उप राष्ट्रपति सचिवालय
आईआईटी हैदराबाद में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूलपाठ (अंश)
Posted On:
02 MAR 2025 6:30PM by PIB Delhi
आप सभी को शुभ दोपहर। मुझे कल यह कहने का अवसर मिला कि आईआईटी में कोई बैकबेंचर नहीं है, केवल बैकबेंचेज हैं। क्या मैं सही हूं ? तेलंगाना के माननीय राज्यपाल श्री जिष्णु देव वर्मा, माननीय सांसद, श्री एम. रघुनंदन राव, आईआईटी हैदराबाद के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के बेहद प्रशंसित, अत्यधिक सम्मानित अध्यक्ष डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, और मैंने उनके विचार बेहद स्पष्ट तरीके से आपसे साझा किए।
जब आईआईटी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स पूरी तरह से शामिल हो, तो चीजें अलग ही ढर्रे पर होती हैं। आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी.एस. मूर्ति, से सावधान रहें। वह जैसे दिखते हैं, वैसे हैं नहीं, वह काफी सख्त हैं। वह केवल अपने कार्य के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा कार्य के अलावा वह दो और चीजों से वास्ता रखते हैं। नंबर दो- है कार्य, नंबर तीन –है कार्य। संक्षिप्तता बुद्धि की आत्मा होती है, इस प्रदर्शन की आत्मा उनके विमर्श में है। हर शब्द ने विचार की प्रक्रिया को विस्तृत बनाया है, जिसमें आप सभी शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, हम केवल विचार का सृजन ही नहीं करते हैं, हम कल्पना करते हैं, हम नवाचार करते हैं, हम कार्यसिद्धि करते हैं। जब आप हर सेकंड, हर पल को अहमियत देते हैं, तो आप न केवल अपने साथ, बल्कि मानवता के साथ भी न्याय करते हैं।
यदि आप दुनिया के हर छठे व्यक्ति के घर -भारत में हैं, तो आप बहुत सौभाग्यशाली हैं। आज हमें माननीय सांसदों की उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। श्री वड्डीराजू रविचंद्र, श्री एस.एस. बाबू, मैं राज्यसभा में अपने आसन से उन्हें देखता हूं । आपने राज्यसभा की कार्यवाही देखी होगी। वे गुड कोलेस्ट्रॉल हैं। सुखदायक हैं और सकारात्मक योगदान देते हैं। प्रतिष्ठित सांसद श्री विजय साई रेड्डी जी का राज्यसभा का सदस्य न रहना, राज्यसभा के सभापति के लिए बहुत बड़ी क्षति है। मैं उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
आपके निदेशक अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित शख्सियत हैं और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी उन्हीं के ही समान हैं। किसी भी संस्थान की पहचान उसके बुनियादी ढांचे से होती है, लेकिन इसे आसानी से बनाया जा सकता है। यह आवश्यक है, लेकिन यह विकास की चरम अवस्था नहीं है। यह हमारे बेहद सम्मानित 300 संकाय सदस्यों का दस्ता है, जो आपको भावी कर्णधार बनाने के लिए अपना सर्वस्व सौंप रहे हैं। साथ ही मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं, इस समय आपके संस्थान जैसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के वैश्विक मानक से बड़ा कोई सम्मान नहीं हो सकता।
आईआईटी संस्थानों में, समय के संदर्भ से देखा जाए, तो आप शायद शुरुआत में नहीं रहे होंगे, लेकिन अपनी उपलब्धियों से, अपनी कार्यसिद्धियों से, आप उस समूह तक पहुंच गए हैं। मैं पूरे संकाय को बधाई देता हूं। निदेशक यह जानकर मुझसे सहमत होंगे, कि 1989 से संसद में रहने और अपनी सेवाएं देने के कारण मेरी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपनी भूमिका को उजागर किए बिना राय व्यक्त की है। इसने मुझे याद दिलाया कि मुझे नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
लड़के और लड़कियों, जिसकी हमें कामना है और जिसके लिए हम त्रस्त रहते हैं, उसके लिए नवाचार रामबाण है। यह प्रगति, सतत विकास लाने और हमारी समस्याओं का एकमुश्त समाधान है। जब भारत की बात आती है, तो एक ऐसी भूमि जो 5,000 से अधिक वर्षों से दुनिया के सामने एकरूपता का प्रदर्शन कर रही है,एक भारतीय मस्तिष्क का डीएनए प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।
मैं इस बात को एक उदाहरण से पुष्ट करना चाहता हूं । हम 1.4 बिलियन लोगों की आबादी वाला देश हैं और हम बहुत विस्तृत क्षेत्र में रहते हैं। परिदृश्य, ग्रामीण, अर्ध-शहरी, शहरी, मेट्रो और शीर्ष मेट्रो है। लेकिन जब तकनीकी पैठ और डिजिटलीकरण की बात आती है, तो जरा सोचिए, गांवों के लोगों की तकनीक तक पहुंच है और उसके प्रति अनुकूलनशीलता है। यह शानदार उपलब्धि है, जो हमें वैश्विक स्तर पर सम्मान दिला रही है। यदि हमारी जन-केंद्रित नीतियां, यदि हमारी सेवा प्रदायगी इतनी कुशल है, तो यह गांवों में हमारे भाइयों और बहनों द्वारा तकनीक को अपनाए जाने के कारण है। मैं एक किसान का बेटा हूं ।
कल्पना कीजिए, मुझे कितना गर्व होता है। करीब 100 मिलियन किसानों को साल में तीन बार उनके बैंक खाते में सीधी रकम मिलती है। सरकार या प्रणाली महत्वपूर्ण नहीं है। यह एक उपलब्धि है, लेकिन इसे पाने के लिए किसान खुद ही सक्षम हुए हैं। अब यदि आप इसकी तह में जाएं, तो यह संभव नहीं हो पाता, यदि देश के प्रधानमंत्री ने बैंकिंग प्रणाली तक किसानों की पहुंच होने का बड़ा विचार नहीं रखा होता।
जहां तक समय के आकलन की बात है, तो इतने कम समय में 500 मिलियन से अधिक लोगों को बैंकिंग विजन मिला है। दूसरा, भाई-भतीजावाद की दुर्भावना, जो हमारे युवाओं को कतई स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि यदि किसी रोजगार या अवसर का पासवर्ड संरक्षण है, तो आपके हाथ गहरी निराशा ही लगेगी।
कुछ ही अर्सा पहले, एक समय ऐसा भी था, जब सत्ता के गलियारे भ्रष्ट तत्वों से भरे हुए थे। निर्णय लेने की प्रक्रिया असाधारण रूप से प्रभावित थी। संरक्षण सफलता का पासवर्ड था। देश में एक विशेषाधिकार प्राप्त वंश था। उनका मानना था कि हम कानून से ऊपर हैं। हम कानून की पहुंच से बाहर हैं। युवाओं के लिए इससे ज़्यादा निराशाजनक कुछ और नहीं हो सकता। मैंने अपने समय में इसका सामना किया है।
मेरी पीड़ा की कल्पना कीजिए, आईआईटी में दाखिला हुआ, मेरे पास पैसे नहीं थे, मैं जा नहीं सका। मेरी पीड़ा की कल्पना कीजिए, एक वकील के रूप में मुझे अपने लिए 6000 रुपये का ऋण लेने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। स्पष्ट रूप से मुझे एक मैनेजर मिला, जिसका कहना था, मैं आपको बिना गारंटी के कर्ज दे सकता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि आप अच्छे वकील हैं, और देखिए आप कितने बड़े बदलाव के साक्षी बन रहे हैं। टियर 2 शहरों से स्टार्ट-अप, यूनिकॉर्न निकल रहे हैं।
आप हैं, और आप कोशिश करते हैं, जेन जी और जेनरेशन नेक्स्ट और जो लोग मेरे सामने हैं। आप लोकतंत्र में, इस राष्ट्र की प्रगति में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। अभी, यदि आपको इस बात का पता लगाना है कि हम कहां जा रहे हैं, तो हमें इकोसिस्टम तलाशना होगा। राष्ट्र की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि राष्ट्र युद्ध में है, तो चीजें क्षैतिज रूप से चलती हैं। इसलिए राष्ट्र की स्थिति महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय आंदोलन भी महत्वपूर्ण है। साथ ही इसका विकास का पथ, इसका गंतव्य, इसका इकोसिस्टम।
जब हम इन चीजों की पड़ताल करते हैं, वास्तविकता परखते हैं, तो हमारा देश शीर्ष वैश्विक समूह में है। जब क्वांटम कंप्यूटिंग या ग्रीन हाइड्रोजन मिशन या 6जी के व्यावसायीकरण जैसे विकास के बारीक पहलुओं की बात आती है, तो तकनीकी स्तर पर विश्व में अग्रणी हैं, ऐसे क्षेत्र, जो आपको आकर्षित करेंगे, न कि सामान्य युवाओं को, बल्कि हम राष्ट्रों के बड़े समूह में हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हर पल व्यापक बदलाव ला रही है। यह एक नए युग का सूत्रपात है, संभावनाओं, चुनौतियों और अवसरों से युक्त एक नई तरह की औद्योगिक क्रांति है । इसमें लड़के-लड़कियों के लिए अवसरों की भरमार है। मैं आपको एक पहलू याद दिला दूं। 1990 में मुझे भी बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी थी।
मैं मंत्री था और हमारी वित्तीय विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए हमें अपना सोना हवाई मार्ग से स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में जमा कराना पड़ा था, क्योंकि हमारी विदेशी मुद्रा, महीनों की बात छोड़िए,कुछ सप्ताह के लिए भी पर्याप्त नहीं बची थी।
यह खतरनाक रूप से 1 बिलियन डॉलर के आसपास थी, जो बेहद निराशापूर्ण स्थिति थी । अब, यह हमारे लिए चिंता का कोई विषय ही नहीं है। अब हमारे पास इसका 700 बिलियन का भंडार है, लेकिन अब हमारी चिंता का कारण यह है कि एक पड़ोसी देश के साथ हमारा व्यापार घाटा 90 बिलियन डॉलर की हद तक जा पहुंचा है और यदि मैं हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों पर गौर करूं, तो साल दर साल इनपुट 17 प्रतिशत है और आउटपुट केवल 11 प्रतिशत है। इसका समाधान आपको ही तलाशना होगा।
आपको इस पर ध्यान केंद्रित करना होगा और केवल आप ही ऐसा कर सकते हैं। मैं इस बात से सहमत हूं कि आप जैसे युवाओं में बड़े महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता है। लेकिन फिर आपको कुछ समर्थन की आवश्यकता होती है। और एक समर्थन यह है कि मैं आपके मन को, सांसदों के मन को, प्रमुख उद्योगपतियों के मन को दिशा देना चाहता हूं, आपके अध्यक्ष उस समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं।। शैक्षणिक समुदाय, आपके निदेशक इसका प्रतिनिधित्व करते हैं।
आर्थिक राष्ट्रवाद। व्यापार घाटे के कारण हमारी सैकड़ों अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा नष्ट हो रही है।। यदि कोई देश 90 बिलियन डॉलर के आसपास है, तो जब हम इसका संचयी मूल्यांकन करते हैं, आप कल्पना कर सकते हैं।
इस देश में जो चीज उपलब्ध है, उसका आयात क्यों करना चाहिए? दूसरा, यदि यह टाला जा सकता है, तो क्या हमारी प्रतिभाएं इसके प्रतिस्थापन के माध्यम से इसका समाधान नहीं तलाश सकतीं? और तीसरा, हमारा कच्चा माल हमारे तटों से बाहर चला जाता है, जिससे कच्चे माल को मूल्यवर्धित करने की हमारी असमर्थता का पता चलता है। इस प्रक्रिया में, हम अपने लोगों को दोनों मामलों में काम से वंचित करते हैं, टाले जा सकने वाले आयात और कच्चे माल का निर्यात। स्पष्ट उद्यमशीलता, यह मानसिकता हम पर हावी होनी चाहिए।
जनता की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी बड़ी भूमिका उद्योग, वाणिज्य, व्यवसाय और व्यापार से जुड़े लोगों की है। क्या वे अपने संघों के माध्यम से एक मेज पर बैठकर निर्णय नहीं ले सकते? मैं आग्रह करूंगा कि ऐसा किया जाना चाहिए।
जब मैं आपके आदर्श वाक्य और लोगो पर गौर कर रहा था, तो दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, और मैं जो कुछ भी अपने आप से इकट्ठा कर पाया और जो निदेशक और अध्यक्ष द्वारा कहा गया, उससे मैं खुश हूं। आदर्श वाक्य: मानवता के लिए प्रौद्योगिकी में आविष्कार और नवाचार।
लोगो: ज्ञान का विस्तार और विकास, और यह तेलुगु से लिया गया है। मुझे कुछ बदलावों पर विचार करना चाहिए जो चिंताजनक रूप से खतरनाक और चिंतित करने वाले हैं। भारत समृद्ध भाषाओं का देश है।
संस्कृत, बांग्ला, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, कई भाषाएं हैं। यहां तक कि संसद में भी 22 भाषाओं में एक साथ अनुवाद होता है। हमारे सभ्यतागत लोकाचार हमें समावेशिता की शिक्षा देते हैं। क्या भारत की धरती पर भाषा को लेकर टकरावपूर्ण रुख होना चाहिए?
हाल ही में जब भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया तो यह सभी के लिए गर्व का क्षण रहा। हमें हर भाषा को बढ़ावा देना है। हमारी भाषाओं की पहुंच वैश्विक है। वे साहित्य का समृद्ध भंडार हैं और साहित्यिक कृतियों में ज्ञान और बुद्धिमता है। वेद, पुराण, हमारे महाकाव्य, रामायण, महाभारत, गीता।
और इसलिए मैं देश के नौजवानों का आह्वान करता हूं, सोशल मीडिया ने आपको फैसले लेने की ताकत दी है। यदि राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में कोई भटकाव है, यदि विकास का आकलन दलीय नजरिए से होता है, तो हमें उस पर नजर रखने की जरूरत है।
अपनी शक्ति का उपयोग उन धारणाओं को कुंद करने के लिए करें, जो केवल भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए वित्तीय रूप से संचालित ताकतों से निकलती हैं। क्योंकि आप ऐसे दौर में रह रहे हैं जो आशा और संभावना का संकेत देता है। आपकी टोकरी में असीमित संभावनाएं मौजूद हैं।
समुद्र की सतह, गहरे समुद्र, ज़मीन, भूमिगत, आकाश या अंतरिक्ष को देखिए। आपके अवसर और चुनौतियां वहां हैं। मध्य-नीली अर्थव्यवस्था या अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था।
मैं आपसे एक सवाल पूछता हूं । यदि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कहे कि भारत इस समय हॉटस्पॉट है, एक वैश्विक केंद्र है, निवेश और अवसर के लिए सबसे आकर्षक स्थल है, तो क्या यह सरकारी नौकरियों के लिए है? बिल्कुल नहीं। इसलिए, वह अवसर आपके लिए भी है।
शासन में अपने अनुभव के आधार पर मैं आपको बता सकता हूं कि इन दिनों निवेश, कोई समस्या नहीं है। आपने स्टार्ट-अप निवेश के अलावा सरकारी सकारात्मक नीतियों, नवीन ढांचे, शीर्ष व्यापारिक नेताओं द्वारा स्टार्ट-अप में निवेश देखा होगा। औद्योगिक व्यवसाय में पदानुक्रमिक उत्तराधिकार तंत्र ध्वस्त हो गया है।
टेक टाइकून उभर रहे हैं। एक समय था जब हम शीर्ष वैश्विक कॉर्पोरेट में एक भी भारतीय को किसी भी स्तर पर काम करते हुए नहीं देखते थे, और अब लड़के और लड़कियों, एक भी ऐसी शीर्ष वैश्विक कॉर्पोरेट नहीं है, जहां कोई भारतीय प्रतिभा शीर्ष स्तर पर योगदान न दे रही हो।
जब ऐसी स्थिति हो, तो आपको बदलाव लाना होगा। जो बदलाव आपको देश के लिए सबसे अच्छा लगता है, आपको उसे उत्प्रेरित करना होगा। और मैं कहूंगा, सिर्फ उत्प्रेरित मत करो, बदलाव का केंद्र बनो।
बदलाव का एक और केंद्र, कभी भी कोई शानदार विचार अपने दिमाग में न रखें। आपका दिमाग पार्किंग की जगह नहीं है। पार्किंग की जगह क्या है।
जब आपके दिमाग में कोई विचार आता है और आप प्रयोग करने से डरते हैं, तो आप अपने और मानवता के साथ सबसे बड़ा अन्याय करते हैं। आप विफलता से डरते हैं। लड़के और लड़कियों, विफलता का डर एक मिथक है।
चंद्रयान 2, मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल था। मेरा ख्याल है, यह सितंबर, 2019 था। मेरा ख्याल है कि 2019 था और मैं लगभग 500 स्कूली बच्चों, लड़कों और लड़कियों के साथ था। चंद्रयान 2 करीब उतरा, लेकिन चंद्रमा की सतह को छू नहीं सका। कुछ लोग जो अव्यवस्था का नुस्खा हैं, कुछ लोग नकारात्मकता ही फैलाते हैं। कुछ लोगों को आपके सफेद कपड़े में केवल दाग ही दिखाई देते हैं, उन्होंने इसे विफलता करार दिया, कहा कि इतना पैसा खर्च हो गया, लेकिन यदि आप चंद्रयान 3 की सफलता की पड़ताल करते हैं, तो यह चंद्रयान 2 द्वारा रखी गई नींव पर आधारित है, आप सभी को महसूस होगा कि अधिकांश महान नवाचारों में पहले प्रयास में सफलता हासिल नहीं हो सकी है।
मैं शोध और नवाचार की वास्तविकता पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं । सबसे पहले हमारे कॉरपोरेट्स। मैं उनके विरुद्ध नहीं हूं, मैं उनकी समीक्षा कर रहा हूं। उन्हें शोध में निवेश करना चाहिए। उन्हें विकास और नवाचार के लिए शोध में निवेश करना चाहिए। उन्हें वैश्विक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी, क्योंकि यह निवेश आपके संस्थान या अन्य संस्थानों के लाभार्थी छात्र, लड़के या लड़की के लिए नहीं है।
यह हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए लाभकारी है। और मेरा विश्वास कीजिए, वैश्विक स्तर पर हमारी रणनीतिक प्रणाली में बहुत बड़ा बदलाव आया है। पारंपरिक युद्ध प्रणाली ध्वस्त हो गई है। यह कूटनीति ही है जो परिभाषित करती है। नवाचार और अनुसंधान सॉफ्ट डिप्लोमेसी में हमें बहुत बढ़त देते हैं। हम एक महान शक्ति बन गए हैं। इसलिए मैं इस मंच से अपील करता हूं । कॉरपोरेट्स, इस बात की पड़ताल करें कि पश्चिम में आपके साथी क्या कर रहे हैं। कृपया उनके करीब जाएं।
दूसरा, वैश्विक विश्वविद्यालयों पर नज़र डालिए। उनके पास अरबों डॉलर की बंदोबस्ती निधि है। मुझे उन पर गौर करने का अवसर मिला। हे भगवान, 50 बिलियन डॉलर से अधिक। यदि आप शीर्ष सूची देखते हैं, तो हमारे पास यह क्यों नहीं है? मुझे उम्मीद है, गवर्नर ऑफ द बोर्ड, जिनकी शुरुआत हमने 2008 में की थी।
हमारे पूर्व छात्र हैं। हमारे पूर्व छात्रों को कोष में योगदान करने दें। राशि मायने नहीं रखती। यह योगदान की भावना है जो संस्थान के साथ जुड़ाव पैदा करेगी।
उनके लिए भी यह गर्व की बात है। मैंने एक विचार रखा है। मुझे उम्मीद है कि कोई इसे अपनाएगा।
हमारे पास उत्कृष्ट संस्थान, आईआईटी,आईआईएम और अन्य संस्थान हैं। पूर्व छात्र संघों को पूर्व छात्र संघों के परिसंघ में बदलना चाहिए। यह नीति निर्माण के लिए विश्व में शीर्ष बेंचमार्क थिंक टैंक होगा।
यह अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं कि मैंने जो विचार साझा किए हैं, वे केवल सांकेतिक हैं, क्योंकि आप विचारशील लोग हैं, आप स्वयं इस पर काम कर सकते हैं।
यदि कोई मेरे जैसा व्यक्ति, जिसका बेहद सफल करियर रहा हो, मैं ऐसा कह सकता हूं, अब मैं वरिष्ठ अधिवक्ता नहीं रहा हूं, जिसे अपनी प्रैक्टिस के साढ़े दस साल से भी कम समय में वरिष्ठ घोषित किया गया। ऐसा किसी ने नहीं किया है। मैं अभी तक आईआईटी में प्रवेश न मिलने का खालीपन महसूस करता हूं । आप वहां हैं। मेरे अंदर अभी तक खालीपन है।
राज्यपाल या उपराष्ट्रपति का पद इसकी भरपाई नहीं करता। और इसलिए, मैं आपका एकलव्य हूं । मैं आपको यकीन दिलाने की कोशिश कर रहा हूं।
अंत में, मैं कहूंगा कि मैं आईआईटी के छात्रों और संकाय को बैचों में भारतीय संसद की यात्रा के लिए अपने मेहमान के रूप में आमंत्रित करता हूं, और मुझे इस अवसर पर कुछ ऐसे लोगों को इकट्ठा करना होगा जिन्हें शिक्षित करने की आवश्यकता है। इसमें कोई व्यंग्य नहीं।
हम लंच करेंगे, विचार-मंथन करेंगे। मैं अपने सचिवालय से एक अधिकारी को रजिस्ट्रार के संपर्क में रहने के लिए नियुक्त करूंगा, और यह काम मेरे हेलीकॉप्टर से उड़ान भरने से पहले किया जाएगा। मुझे उम्मीद है कि आप मेरी बात का जवाब देंगे। मैं संतुष्टि, आशावाद और आत्मविश्वास की गहरी भावना के साथ रवाना हो रहा हूं।
हालांकि मैं अपने विचार पूरी तरह से साझा नहीं कर पाया हूं, लेकिन मैं जानता हूं, मैंने संभवत: आपको पात्रता से कम दिया हो, लेकिन आपने मेरी बात का वास्तविक आशय समझ लिया होगा।
समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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एमजी/आरपीएम/केसी/आरके
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