसद प्रश्न: वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट
Posted On:
10 MAR 2025 5:51PM by PIB Delhi
केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 तैयार की गई और दिसंबर 2024 में जारी की गई। यह रिपोर्ट पूरे देश में फैले 15,259 निगरानी स्थलों से एकत्रित भूजल नमूनों एवं विश्लेषण पर आधारित है। इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य पीने एवं कृषि में उपयोग होने वाले भूजल में विद्युत चालकता (ईसी), फ्लोराइड, आर्सेनिक, भारी धातु, नाइट्रेट आदि जैसे विभिन्न जल गुणवत्ता मापदंडों का अध्ययन करना है। रिपोर्ट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-
- यह रिपोर्ट केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा स्थापित नए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के आधार पर मानकीकृत पद्धति के अनुसार किए गए राष्ट्रीय भूजल गुणवत्ता निगरानी अभ्यास का निष्कर्ष प्रस्तुत करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भूजल की गुणवत्ता बहुत भिन्न है। अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय और जम्मू-कश्मीर जैसे कुछ राज्यों में 100% जल नमूने बीआईएस मानकों को पूरा करते हैं। इसके विपरीत, राजस्थान, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कुछ अलग-अलग जगहों में संदूषण मिला है।
- परीक्षण किये गये नमूनों में से 19.8% में नाइट्रेट की उपस्थिति स्वीकार्य सीमा से अधिक थी, जबकि आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा क्रमशः 3.1% और 9.04% अधिक पायी गयी।
- भारत में सिंचाई के लिए भूजल की उपयुक्तता प्रायः अनुकूल है, जिसमें अधिकांश नमूनों में सोडियम और क्षारीयता का स्तर सुरक्षित है।
देश के कुछ अलग-अलग इलाकों से लिए गए नमूनों में नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनिक और यूरेनियम जैसे संदूषणों की मौजूदगी स्वीकार्य सीमा से अधिक होने का संकेत मिलता है। नीचे संदूषण-वार और राज्य-वार विवरण प्रदान किया गया है।
इस रिपोर्ट के साथ-साथ, सीजीडब्ल्यूबी द्वारा समय-समय पर तैयार एवं प्रसारित किए जाने वाले अन्य भूजल गुणवत्ता आंकड़ों का उद्देश्य देश में भूजल गुणवत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ाना, जोखिमों को कम करने के लिए हितधारकों को त्वरित कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना तथा देश के भूजल संसाधनों की संवर्धित स्थिरता के लिए दीर्घकालिक नीति निर्माण में योजनाकारों को मार्गदर्शन प्रदान करना है। इसके अलावा, देश में भूजल की गुणवत्ता का प्रबंधन एवं संदूषण जोखिम में कमी लाने के महत्व को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने इस दिशा में पहले ही कई कदम उठाए हैं, जो निरंतर जारी हैं। कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित है:
- सीजीडब्ल्यूबी संदूषण मुक्त जलभृतों का दोहन करने के लिए सीमेंट सीलिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में आर्सेनिक मुक्त कुओं का सफलतापूर्वक निर्माण कर रहा है और फ्लोराइड न्यूनीकरण के लिए राज्य के विभागों को तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है।
- सीजीडब्ल्यूबी के राष्ट्रीय जलाशय मानचित्रण कार्यक्रम के अंतर्गत, जलाशय अध्ययन करते समय, भूजल गुणवत्ता के पहलू पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिसमें आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे विषैले पदार्थों द्वारा भूजल में संदूषण शामिल है।
- केंद्रीय संदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (एसपीसीबी/पीसीजी) के सहयोग से जल (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986के प्रावधानों को लागू कर रहा है जिससे जल में संदूषण को रोका एवं नियंत्रित किया जा सके। सीपीसीबी ने एसपीसीबी/पीसीसी द्वारा प्रवर्तन के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत अधिसूचित अपशिष्टों के निर्वहन हेतु उद्योग विशिष्ट मानकों और सामान्य मानकों को विकसित करके बिंदु स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए जल संदूषण पर एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है।
- भारत सरकार राज्यों की साझेदारी के साथ, अगस्त 2019 से ‘जल जीवन मिशन (जेजेएम) - हर घर जल’ लागू कर रही है, जिससे देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में, निर्धारित गुणवत्ता वाला पीने योग्य नल जल उपलब्ध कराया जा सके। जल जीवन मिशन के अंतर्गत, भारतीय मानक ब्यूरो के बीआईएस:10500 मानकों को नल जल सेवा वितरण की गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानदंडों के रूप में अपनाया गया है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत शुरुआत से ही जल सुरक्षा प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रही है। इसके अलावा, जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को धन आवंटित करते समय रासायनिक संदूषणों से प्रभावित बस्तियों में रहने वाली आबादी को 10% ज्यादा महत्व दिया जाता है।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे जल गुणवत्ता की समस्या वाले गांवों के लिए सतही जल स्रोतों या वैकल्पिक सुरक्षित भूजल स्रोतों की योजना बनाएं और उन्हें क्रियान्वित करें, जैसे कि सुरक्षित जल स्रोतों के आधार पर बड़े पैमाने पर जल अंतरण की पाइप जलापूर्ति योजनाएं।
- इसके अलावा, अगर उचित भूजल पुनर्भरण/वर्षा जल संचयन के माध्यम से भूजल संसाधनों में सुधार के लिए ठोस प्रयास किए जाएं तो भूजल की गुणवत्ता में कुछ हद तक सुधार लाया जा सकता है। इस संबंध में भारत सरकार ने जल शक्ति अभियान, पीएमकेएसवाई-जलाशय विकास, मनरेगा, अटल भूजल योजना आदि जैसी कई पहलों/योजनाओं को चला रहा है।
यह जानकारी आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने दी।
वर्ष 2023 के लिए भूजल में नाइट्रेट, फ्लोराइड, आर्सेनिक और यूरेनियम संदूषण का राज्यवार विवरण
*मणिपुर, लक्षद्वीप, लद्दाख और सिक्किम राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
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