संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
दूरसंचार विभाग और आईटीयू ने दूरसंचार अनुसंधान विशेषज्ञों के साथ शैक्षिक वार्ता के माध्यम से पीएचडी अनुसंधान पर सहयोग के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए
यह साझेदारी भारतीय शोधकर्ताओं और वैश्विक दूरसंचार विशेषज्ञों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को सक्षम बनाती है
"इस सहयोग के माध्यम से, दूरसंचार विभाग का लक्ष्य भारतीय शोधकर्ताओं और संस्थानों को भविष्य की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नवाचार को आगे बढ़ाने की दिशा में सशक्त बनाना है": डॉ. नीरज मित्तल, सचिव (दूरसंचार)
इस सहयोग का उद्देश्य वैश्विक दूरसंचार मानकीकरण और नीति-निर्धारण व्यवस्था में भारत की उपस्थिति को बढ़ाना है
Posted On:
17 FEB 2025 7:53PM by PIB Delhi
भारत सरकार के संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (डीओटी) और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) ने आज जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अंतर्गत दूरसंचार और उससे जुड़ी उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में एक सहयोगी पीएचडी फेलोशिप योजना पर चर्चा का शुभारंभ किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य भारतीय शिक्षाविदों और आईटीयू के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देकर वैश्विक दूरसंचार अनुसंधान और मानकों में भारत के योगदान को मजबूत बनाना है। प्रस्तावित योजना में आईटीयू के फोकस क्षेत्रों में पांच वर्षों में पीएचडी फेलोशिप का समर्थन करने की अवधारणा की गई है।
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इस आशय पत्र पर भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) के सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल और आईटीयू की महासचिव सुश्री डोरेन बोगदान-मार्टिन एंव अन्य प्रमुख अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद हस्ताक्षर किए गए। डॉ. मित्तल भारत के वैश्विक डिजिटल नेतृत्व को और मजबूत करने तथा दूरसंचार क्षेत्र में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ जुड़ाव को गहरा करने के लिए जिनेवा (स्विट्जरलैंड) की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
प्रस्तावित पहल पर संक्षिप्त जानकारी
विश्व स्तर पर दूसरे सबसे बड़े क्षेत्र के तौर पर भारत के तेजी से बढ़ते दूरसंचार क्षेत्र को निरंतर नवाचार की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी , आईटीयू, वैश्विक आईसीटी मानकों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दूरसंचार विभाग और आईटीयू के बीच सहयोग का उद्देश्य भारतीय अनुसंधान को आईटीयू की प्राथमिकताओं के साथ जोड़ना है, जिससे वैश्विक दूरसंचार में विशेष रूप से विकासशील देशों के लाभ के लिए भारत की पक्ष को बढ़ावा मिलेगा।
दूरसंचार विभाग एक निर्दिष्ट केंद्र बिंदु के माध्यम से आईटीयू के साथ समन्वय करते हुए सहभागी विश्वविद्यालयों की पहचान और उनका समर्थन, शोध विषयों पर प्रतिक्रिया, पीएचडी विद्वानों को फेलोशिप और अध्ययन यात्राओं को प्रदान करते हुए आईटीयू के साथ उनके जुड़ाव को सुविधाजनक बनाएगा। उनके विश्वविद्यालय की सलाहकार समिति का एक सरकार द्वारा नामित सदस्य विद्वानों की देखरेख करेगा।
शैक्षणिक और वैश्विक दूरसंचार मानकों की खोज
आशय पत्र पर हस्ताक्षर के साथ , भारत सरकार और आईटीयू ने एक सहयोगी पहल स्थापित करने की अपनी इच्छा व्यक्त की है यह प्रमुख भारतीय संस्थानों के पीएचडी विद्वानों को आईटीयू अध्ययन समूहों या प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से संबंधित रणनीतिक क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह साझेदारी भारतीय शोधकर्ताओं और वैश्विक दूरसंचार विशेषज्ञों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय नवाचार भविष्य की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के विकास में योगदान दें।
प्रस्तावित सहयोग की मुख्य विशेषताएं
- अंतर्राष्ट्रीय अनुभव: भारतीय विद्वानों को आईटीयू विशेषज्ञों के साथ जुड़ने, आईटीयू अध्ययन समूह की बैठकों में भाग लेने और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर शोध प्रस्तुत करने के अवसर मिलेंगे।
- संस्थागत सहयोग: सहभागी भारतीय संस्थानों को भारत सरकार द्वारा प्रायोजित आईटीयू-अकादमिक सदस्यता प्राप्त होगी, जिससे उन्हें आईटीयू के व्यापक अनुसंधान संसाधनों, डेटाबेस और वैश्विक शैक्षणिक नेटवर्क तक पहुंच प्राप्त होगी।
- निर्देशित अनुसंधान: विद्वान आईटीयू द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों और अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) में दूरसंचार विभाग द्वारा नामित सदस्य के सह-पर्यवेक्षण में कार्य करेंगे, ताकि उनका काम वैश्विक अनुसंधान प्राथमिकताओं के अनुरूप हो सके।
वैश्विक दूरसंचार अनुसंधान में भारत की भूमिका को मजबूत करना
भारत का दूरसंचार क्षेत्र 5जी, एआई, आईओटी, साइबर सुरक्षा और क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति के साथ तेजी से विकसित हो रहा है। आईटीयू के फोकस क्षेत्रों के साथ पीएचडी अनुसंधान को अनुरूप करते हुए, यह प्रस्तावित योजना वैश्विक दूरसंचार मानकीकरण और नीति-निर्धारण व्यवस्था में भारत की उपस्थिति को बढ़ाएगी ।
एलओआई पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हुए , डॉ. नीरज मित्तल ने कहा कि आईटीयू के साथ इस एलओआई पर हस्ताक्षर करना अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक दूरसंचार मानकों में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सहयोग के माध्यम से, दूरसंचार विभाग (डीओटी), भारत सरकार का लक्ष्य भारतीय शोधकर्ताओं और संस्थानों को भविष्य की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाना है।"
सहयोग के मुख्य लाभ
यह सहयोग सभी हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है:
- दूरसंचार विभाग के लिए: राष्ट्रीय दूरसंचार लक्ष्यों के अनुरूप अनुसंधान को समर्थन, सार्वभौमिक सम्पर्क की सुविधा और वैश्विक मानक-निर्धारण में भारत के परिप्रेक्ष्य को सुनिश्चित करना।
- आईटीयू के लिए: यह भारतीय शिक्षा जगत के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने में सक्षम बनाता है, तथा अनुसंधान प्रतिभा और मूल्यवान अंतर्दृष्टि के समृद्ध भंडार तक पहुंच प्रदान करता है।
- अनुसंधान विद्वानों के लिए: आईटीयू विशेषज्ञों के साथ वार्तालाप , वैश्विक संसाधनों तक पहुंच और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अवसरों के माध्यम से अमूल्य अनुभव प्रदान करता है ।
आगे की राह: दूरसंचार मानकीकरण में भारत को अग्रणी बनाना
आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने से फेलोशिप योजना के विशिष्ट विवरणों पर चर्चा का शुभारंभ होगा। इसमें संभावित वितरण, समयसीमा और कार्यान्वयन रणनीतियाँ शामिल हैं। दूरसंचार विभाग और आईटीयू दोनों ही दूरसंचार अनुसंधान को आगे बढ़ाने और अत्याधुनिक तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देने में इस सहयोग के महत्व को पहचानते हैं, जिससे भारत और वैश्विक समुदाय दोनों को लाभ होगा। आईटीयू के प्रमुख अनुसंधान प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के साथ जुड़कर, भारत का लक्ष्य उभरती दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में अपनी क्षमताओं को मजबूत करना है, जिससे वैश्विक दूरसंचार अनुसंधान और मानकीकरण में एक अग्रणी के रूप में अपनी भूमिका को बढ़ाया जा सके। यह पहल भारत को दूरसंचार के भविष्य को आकार देने में मदद करेगी, जिससे वैश्विक मानकों और नीतियों को परिभाषित करने में इसकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी।
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