मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन

Posted On: 11 FEB 2025 4:27PM by PIB Delhi

विगत तीन वर्षों 2021-22 से 2023-24 के दौरान अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में 7.33% की वार्षिक औसत वृद्धि दर के साथ उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन 2021-22 में 121.21 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 139.07 लाख टन हो गया है । वर्ष 2020-21 से 2023-24 के दौरान वार्षिक वृद्धि दर के साथ वर्षवार अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन  का विवरण नीचे दिया गया है:

वर्ष

अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन (लाख टन )

वार्षिक वृद्धि दर (प्रतिशत)

2020-21

112.49

7.78

2021-22

121.21

7.75

2022-23

131.13

8.18

2023-24

139.07

6.06

 

मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से 5 वर्ष की अवधि के लिए मात्स्यिकी और जलकृषि क्षेत्र में 20050 करोड़ रुपए  के अब तक के उच्चतम निवेश के साथ सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)” नामक एक प्रमुख योजना को कार्यान्वित कर रहा है ताकि मत्स्य उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, पोस्ट हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रबंधन, मूल्य श्रृंखला आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण, पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान में कमी, ट्रेसेबिलिटी इत्यादि में मुख्य कमियों (क्रिटिकल गैप्स) को दूर किया जा सके।  इस योजना के तहत मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जैसे -  मात्स्यिकी गतिविधियों का गहनीकरण, क्षेत्र विस्तार, विविधीकरण, प्रौद्योगिकियों का समावेश, फिश स्टॉक विस्तार गतिविधियाँ (रीवर और सी रैंचिंग), डीप सी फिशिंग को बढ़ावा देना, ऑपेन सी केज, सी वीड और बाइवाल्व कल्चर सहित मेरीकल्चर को बढ़ावा देना, गुणवत्ता वाले बीज और चारे की आपूर्ति, सस्टेनेबल फिशिंग  प्रैक्टिस को बढ़ावा देना, आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, प्रशिक्षण और कौशल विकास, जलाशय केजों को बढ़ावा देने सहित जलाशयों का इन्टीग्रेटेड विकास, लवणीय और क्षारीय क्षेत्रों में मत्स्यपालन को बढ़ावा देना आदि। विगत चार वर्षों और वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान, पीएमएमएसवाई के तहत 8926.33 करोड़ रुपये के केन्द्रीय अंश के साथ 20990.79 करोड़ रुपये की लागत से  राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं

मात्स्यिकी क्षेत्र के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, वर्ष 2018-19 में 7522.48 करोड़ रुपए की कुल निधि के साथ फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड  (एफआईडीएफ),की शुरुआत की गई। यह फंड राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और अनुसूचित बैंकों के माध्यम से मात्स्यिकी संबंधित परियोजनाओं के लिए रियायती वित्त प्रदान करता है। एफआईडीएफ के तहत फिशिंग हार्बर, फिश लैंडिंग सेन्टरों और फिश प्रोसेसिंग यूनिट्स आदि सहित 5801.06 करोड़ रुपये के लागत वाले कुल 136 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है।

इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधा का विस्तार मछुआरों और मत्स्यपालकों तक  किया है , ताकि  कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में उन्हें सहायता प्रदान की जा सके। मछुआरों और मत्स्यपालकों को कुल 4,50,799 केसीसी स्वीकृत किए गए हैं।

यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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