रक्षा मंत्रालय
भारत रक्षा नवाचार और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में वैश्विक अधिनायक बनने की ओर अग्रसर: एयरो इंडिया 2025 के समापन समारोह में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह
“जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तो सर्वोत्तम से कम कुछ भी स्वीकार नहीं किया जा सकता; हमारे सैनिकों को हर चीज में सर्वश्रेष्ठ प्रदान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है”
“अब समय आ गया है कि निजी उद्योग भारत में रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में मार्ग दर्शक भूमिका निभाए”
रक्षा विनिर्माण में भारत की स्वदेशी प्रतिभा को एयरो इंडिया में अपनी तरह के पहले ‘सामर्थ्य’ स्वदेशीकरण कार्यक्रम में 33 अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया
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12 FEB 2025 6:59PM by PIB Delhi
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 12 फरवरी, 2025 को कर्नाटक के बेंगलुरु में 15वें एयरो इंडिया के समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत परिवर्तन के एक क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है और देश रक्षा नवाचार तथा एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में वैश्विक अधिनायक बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में समग्र राष्ट्रीय सशक्तिकरण ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भरता के मंत्र का अंतर्निहित दर्शन था। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह दर्शन धीरे-धीरे हमारी राष्ट्रीय भावना में बदल चुका है और अब यह तेजी से राष्ट्रीय संकल्प एवं राष्ट्रीय क्रांति बनने की ओर आगे बढ़ रहा है।
श्री राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया 2025 में देखी जा रही ऊर्जा और उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि इस आयोजन में घरेलू व वैश्विक प्रदर्शकों की बढ़ती भागीदारी तथा भारतीय वायु सेना के लुभावने एयरोबैटिक प्रदर्शनों ने एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस एवं रक्षा प्रदर्शनी के 15वें संस्करण को एक अद्वितीय और ऐतिहासिक आयोजन बना दिया है। उन्होंने भाग लेने वाली रक्षा एवं एयरोस्पेस कंपनियों के बीच गहन व सार्थक सहभागिता के प्रति आशा व्यक्त की।
रक्षा मंत्री ने देश में रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में आए व्यापक बदलाव के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए इस बात की सराहना की है कि जहां एक दशक पहले 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे, वहीं आज लगभग उतने ही प्रतिशत हथियार/प्लेटफार्म भारतीय धरती पर तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हम ऐसे मोड़ पर हैं, जहां पर लड़ाकू विमान, मिसाइल प्रणाली और नौसैनिक जहाज समेत कई रक्षा उत्पाद न केवल हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि दुनिया का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि छोटी तोपों से लेकर ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल प्रणाली जैसे बड़े प्लेटफॉर्म तक, हम कई देशों को अनेक तरह के उत्पाद निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने वैश्विक स्तर पर नई साझेदारियां स्थापित की हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्षा निर्यात में वृद्धि हुई है।
श्री सिंह ने कहा कि भारत के पास एक सशक्त रक्षा औद्योगिक परिसर है, जिसमें 16 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू), 430 लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुल रक्षा उत्पादन में 21% की अपनी वर्तमान हिस्सेदारी के साथ, निजी क्षेत्र आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। रक्षा मंत्री ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की प्रगति के लिए सरकार द्वारा लगातार लागू की जा रही नीतियों की जानकारी दी, जिनमें रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में संशोधन व रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स), आईडीईएक्स के साथ नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी (एडीआईटीआई) तथा प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) जैसी पहलों/योजनाओं का शुभारंभ शामिल है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि निजी उद्योग भारत में रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में मार्ग दर्शक भूमिका निभाए।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के अलावा, सशस्त्र सेनाएं देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में सबसे बड़ी भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और इसमें किसी भी तरह के समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो सर्वश्रेष्ठ से कम कुछ भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। श्री सिंह ने कहा कि चाहे हमारे सैनिकों के लिए उपकरण हों या उनके और उनके परिवारों के लिए उचित सुविधाओं का प्रावधान हो, उन्हें हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदान करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा "मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि आज हमारी सेनाएं न केवल सर्वोत्तम हथियारों/प्रौद्योगिकियों से लैस हैं, बल्कि उनके पास भारत में निर्मित प्लेटफॉर्म भी हैं।"
श्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी रूप से निर्मित रक्षा उत्पादों पर पूर्ण विश्वास के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेना ने देश में निर्मित हथियारों और उपकरणों को पूरे दिल से अपनाया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अपने सशस्त्र बलों की पूर्ण संतुष्टि से ही हम तेज गति से आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और भारत में बन रहा विशाल रक्षा औद्योगिक परिसर हमारी सभी सेनाओं के भरोसे और विश्वास पर आधारित है।
रक्षा मंत्री ने आज के उभरते युद्ध के आयामों को ध्यान में रखते हुए रक्षा तैयारियों को लगातार बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि एयरो इंडिया 2025 ने यह क्षमता दिखा दी है कि भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र का भविष्य सिर्फ आसमान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे भी आगे है। श्री सिंह ने 15वें एयरो इंडिया में भाग लेने के लिए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रतिभागियों के बीच अनेक सहयोगात्मक, पारस्परिक रूप से लाभकारी और सफल उपक्रमों तथा गठबंधनों के बीज बोएगा।
इससे पहले, श्री राजनाथ सिंह ने ‘सामर्थ्य’ स्वदेशीकरण कार्यक्रम में भाग लिया, जो एयरो इंडिया में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम था। इसमें रक्षा विनिर्माण में भारत की स्वदेशी प्रतिभा को 33 प्रमुख घटकों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया, जिसमें रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू), डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के 24 उपकरण तथा रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) की नौ सफल नवाचार परियोजनाएं शामिल थीं।
हथियार एवं उपकरणों में एंटी-एयरक्राफ्ट मशीन गन का इलेक्ट्रो ब्लॉक, पनडुब्बी का इलेक्ट्रिक मोबाइल पार्ट, एचएमवी 6x6 का टॉर्शन बार सस्पेंशन, एलसीए एमके-I/II, एलसीएच के घटकों के लिए एक्सट्रूडेड अल मिश्र धातु, भारतीय उच्च तापमान मिश्र धातु (आईएचटीए) फोर्ज्ड, सॉल्यूशन एनील्ड और मशीनड बिलेट, वीपीएक्स-135 सिंगल बोर्ड कंप्यूटर, टैंक टी-90 का थूथन बोर साइट, रुद्रएम II मिसाइल, नौसेना एंटी-शिप मिसाइल-शॉर्ट रेंज, सी4आईएसआर सिस्टम, डीआईएफएम आर118 इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, स्वचालित विशेष निगरानी प्रसारण रिसीवर, अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रिक फेरी, कम्प्यूटरीकृत पायलट चयन प्रणाली, अवैध ड्रोन हेतु काउंटर अटैक टूल (आरएफ जैमर गन), 4जी/एलटीई टीएसी-लैन आक्रमण सतह निगरानी उपकरण, एआई/एमएल आधारित विश्लेषणात्मक एवं डिसिशन सपोर्ट प्लेटफार्म (दीपदर्शक), स्मार्ट संपीड़ित श्वास तंत्र, आईएफडीएसएस का फायर वायर, पोर्टेबल आरसीएस मापन उपकरण, 125 मिमी एफएसएपीडीएस के लिए पेनेट्रेटर असेंबली, एसयू-30एमकेआई हेतु पायलट पैराशूट पीएसयू-36, कोंकर्स-एम मिसाइल के लिए नॉक आउट इंजन (केओई) चार्ज, बीएमपी II हेतु डिफ्यूजन टेक्नोलॉजी आधारित ड्राइवर नाइट साइट और एके630एम नेवल गन के लिए 30 मिमी सिक्स बैरल एओ-18 गन शामिल हैं।
रक्षा मंत्री द्वारा कार्यक्रम के दौरान तीन पुस्तिकाएं जारी की गईं - जिनमें स्वदेशीकरण पर कॉफी टेबल पुस्तिका 'सामर्थ्य'; समस्या परिभाषा वक्तव्य (सीपीडीएस) अर्थात 2025 का संग्रह और मुख्यालय आईडीएस की पुस्तिका शामिल हैं। कॉफी टेबल बुकलेट में रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा संचालित स्वदेशीकरण यात्रा का अवलोकन प्रस्तुत किया गया है। मुख्यालय आईडीएस की पुस्तिका, नई और परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी के उद्भव की पृष्ठभूमि में, डेटा-केंद्रित वातावरण में बहु-डोमेन संचालन के संचालन के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
सीपीडीएस का उद्देश्य भारतीय सेना की परिचालन चुनौतियों और शिक्षाविदों, रक्षा उद्योग जगत के स्टार्ट-अप तथा शोध संस्थानों द्वारा पेश किए गए अभिनव समाधानों के बीच की खाई को पाटना है। इसमें युद्ध के 11 कार्यात्मक क्षेत्रों में 82 समस्या विवरण शामिल हैं, जिनमें एआई, संचार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, परिस्थितिजन्य जागरूकता, उत्तरजीविता, गतिशीलता, आयुध, मानव रहित प्रणाली, साइबर, लॉजिस्टिकल चुनौतियां आदि शामिल हैं। इसमें स्वदेशीकरण/आयात प्रतिस्थापन के लिए समस्या विवरण भी समाहित हैं, ताकि लीगसी इक्विपमेंट के कुछ घटकों या संयोजनों के लिए हमारी आयात निर्भरता कम हो सके।
सीपीडीएस एक संरचित दृष्टिकोण है, जिसके तहत सेना महत्वपूर्ण परिचालन चुनौतियों की पहचान करती है और उनका दस्तावेजीकरण करती है। यह भारतीय रक्षा इकोसिस्टम को सीधे जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है, साथ ही सेना की जरूरतों के अनुरूप अत्याधुनिक तकनीकों के अनुसंधान एवं तैनाती में तेजी लाती है। जवाब प्रस्तुत करने की प्रक्रिया और मूल्यांकन मानदंडों पर विस्तृत दिशा-निर्देश भारतीय सेना की वेबसाइट के आर्मी डिजाइन ब्यूरो वेबपेज पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध संग्रह में शामिल किए गए हैं।
कार्यक्रम के दौरान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), रक्षा सेवाओं के कर्मचारियों और संबद्ध उद्योग भागीदारों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने प्रदर्शित उपकरणों के स्वदेशीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ; प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान; नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी; थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी; वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह; रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह; सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार भी उपस्थित थे।
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