खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों में खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा
Posted On:
13 FEB 2025 6:12PM by PIB Delhi
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के समग्र विकास को बढ़ावा देने और सुनिश्चित करने के लिए, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय अपनी केंद्रीय क्षेत्र योजना प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई), खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संबंधी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) और केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना के जरिए ग्रामीण और पिछड़े इलाकों सहित पूरे देश में संबंधित बुनियादी ढांचे की स्थापना/विस्तार को प्रोत्साहित करता रहा है। ये योजनाएं क्षेत्र या राज्य-विशिष्ट नहीं हैं, बल्कि ये मांग आधारित हैं।
पीएमकेएसवाई के अंतर्गत, 15वें वित्त आयोग चक्र के लिए 5520 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमियों को ऋण से जुड़ी वित्तीय सहायता (पूंजी सब्सिडी) प्रदान की जाती है।
पीएमएफएमई योजना के तहत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की स्थापना/उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और कारोबारी सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2025-26 तक की अवधि के लिए चालू है।
पीएलआईएसएफपीआई का उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ वैश्विक खाद्य विनिर्माण विजेताओं को पैदा करने में सहायता करना और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य उत्पादों के भारतीय ब्रांडों का समर्थन करना है। यह योजना 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2021-22 से 2026-27 की अवधि के लिए चालू है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय अपनी योजनाओं के तहत, स्टैंडअलोन कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करता है। हालांकि, यह पीएमकेएसवाई की प्रासंगिक घटक योजनाओं के तहत खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं के हिस्से के रूप में कोल्ड चेन, संरक्षण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे के निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
इन योजनाओं का उद्देश्य खेत से लेकर खुदरा दुकान तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है, जिसमें भंडारण, परिवहन, मूल्य संवर्धन आदि शामिल हैं, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिल सके और रोजगार के बड़े अवसरों का सृजन हो सके, कृषि उपज की बर्बादी कम हो और प्रसंस्करण स्तर को बढ़ाया जा सके।
मंत्रालय, संबंधित योजना दिशानिर्देशों के मुताबिक, केले के प्रसंस्करण सहित विभिन्न प्रकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए भावी उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) को लागू कर रहा है, जिसके तहत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से प्राप्त वार्षिक कार्य योजना (एएपी) के आधार पर देश में 5000 एमटी तक की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज के निर्माण/विस्तार/आधुनिकीकरण सहित विभिन्न बागवानी गतिविधियों के लिए पूंजी संबंधी सहायता प्रदान की जाती है। वार्षिक कार्य योजनाएं राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उनकी आवश्यकता, क्षमता और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर तैयार की जाती हैं। कोल्ड स्टोरेज का घटक मांग/उद्यमी द्वारा संचालित है, जिसके लिए सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 प्रतिशत और पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से संबंधित राज्य बागवानी मिशनों के माध्यम से ऋण से जुड़ी बैक एंडेड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता उपलब्ध है। इस योजना के अंतर्गत व्यक्तियों, किसानों/उत्पादकों/उपभोक्ताओं के समूहों, साझेदारी/स्वामित्व वाली फर्मों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), कंपनियों, निगमों, सहकारी समितियों, सहकारी विपणन संघों, स्थानीय निकायों, कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) तथा विपणन बोर्डों और राज्य सरकारों को सहायता उपलब्ध है।
योजना केवल उत्तर-पूर्व और हिमालयी राज्यों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करती है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए, उत्तर-पूर्व और हिमालयी राज्यों में पात्र परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से ऋण से जुड़ी बैक एंडेड सहायता उपलब्ध है, जिसकी अधिकतम परियोजना लागत 800 लाख रुपये/इकाई है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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