विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
प्रगति के एक दशक का उत्सव
विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
Posted On:
10 FEB 2025 5:42PM by PIB Delhi
महिलाओं ने विज्ञान की दुनिया को आकार देने, अभूतपूर्व खोज करने और विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षा और अनुसंधान में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के बढ़ते प्रयासों के साथ अब महिलाएं वैज्ञानिक प्रगति का नेतृत्व कर रही हैं। साथ ही रुढ़िवादिता को खत्म कर रही हैं और वैश्विक स्तर पर विज्ञान के परिदृश्य को फिर से परिभाषित कर रही हैं। 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 फरवरी को विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी एवं गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में लैंगिक समानता के महत्व के वैश्विक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है और इस वर्ष हम इसकी 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
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विज्ञान में भारत की महिलाओं की टाइमलाइन
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भारत में लैंगिक अंतर को कम करना
भारत ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी एवं गणित यानी एसटीईएम में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने हाल ही में वाइज-किरण (विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएं-किरण) योजना लागू की है, जो महिलाओं को उनके वैज्ञानिक करियर के विभिन्न चरणों में सहायता करने के लिए डिजाइन किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है। इस योजना के तहत सरकार ने निम्नलिखित पहल शुरू की हैं :
वाइज-पीएचडी : इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन महिलाओं को सहायता प्रदान करना है जो बुनियादी और व्यावहारिक विज्ञान के 5 विषय क्षेत्रों में पीएचडी करना चाहती हैं।
वाइज पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप (वाइज-पीडीएफ): इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को स्वतंत्र परियोजना अनुदान के माध्यम से बेसिक और अप्लाइड (अनुप्रयुक्त)साइंसेज में पीएचडी के बाद अनुसंधान जारी रखने का अवसर प्रदान करना है।
वैज्ञानिक ऊंचाइयों और नवाचारों को विकसित करने और आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं की प्रवृत्ति (विदुषी) : विदुषी कार्यक्रम उन महिला वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करता है जो सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं या सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हैं। यह उन महिला वैज्ञानिकों को भी सहायता देता है जो स्थायी पद पर नहीं हैं लेकिन सक्रिय शोधकर्ता हैं और अनुसंधान क्षेत्र में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं।
वाइज-स्कोपः यह कार्यक्रम महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी के जानकारों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) हस्तक्षेपों के माध्यम से सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों में वाइज इंटर्नशिप (वाइज-आईपीआर) : वाइज-आईपीआर कार्यक्रम इस क्षेत्र में मुख्य पेशेवर कौशल विकसित करने के लिए महिलाओं को बौद्धिक संपदा अधिकार के क्षेत्र में एक साल का प्रशिक्षण प्रदान करता है।
महिला अंतर्राष्ट्रीय अनुदान सहायता (विंग्स): यह कार्यक्रम भारतीय महिला वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान करने का अवसर उपलब्ध कराता है।
नवाचार और उत्कृष्टता के लिए विश्वविद्यालय अनुसंधान का दृढ़ीकरण (सीयूआरआईई) : सीयूआरआईई कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) क्षेत्र में उत्कृष्टता पैदा करने के लिए अनुसंधान सुविधाओं को बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में सुधार के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए महिला संस्थानों को सहायता प्रदान करता है।
विज्ञान ज्योति : विज्ञान ज्योति कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों को एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में उच्च शिक्षा और करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां महिलाओं की भागीदारी कम है ताकि सभी धाराओं में लैंगिक अनुपात को संतुलित किया जा सके। विज्ञान ज्योति (स्कूल) देश के 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 250 जिलों में कार्यान्वयन में है।
परिवर्तनकारी संस्थानों के लिए लैंगिक उन्नति (गति): गति का लक्ष्य संस्थागत स्तर पर परिवर्तनकारी परिवर्तन लाने पर ध्यान देने के साथ एसटीईएमएम (विज्ञान प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग गणित और चिकित्सा) में लैंगिक समानता के लिए एक स्वदेशी चार्टर विकसित करना है।
इन प्रयासों का सामूहिक उद्देश्य लैंगिक अंतर को कम करना, एसटीईएम में महिलाओं को सशक्त बनाना और भारत में एक समावेशी वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना है।
बाधाओं पर काबू पाकर करियर में आगे बढ़ना
इतिहास को देखें तो पता चलता है कि विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं ने सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी है, रुढ़िवादिता को खत्म किया और मानव ज्ञान में अभूतपूर्व योगदान दिया है। आइए हम उन महिलाओं को याद करें जिन्होंने सामाजिक मानदंडों से परे होकर सपने देखने का साहस किया और एक ऐसी विरासत का निर्माण किया है जो दूसरों को प्रेरित करती रहती है!
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निष्कर्ष : विज्ञान में समान अवसरों का भविष्य
जैसा कि हम विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस की 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, यह स्पष्ट है कि महिलाओं ने एसटीईएम में जबरदस्त प्रगति की है, बाधाओं को पार किया है और वैज्ञानिक परिदृश्य को नया आकार दिया है। भारत के समर्पित प्रयासों- नीतियों, कार्यक्रमों और संस्थागत समर्थन के माध्यम से उच्च शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में महिला भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संदर्भ
https://www.un.org/en/observances/women-and-girls-in-science-day
https://www.indiascienceandtechnology.gov.in/sites/all/themes/vigyan/images/Women's_Scientist_Brochure_Low_Res.pdf
https://dst.gov.in/scientific-programmes/wise-kiran
https://www.unesco.org/en/days/women-girls-science
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