विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री पहल पर वेबिनार श्रृंखला में "बायोपॉलिमर के बायोमैन्युफैक्चरिंग" विषय पर नौवां वेबिनार आयोजित किया

Posted On: 07 MAR 2025 4:14PM by PIB Delhi

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने 7 मार्च, 2025 को अपनी बायोफाउंड्री और बायो मैन्युफैक्चरिंग पहल श्रृंखला में नौवां वेबिनार "बायोपॉलिमर के बायो मैन्युफैक्चरिंग" पर आयोजित किया। बायो ई-3 नीति के तहत यह महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसे अगस्त 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। भारत को जैव-आधारित नवाचारों में अग्रणी बनाने के लिए बायो ई-3 नीति बनाई गई है, इसमें बायोपॉलिमर सहित विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में संवहनीय बायोमैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया गया है। 07 मार्च 2025 को आयोजित वेबिनार में बायोपॉलिमर बायोमैन्युफैक्चरिंग में प्रगति और अवसरों पर शिक्षाविदों, उद्योग दिग्‍गजों, स्टार्टअप्स कम्‍पनियों और अनुसंधानकर्ताओं ने विमर्श किया।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग - डीबीटी की श्रेणी 'एफ' वैज्ञानिक डॉ. वैशाली पंजाबी ने बायोमैन्युफैक्चरिंग में उच्च प्रदर्शन को बढ़ावा देने में बायो ई-3 नीति का उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि इस श्रृंखला में नौवां वेबिनार ' बायोपॉलिमर्स के बायोमैन्युफैक्चरिंग' पर केंद्रित है डॉ. पंजाबी ने कहा कि भारत अपनी अकादमिक और औद्योगिक शक्ति के साथ कम लागत वाले बायोपॉलिमर उत्पादन के लिए सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र स्‍थापित करने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने इस क्षेत्र में संभावना, चुनौतियों और शक्ति तथा अवसरों का उल्लेख किया।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के राष्‍ट्रीय अंत:विषय विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी संस्‍थान तिरुवनंतपुरम में वरिष्‍ठ वैज्ञानिक डॉ. बिनोद परमेश्वरन ने बायोपॉलिमर के बीच मुख्य अंतर, इसमें शामिल प्रक्रिया और बायोमैन्युफैक्चरिंग की  चुनौतियों और सीमाओं का उल्लेख किया। उन्होंने भारत में बायोपॉलिमर अनुसंधान एवं विकास के भविष्य को आकार देने वाले प्रमुख रुझानों की भी चर्चा की।

जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रसिद्ध कंपनी प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड की प्रौद्योगिकी रणनीतिकार डॉ. अश्विनी शेटे ने बायोपॉलिमर उत्पादन की प्रक्रिया और इससे जुड़ी चुनौतियों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बायोपॉलिमर उत्पादन में स्ट्रेन और फीड स्टॉक चयन, प्रक्रिया अनुकूलन और जैविक स्रोतों से वांछित उत्‍पाद को अलग, शुद्ध और केंद्रित करने की प्रक्रिया डाउनस्ट्रीम प्रसंस्करण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में फीडस्टॉक और उन्‍नत प्रौद्योगिकी के आधार देश में लागत प्रभावी बायोपॉलिमर उत्पादन का सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र स्‍थापित किया जा सकता है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधन सहायता परिषद-बीआईआरएसी के विशेषज्ञों द्वारा संचालित प्रश्नोत्तरी के साथ वेबिनार सम्‍पन्‍न हुआ। प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों के साथ सक्रियता से पारस्‍परिक संवाद और बायोपॉलिमर के जैव विनिर्माण में चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001T7TG.jpg

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002D9TP.jpg

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003RTKP.jpg

****

एमजी/केसी/एकेवी/केके


(Release ID: 2109198) Visitor Counter : 151
Read this release in: English , Urdu , Tamil