स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए मिशन संचालन समूह की 9वीं बैठक की अध्यक्षता की
जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं के अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए चिकित्सा अधिकारियों में क्षमता निर्माण को बढ़ाने की आवश्यकता है: श्री नड्डा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत एक लाख जीवित जन्में बच्चों में मातृ मृत्यु दर 100 का लक्ष्य हासिल किया गया; 1990 से 2020 के बीच एमएमआर में 83 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य हासिल किया गया, जो वैश्विक एमएमआर कमी से काफी अधिक है
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में सालाना 121.03 करोड़ लोग आते हैं; 2023-24 में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए 1.54 करोड़ स्वास्थ्य देखभाल सत्र आयोजित किए गए
एनसीडी जांच की संख्या 2019-20 के 10.94 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 109.55 करोड़ हो गई
टेली-परामर्श की संख्या 2019-20 के 0.26 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 11.83 करोड़ हो गई
Posted On:
04 MAR 2025 5:31PM by PIB Delhi
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन संचालन समूह (एमएसजी) की नौवीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव और श्रीमती अनुप्रिया पटेल, नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन के. बेरी, नीति आयोग के सदस्य श्री वी.के. पॉल भी उपस्थित थे।
मिशन संचालन समूह एनएचएम के तहत सर्वोच्च नीति-निर्माण और संचालन संस्था है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए व्यापक नीति निर्देश और शासन प्रदान करती है। बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष, पेयजल एवं स्वच्छता, पंचायती राज, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिवों के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, शिक्षा, आवास एवं शहरी मामले, व्यय विभाग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अधिकारी, विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा सहित उच्च केन्द्र बिंदु वाले राज्यों के स्वास्थ्य सचिव, नीति आयोग और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

श्री नड्डा ने बैठक को संबोधित करते हुए एनएचएम की उपलब्धियों की सराहना की और विभिन्न पहलों और योजनाओं के परिणाम सुनिश्चित करने में एमएसजी की भूमिका के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने “विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के एजेंडे और उद्देश्यों को सुनिश्चित करने” की आवश्यकता पर जोर देते हुए जमीनी स्तर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) जैसे अधिकारियों की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रशासनिक बाधाओं का हवाला देते हुए “मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की क्षमताओं को बढ़ाने, मजबूत करने” और “प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण की आवश्यकता” का सुझाव दिया ताकि उनकी क्षमताओं का सर्वोत्तम संभव तरीके से उपयोग किया जा सके। यह जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

श्री नड्डा ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका की भी सराहना की तथा नियमित गतिविधियों के लिए संशोधित प्रोत्साहनों और बढ़ा हुआ मानदेय प्रदान करके उनके और अधिक सशक्तीकरण एवं कल्याण की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री नड्डा ने नई प्रौद्योगिकीय प्रगति और परिवर्धन के माध्यम से स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में किए गए विकास की सराहना करते हुए, भीष्म क्यूब्स (सहयोग हित और मैत्री के लिए भारत स्वास्थ्य पहल) जैसे नवीनतम प्रयास की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
मिशन संचालन समूह को पिछले कुछ वर्षों के दौरान एनएचएम के तहत हासिल की गई उपलब्धियों से अवगत कराया गया और विभिन्न मिशनों के लिए भविष्य के लक्ष्यों को चिह्नित किया गया। पहली बार, प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) को भी एमएसजी में शामिल किया गया। एनएचएम और पीएम-एबीएचआईएम की उपलब्धियों और भविष्य के लक्ष्यों पर प्रस्तुतियाँ भी दी गईं, जिसमें मिशन के तहत किए गए विकास, इसके घटकों और भविष्य के एजेंडे को शामिल किया गया।
बैठक में निम्नलिखित उपलब्धियों की जानकारी दी गई
- भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) के तहत प्रति एक लाख जीवित जन्में बच्चों में मातृ मृत्यु दर 100 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। 1990 से 2020 के बीच भारत में एमएमआर में 83 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो वैश्विक एमएमआर गिरावट से कहीं ज़्यादा है।
- इस अवधि के दौरान भारत में शिशु मृत्यु दर में 69 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जबकि वैश्विक शिशु मृत्यु दर में 55 प्रतिशत की गिरावट देखी गई
- 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि वैश्विक गिरावट दर 58 प्रतिशत है। एसआरएस 2020 के अनुसार, 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने सतत विकास लक्ष्य हासिल कर लिया है
- कुल प्रजनन दर 1992-93 में 3.4 से घटकर 2019-21 में 2.0 हो गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5), 2019-21 के अनुसार 31 राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर हासिल कर लिया है।
- जेब से किया जाने वाला व्यय 2004-05 में कुल स्वास्थ्य व्यय (टीएचई) के 69.4 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में टीएचई का 39.4 प्रतिशत हो गया है, जबकि सरकारी स्वास्थ्य व्यय 2004-05 में टीएफआर के 22.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में टीएचई का 48 प्रतिशत हो गया है।
- एनएचएम के अंतर्गत स्वास्थ्य मानव संसाधन संवर्धन (एचआरएच) में वृद्धि, 2006-07 के 23 हजार से बढ़कर 2023-24 में 5.23 लाख हो गई।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 15.05.2015 को भारत को मातृ एवं नवजात टिटनेस उन्मूलन के लिए प्रमाणित किया।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 8 अक्टूबर 2024 को, घोषणा की कि भारत सरकार ने ट्रैकोमा को जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है
- 28 फरवरी 2025 तक , कुल संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में से 85 प्रतिशते में सेवाओं का विस्तारित पैकेज उपलब्ध है
- आज देश में 1.76 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर कार्यरत हैं
- पिछले 5 वर्षों में आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में आने वाले मरीजों की वार्षिक संख्या 2019-20 के 13.49 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 121.03 करोड़ हो गई है
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयोजित सत्रों की संख्या 2019-20 के 0.11 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 1.54 करोड़ हो गई है।
- एनसीडी स्क्रीनिंग की संख्या 2019-20 के 10.94 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 109.55 करोड़ हो गई
- टेली-परामर्श की संख्या 2019-20 में 0.26 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 11.83 करोड़ हो गई
- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2015-23 के दौरान टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत की कमी देखी गई, जो वैश्विक कमी से दोगुनी से भी अधिक है; जबकि मृत्यु दर में 21 प्रतिशत की कमी देखी गई।
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों तथा 748 जिलों को कवर किया गया है। इस योजना में 26.97 लाख रोगियों को कवर किया गया है तथा कुल 3.27 करोड़ सत्र आयोजित किए गए हैं।
- 28 फरवरी 2025 तक सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत 5 करोड़ से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 1.84 लाख रोगियों का निदान किया जा चुका है और 2.24 करोड़ सिकल सेल कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।
- मलेरिया उन्मूलन मिशन के तहत 2014 की तुलना में 2023 में मलेरिया के मामलों में 79.3 प्रतिशत की कमी देखी गई; जबकि मलेरिया के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2014 की तुलना में 2023 में 85.2 प्रतिशत कम हुई।
- भारत ने 2023 तक कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर लिया है, अर्थात ब्लॉक स्तर पर कालाजार के वार्षिक मामलों को घटाकर प्रति दस हजार की आबादी पर एक से भी कम करना है, जो सतत विकास लक्ष्य से अधिक है।
- जून 2024 में स्वास्थ्य सुविधाओं के स्व-मूल्यांकन के लिए ओडीके टूल किट लॉन्च किया गया और कुल स्वास्थ्य सुविधाओं में से 95 प्रतिशत का मूल्यांकन किया जा चुका है
इस सम्मेलन में उपस्थित लोगों ने लक्षित कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत हासिल की गई प्रगति और पिछले कुछ वर्षों में राज्यों को दिए गए समर्थन की सराहना की। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिसमें आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देना शामिल है, जो टेली-परामर्श सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। देश में मोटापे की समस्या से निपटने के लिए आयुष समाधान के साथ-साथ आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से स्क्रीनिंग और प्रबंधन पर जोर दिया गया।
बैठक में नीतिगत ढांचे, परिचालन नीतियों और वित्तीय मानदंडों पर भी महत्वपूर्ण चर्चा की गई जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी करना और एनएचएम के उद्देश्यों को प्राप्त करना है। इसका मुख्य उद्देश्य न्यायसंगत, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना, बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करना और लिंग और जनसांख्यिकीय संतुलन बनाए रखना है।

श्री नड्डा ने कहा कि एमएसजी बैठक के दौरान लिए गए निर्णयों से स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ेगी और जमीनी स्तर पर परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि बैठक से प्राप्त लोगों की प्रतिक्रियाओं और सुझावों को ध्यान में रखते हुए भविष्य में किए जाने वाले उपायों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
पृष्ठभूमि: मिशन संचालन समूह एनएचएम के तहत सर्वोच्च नीति-निर्माण और संचालन संस्था है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए व्यापक नीति निर्देश और शासन प्रदान करती है। एमएसजी राष्ट्र की स्वास्थ्य सेवा पहलों को संचालित करने वाली नीतियों और रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एनएचएम के तहत सभी योजनाओं और घटकों के लिए वित्तीय मानदंडों को मंजूरी देने के लिए पूरी तरह से सशक्त है और नीति निर्माण एवं संचालन में अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (ईपीसी) को सलाह देता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत 2005 में अपनी स्थापना के बाद से, जिसे बाद में एनएचएम में शामिल कर लिया गया, एमएसजी ने एनएचएम के तहत 8 बैठकें और एनआरएचएम के तहत 9 बैठकें आयोजित की हैं। एमएसजी की अंतिम बैठक 11 जनवरी, 2023 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में हुई थी। इन बैठकों ने उल्लेखनीय रूप से देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने और नीतियों के संरेखण के लिए एक मंच प्रदान किया है।
मिशन संचालन समूह ने स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, सेवा वितरण में सुधार करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देने वाली पहलों का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बैठक भारत में एक लचीली और उत्तरदायी स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण की दिशा में जारी प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।
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