उप राष्ट्रपति सचिवालय
azadi ka amrit mahotsav

2022 और 2023 बैच के आईडीएएस परिवीक्षा अधिकारियों को उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूलपाठ (अंश)

Posted On: 06 FEB 2025 8:20PM by PIB Delhi

सबसे बड़े लोकतंत्र,जो मानवता के छठे हिस्से का निवास-स्थल है, की सेवा करना आपके जीवन में दैविक हस्तक्षेप है।

आपको बाधा उत्पन्न करने के बजाय समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता है। चूक ढूँढ़ना बहुत आसान है, आलोचना करना बहुत आसान है। यह प्रक्रिया आवश्यकता पूरी तरह से विस्तृत नहीं है, लेकिन यदि आपका दृष्टिकोण वास्तव में चीजों को तेजी से देखना है, तो आपके मन में समाधान होना चाहिए और मुख्य रूप से, समाधान तत्काल समर्थन देने से जुड़ा है। चीजें अद्भुत होंगी।

मैं आपको बता दूँ, मानवता के छठे हिस्से को निवास देने वाले भारत की सेवा करना एक वरदान है। आपके पास अपनी योग्यता के कारण कई अन्य क्षेत्रों में सेवा करने का अवसर मिल सकता है और शायद बड़े वित्तीय लाभ के साथ, लेकिन आपको वह संतुष्टि कभी नहीं मिलेगी, जो आपको अभी मिल रही होगी। सेवा के हमारे सभ्यतागत लोकाचार को जीने की संतुष्टि, हमारे राष्ट्रवाद को पोषित करने की संतुष्टि, हमारी मातृभूमि की सेवा करने की संतुष्टि, और ऐसी परिस्थितियों में सेवा करने की संतुष्टि, जिससे हर कोई ईर्ष्या करता है।

आपका सारा जीवन प्रकृति के निकट संपर्क में रहेगा, क्योंकि रक्षा संपदा प्रचुर मात्रा में प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप दी गई है।

दूसरा, आप एक ऐसे समुदाय के साथ रह रहे होंगे और व्यवहार कर रहे होंगे, जो आम तौर पर वर्दी में होते हैं। आप ऐसे लोगों से बातचीत कर रहे होंगे, जो सर्वोच्च बलिदान की कीमत पर मातृभूमि की सेवा करने के संकल्प के साथ वर्दीधारी हैं। किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा मौलिक है। ऐसा कहा जाता है कि मजबूत स्थिति से, सुरक्षा सबसे अच्छी तरह सुनिश्चित होती है और मजबूत स्थिति तैयारी के स्तर से सुरक्षित होती है और तैयारी के लिए आपको समय से आगे रहना होगा।

आपको हर क्षेत्र में अगली पीढ़ी के उपकरणों के बारे में सोचना होगा और अब स्थिति इतनी नाटकीय रूप से बदल गई है कि पारंपरिक युद्ध पीछे छूट गया है।

आपको विघटनकारी प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न कई रणनीतिक चुनौतियों से निपटना होगा। इसलिए, आपको अपने प्रशिक्षण के दौरान सीखते रहना होगा, आपका अनुभव उल्लेखनीय है लेकिन इसमें से बहुत कुछ आपको खुद से सीखना भी होगा। सीखना कभी रुकता नहीं है, विशेष रूप से आपकी सेवा में, आपको हमेशा सीखते रहना होगा, क्योंकि लेखा, बजट, लेखा रखरखाव, प्रभावी पारदर्शिता, जवाबदेही के संदर्भ में व्यापक बदलाव हुए हैं।

यदि आप किसी काम में लग जाते हैं और जुनूनी हो जाते हैं, आपको रक्षा सचिव द्वारा बतायी गयी प्रक्रियागत खामी दिखती है, लेकिन आपके दिमाग में कोई समाधान नहीं आता। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि हम किस तरह का नुकसान करते हैं। बेशक, इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा, हमारी तैयारियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।

आप आर्थिक अनुशासन के प्राचीन संरक्षक हैं। मैं दृढ़ता से इस बात का समर्थन करता हूं कि राजकोषीय विवेक, मितव्ययिता का सावधानीपूर्वक, ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए, लेकिन यह दक्षता की कीमत पर या समझौता करके नहीं होना चाहिए और दक्षता संसाधनों के राजकोषीय उपयोग में निहित है। जब संसाधन आवंटित किए जाते हैं और आपके मामले में आवंटन वास्तव में बजट का 13% से 14% है। यदि आप इसमें देरी करते हैं, तो राष्ट्र को नुकसान होता है।

हमारे पड़ोस में सुरक्षा माहौल को देखते हुए, हमारे सामने मौजूद चुनौतियों को देखते हुए, तथा वर्तमान की चुनौतियों को देखते हुए जब दुनिया के किसी भी हिस्से में, यूक्रेन-रूस, इजरायल-हमास, में संघर्ष हो रहा है, हम त्रुटिहीन रहे हैं और इसलिए, अब तैयारी का स्तर उससे कहीं अधिक हो गया है, जैसा आप सोच रहे होंगे।

अच्छी बात यह है कि हमारा देश तैयार हो रहा है। इसकी शुरुआत लंबे समय के बाद राफेल के अधिग्रहण से हुई थी, लेकिन अब चीजें पटरी पर हैं, लंबित कार्यों को पूरा किया जा रहा है। रक्षा सचिव मामले की सुनवाई करते हैं, सीडीएस और तीनों सेना प्रमुख भी मामले की सुनवाई करते हैं, लेकिन आपकी सोच निर्णायक होगी।

मेरा कहना है कि हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखें, राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता रखें, लेकिन यह सिर्फ एक विचार नहीं हो सकता। आपको उस विचार को दिन-रात साकार करना होगा। अगर आप चारों ओर देखें, तो पाएंगे कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करना और परिचालन दक्षता को सक्षम बनाना आपका कर्तव्य है, लेकिन आपको यह भी देखना होगा कि व्यक्तिगत रूप से आप क्या कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यह कहा जाता है और यह ऐतिहासिक तथ्य है कि सशस्त्र बलों का मनोबल इस बात से निर्धारित होता है कि हम अपने पूर्व सैन्यकर्मियों के प्रति कितना ध्यान रखते हैं। यदि पूर्व सैन्यकर्मियों का मनोबल अच्छा है, तो जो लोग सीमाओं पर सेवा करते हैं, उनका मनोबल बढ़ता है।

आपका पूर्व सैन्यकर्मियों, पेंशनभोगियों के साथ गहरा जुड़ाव रहता है। आपके पास दो तरह के संबंध हैं और मैं इसे लेकर बहुत भावुक हूं क्योंकि मैं चित्तौड़गढ़ नामक जगह से आता हूं। मेरी दाईं आंख ठीक नहीं होने के कारण मैं सेना में नहीं आ पाया। इसलिए, राज्यसभा के सभापति के रूप में, मैं ज्यादातर दाईं ओर सरकार की ओर देखता हूं, लेकिन मेरा दिल बाईं ओर है, जहां विपक्ष है। इसलिए, आपको पेंशनभोगियों के लिए पूरी तरह से सहानुभूति रखनी होगी। पेंशन के वितरण में कभी भी कोई समस्या पैदा न करें।

मैं बहुत खुश हूं और मुझे इस बारे में पता चला कि तकनीकी उन्नयन के परिणामस्वरूप तेजी से कार्य पूरे किये जा रहे हैं, लेकिन समस्याएं मौजूद हैं और समस्याओं को तो रहना ही है। हमारे पास कभी भी ऐसी व्यवस्था नहीं होगी, जहां अंतर-विभागीय या पेंशनभोगियों के साथ कोई समस्या न हो।

सहानुभूति रखें, उनके साथ समर्पण की भावना से पेश आएं। वे सभी आपके लिए माता-पिता की तरह हैं, वरिष्ठ नागरिक, हमारे पूर्व सैन्यकर्मी। उनका हाथ थामें, अगर वे आपसे शारीरिक रूप से जुड़ते हैं, तो यह बहुत लंबी दूरी तय करेगा। न केवल वे आपको आशीर्वाद देंगे, बल्कि मौखिक रूप से, एक संदेश सभी में व्याप्त हो जाएगा। वे सेवानिवृत्त लोग नहीं हैं, वे पेंशनभोगी हैं। वे किसी भी रूप में राष्ट्र की सेवा करने से कभी नहीं थकेंगे। मानव संसाधन की यह धन्य, प्रतिष्ठित, प्रीमियम श्रेणी है, जिसके साथ आप बातचीत करेंगे।

वित्त से जुड़े लोगों को कोई पसंद नहीं करता। लेखा परीक्षक (ऑडिटर) से कोई प्यार नहीं करता। कभी-कभी डर का तत्व होता है, लेकिन अब मानसिकता बदलनी चाहिए क्योंकि ईमानदारी काफी हद तक तकनीक के कारण पैदा हुई है। पूरी प्रणाली में बहुत कुछ दूर किया गया है, ज्यादातर आपकी प्रणाली में, लेकिन मैं विशेष रूप से आग्रह करूंगा कि दूसरों का लेखा परीक्षण (ऑडिट) करते समय, खुद का लेखा परीक्षण (ऑडिट करने में कभी संकोच न करें।

युवा लड़के और लड़कियों के रूप में, आपको आचरण, अनुशासन और शिष्टाचार से यह उदाहरण देना चाहिए कि न केवल आप अलग हैं, बल्कि आप बदलाव लाने के लिए तैयार हैं और यह बदलाव राष्ट्र को अलग बनाने में योगदान देगा।

चुनौतियाँ हमेशा मौजूद रहेंगी, लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि ईमानदारी का कानूनी मार्ग सबसे सुरक्षित मार्ग है। संक्षिप्त मार्ग (शॉर्टकट) बहुत लुभावने होते हैं; कभी-कभी, वे इतने लुभावने होते हैं कि उनका विरोध नहीं किया जा सकता लेकिन जब चुनौतियाँ आती हैं, तो संक्षिप्त मार्ग (शॉर्टकट), दो बिंदुओं के बीच सबसे छोटी दूरी होने के बजाय, सबसे लंबी दूरी बन जाती है, जिसमें विपरीत हवाएँ और हवा के झोंके होते हैं। कभी-कभी, मोल-भाव करना कभी खत्म नहीं होता।

 

इसलिए, वित्तीय ईमानदारी परम सार है; यह आपका अमृत है। एक बार वित्तीय ईमानदारी से समझौता करने के बाद, आप इसे हमेशा के लिए खो देते हैं; आप कभी भी इसकी मरम्मत नहीं कर सकते हैं और इसलिए, जीवन में खुशी और संतुष्टि का एक तंत्र विकसित करें, जो आपको निजी क्षेत्र में रहने वालों से तुलनात्मक माप नहीं कर्ता हो। लिमोसिन आपको बहुत आकर्षक लग सकता है, लेकिन अगर आप उनकी भूमिका में आ जाते हैं, तो आप पाएंगे कि आपका जीवन बहुत अधिक खुशहाल, अधिक संतोषजनक है।

सबसे अच्छा जवाब है, 'मुझे नहीं पता।' कभी अनुमान न लगाएं, कभी असफलता से न डरें। कभी भी इस बात से न डरें कि आपके पास ज्ञान की कमी है, कोई भी विश्वकोश नहीं है। ऐसे लोग होंगे जो आपसे कहेंगे, हाँ, आप अच्छे लड़के हैं, अच्छी लड़की हैं। आप नहीं जानते, लेकिन आप जीने के लिए तत्पर हैं। आपके पास यह कहने का साहस और दृढ़ विश्वास है, मैं इस समय तैयार नहीं हूँ, मुझे एक दिन का समय दें। हो सकता है कि वरिष्ठ, उस समय सराहना न करें। लेकिन उस गलती को किसी ऐसी चीज़ से ढकना जो स्वीकार्य न हो, आपको ऐसे तरीके अपनाने नहीं चाहिए।

व्यक्तियों के रूप में, मैं आपको आमंत्रित करता हूँ कि आपको देश के अच्छे नागरिक बनना चाहिए जबकि हमारे देश में लोग अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और हमारे पास मौलिक अधिकार हैं, मैं आप सभी से सबसे पहले संविधान के भाग 4ए में दिए गए मौलिक कर्तव्यों को ध्यान से पढ़ने का अनुरोध करूँगा। कई लोग मुझसे पूछते हैं कि हम व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकते हैं? मैं यहाँ आपको कुछ सुझाव दूँगा।

एक, प्रधानमंत्री ने एक पेड़ माँ के नामका आह्वान किया, तो कल्पना करें कि इससे कितना फर्क पड़ रहा है। अगर हर कोई इसे गंभीरता से ले और मैं सभी को शामिल करता हूँ, जिसमें एक बच्चा भी शामिल है, तो 1.4 बिलियन पौधे होंगे। आप ऐसे देश में रह रहे होंगे जहाँ आप बदलाव ला सकते हैं। कृपया ऐसा करें।

मैं चाहता हूँ कि आप पाँच सभ्यतागत मूल्यों पर ध्यान दें, उन्हें आत्मसात करें और उनका अभ्यास करें।

एक, पारिवारिक संबंधों, पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करना। परिवार से जुड़े रहना। दादा-दादी, नाना-नानी को जब पता लगता है कि उन्होंने फ़ोन किया, उनसे बात हो गई| उन्हें जीवन में आनंद लेने का एक पल मिल जाता है|

इसे प्राथमिकता बनाइए, पर्यावरण जागरूकता और सतत जीवन शैली में विश्वास रखिए। ये केवल शब्द नहीं हैं। व्यक्तिगत रूप से आप इसमें योगदान दे सकते हैं। स्वदेशी ज्ञान, स्वदेशी, आर्थिक आत्मनिर्भरता को अपनाइए। स्थानीय के लिए मुखर बनिए। मैं आपको बताता हूँ, इस देश में टालने योग्य आयात वित्त पर बहुत बड़ा बोझ है, अरबों डॉलर तक। ये टालने योग्य आयात जूते, मोजे, पतलून, कोट, शर्ट, कालीन, फर्नीचर, खिलौने, मोमबत्तियाँ, और भी बहुत कुछ के रूप में हैं।

दूसरा पहलू यह है कि जब हम देश में आयातित टालने योग्य विदेशी वस्तुओं का उपयोग करते हैं, तो हम अपने लोगों को काम से वंचित कर रहे हैं। यह छोटा सा काम आप कर सकते हैं। मैं स्थानीय के लिए मुखर होऊंगा; जब मेरे उपयोग की बात आएगी तो मैं स्वदेशी उत्पाद का उपयोग करूंगा। देश की एजेसियां ऐसा नहीं कर सकतीं। आप एक समझदार युवा दिमाग हैं। विश्व व्यापार संगठन सामने आएगा। इसके लिए नीति बनाना बहुत मुश्किल है। लेकिन अगर लोग अपनी आदत से, एक डिज़ाइन की गई आदत से, आदत को मन में बैठाये हुए हैं, तो इससे फर्क पड़ेगा।

सामूहिक विविधता के बीच एकता और समावेशिता में गढ़ा गया। 5,000 वर्षों से हमारे पास समावेशिता है, लेकिन समावेशिता के लिए चुनौती अत्यधिक थी।

हत्यारे आए, आक्रमणकारी आए। उन्होंने हमारी संस्कृति, हमारे धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया। हम अपनी जमीन पर डटे रहे लेकिन अब समय आ गया है कि राष्ट्र के हित को हमेशा सबसे पहले रखा जाए, एकता को बढ़ावा दिया जाए, भाईचारे को बढ़ावा दिया जाए, और यह आवश्यक है क्योंकि आपको कोई ऐसा व्यक्ति मिल सकता है, जो हमारे मूल्यों को नहीं मानता हो, राष्ट्र में विश्वास नहीं करता हो। आपके पास मानसिकता को बदलने की क्षमता होनी चाहिए, और यदि नहीं, तो अपनी उपस्थिति महसूस कराएं। राष्ट्र पहले होना चाहिए।

हर किसी के पास नागरिक कर्तव्य हैं। मैंने खुद देखा है, कोई भी भारतीय जो भारत से विदेश गया हो, उसने चलती गाड़ी से केले का छिलका फेंका हो। किसी ने ऐसा नहीं किया है, और यहाँ वापस आकर, सड़क तो हमारी है, हमारा कचरा है, फेंकेंगे लेकिन प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत का आह्वान किया।

अब लोग ऐसा नहीं करते। इसे देखें। अगर हम एक अनुशासित राष्ट्र बन जाते हैं, तो चीजें अलग होंगी। आप नौजवानों को हमारा इतिहास जानना चाहिए। आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। किसी भी देश ने इस तरह की घातीय आर्थिक वृद्धि, अवसंरचना में वृद्धि, गहन डिजिटलीकरण, तकनीकी पैठ और गांवों में सुविधाएं नहीं देखी हैं। रसोई गैस, शौचालय, इंटरनेट, सड़क संपर्क। घर में रोशनी, पाइप से पानी आने वाला है, इसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था। इसलिए हम उम्मीद और संभावनाओं से भरे देश हैं।

इस देश में आपको सरकारी कर्मचारी होने का विशेषाधिकार प्राप्त है, लेकिन इसके साथ एक और चुनौती भी है कि देश सबसे ज्यादा आकांक्षी है। लोगों ने विकास का स्वाद चखा है। इसलिए, आपको कार्यालय छोड़ने से पहले हमेशा अपना कर्तव्य सुनिश्चित करना चाहिए। आपके टेबल पर कोई भी ऐसा लंबित काम नहीं होना चाहिए जिसे पूरा किया जा सकता था। यदि आप इसे अपना धर्म बना लेंगे, तो यह आपको बहुत आगे ले जाएगा।

सशस्त्र सेनाएँ आप पर भरोसा कर रही हैं, आने वाली पीढ़ियाँ आप पर भरोसा कर रही हैं। आपके सभी भावी प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएँ और हमेशा सकारात्मक रहें। यदि आप हमारे धर्मग्रंथों, वेदों, गीता, महाकाव्यों, रामायण, महाभारत को पढ़ने के लिए समय निकाल सकते हैं, तो इस प्रक्रिया में नकारात्मकता को त्याग दें। मैं धार्मिक नहीं हो रहा हूँ, मैं यह कह रहा हूँ कि वे धर्मनिरपेक्षता की भव्यता को परिभाषित करते हैं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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एमजी/केसी/जेके


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