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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गिर में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की


प्रधानमंत्री ने देश में पहली बार नदी डॉल्फिन अनुमान रिपोर्ट जारी की, इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में नदी डॉल्फिन की कुल संख्या 6,327 है

प्रधानमंत्री ने जूनागढ़ में वन्यजीवों के लिए नेशनल रेफरल सेंटर की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री ने 2025 में आयोजित होने वाले शेरों की संख्या का अनुमान करने के 16वें चक्र की शुरुआत की घोषणा की और साथ ही कोयंबटूर के एसएसीओएन में मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की भी घोषणा की

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि चीते को मध्य प्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी घास के मैदानों में भी लाया जाएगा

वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को मजबूती प्रदान करते हुए प्रधानमंत्री ने घड़ियालों के लिए एक नई परियोजना और राष्ट्रीय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण कार्ययोजना की घोषणा की

प्रधानमंत्री ने जंगल की आग और मानव-पशु संघर्ष जैसी समस्याओं से निपटने के लिए रिमोट सेंसिंग एवं भू-स्थानिक मानचित्रण और एआई तथा मशीन लर्निंग के उपयोग पर बल दिया

प्रधानमंत्री ने वन्यजीव पर्यटन संबंधी यात्रा और संपर्क में आसानी के महत्व को रेखांकित किया

प्रधानमंत्री ने वन्यजीव बोर्ड और पर्यावरण मंत्रालय से वनों और वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक ज्ञान और पांडुलिपियों को इकट्ठा करने को कहा

शेर और तेंदुए के संरक्षण के लिए गिर एक अच्छी सफलता की कहानी है, हमें अन्य राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में उपयोग के लिए एआई की मदद से इस पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण करना चाहिए: पीएम

Posted On: 03 MAR 2025 4:48PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया, जहां उन्होंने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की।

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने वन्यजीव संरक्षण में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों की समीक्षा की, जिसमें नए संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण और प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड जैसे प्रजाति-विशिष्ट प्रमुख कार्यक्रमों में उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया। बोर्ड ने डॉल्फ़िन और एशियाई शेरों के संरक्षण संबंधी प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस की स्थापना पर भी चर्चा की।

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने देश में पहली बार नदी डॉल्फिन अनुमान रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में नदी डॉल्फिन की कुल संख्या 6,327 है। इस अग्रणी प्रयास में आठ राज्यों की 28 नदियों का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें 8,500 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करने के लिए 3150 दिनों का समय लगा। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई, उसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल और असम का स्थान रहा।

प्रधानमंत्री ने स्थानीय लोगों और ग्रामीणों की भागीदारी से डॉल्फिन संरक्षण के बारे में जागरूकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डॉल्फिन के आवास क्षेत्रों में स्कूली बच्चों के लिए जागरुकता यात्राएं भी आयोजित करने की भी सलाह दी।

प्रधानमंत्री ने जूनागढ़ में राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल सेंटर की आधारशिला भी रखी, जो वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के समन्वय और प्रशासन के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

एशियाई शेरों की जनसंख्या का अनुमान हर पांच साल में एक बार किया जाता है। पिछली बार ऐसा 2020 में किया गया था। प्रधानमंत्री ने 2025 में आयोजित होने वाले शेरों की संख्या का अनुमान करने के 16वें चक्र की शुरुआत की घोषणा की।

यह देखते हुए कि एशियाई शेरों ने अब प्राकृतिक फैलाव के माध्यम से बर्दा वन्यजीव अभयारण्य को अपना घर बना लिया है, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि बर्दा में शेर संरक्षण को शिकार वृद्धि और अन्य आवास सुधार प्रयासों के जरिए समर्थन दिया जाएगा। वन्यजीव आवासों के विकास और संरक्षण के साधन के रूप में इको-टूरिज्म के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वन्यजीव पर्यटन के लिए यात्रा और कनेक्टिविटी में आसानी होनी चाहिए।

मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रभावी प्रबंधन के लिए, प्रधानमंत्री ने कोयंबटूर के एसएसीओएन (सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र) में भारतीय वन्यजीव संस्थान परिसर में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। यह केंद्र राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ तीव्र प्रतिक्रिया टीमों, ट्रैकिंग, पूर्व चेतावनी के लिए गैजेट से लैस करने में सहायता करेगा; मानव-वन्यजीव संघर्ष के हॉटस्पॉट में निगरानी और घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणालियों को निर्धारित करेगा; और संघर्ष शमन उपायों को निष्पादित करने के लिए क्षेत्र के चिकित्सकों और समुदाय की क्षमता का निर्माण करेगा।

प्रधानमंत्री ने जंगल की आग और मानव-पशु संघर्ष जैसी समस्याओं से निपटने के लिए रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक मानचित्रण तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती से निपटने के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग संस्थान और जिओ-इन्फॉरमेटिक्स, (बीआईएसएजी-एन) के साथ भारतीय वन्यजीव संस्थान को जोड़ने का सुझाव दिया।

वनों की आग की निगरानी और प्रबंधन को बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से अत्यधिक संवेदनशील संरक्षित क्षेत्रों में, पूर्वानुमान, पता लगाने, रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून और बीआईएसएजी-एन के बीच सहयोग की सलाह दी।

प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि चीता को मध्य प्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी घास के मैदानों सहित अन्य क्षेत्रों में भी लाया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने बाघ अभयारण्यों के बाहर बाघों के संरक्षण पर केंद्रित एक योजना की घोषणा की। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय समुदायों के साथ सह-अस्तित्व सुनिश्चित करके इन अभयारण्यों के बाहर के क्षेत्रों में मानव-बाघ और अन्य सह-शिकारी संघर्षों को संबोधित करना है।

घड़ियालों की घटती जनसंख्या को देखते हुए तथा उनके संरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने उनके संरक्षण के लिए एक नई परियोजना शुरू करने की भी घोषणा की।

प्रधानमंत्री ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता पर विचार करते हुए, उन्होंने राष्ट्रीय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण कार्य योजना की घोषणा की।

समीक्षा बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने बोर्ड और पर्यावरण मंत्रालय से वनों और वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पारंपरिक ज्ञान और पांडुलिपियों को शोध और विकास के लिए एकत्रित करने को कहा। प्रधानमंत्री ने मंत्रालय के लिए वन्यजीव संरक्षण रणनीति और भविष्य की कार्रवाई के लिए एक रोडमैप तैयार किया और भारतीय भालू, घड़ियाल और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण और विकास पर काम करने के लिए विभिन्न टास्क फोर्स के गठन करने को भी कहा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गिर शेर और तेंदुए के संरक्षण की एक अच्छी सफलता की कहानी है। उन्होंने कहा कि इस पारंपरिक ज्ञान का अन्य राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में उपयोग के लिए एआई की मदद से दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीएमएस) के तहत समन्वय इकाई में सहयोग बढ़ाने का भी सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री ने वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की, खासकर सामुदायिक रिजर्व की स्थापना के माध्यम से। पिछले दशक में, भारत में सामुदायिक रिजर्व की संख्या में छह गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित उन्नत प्रौद्योगिकियों के उपयोग के महत्व पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने वन क्षेत्रों में औषधीय पौधों के अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण पर भी सलाह दी, जो पशु स्वास्थ्य प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने वैश्विक स्तर पर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए पौधों पर आधारित चिकित्सा प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देने की संभावनाओं का भी उल्लेख किया।

बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने फ्रंटलाइन वन कर्मचारियों की गतिशीलता बढ़ाने के लिए मोटरसाइकिलों को भी हरी झंडी दिखाई। उन्होंने गिर में फील्ड स्तर के अधिकारियों से भी बातचीत की, जिसमें फ्रंटलाइन कर्मचारी, इको गाइड और ट्रैकर शामिल थे।

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