स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदम


आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों को कार्ड बनाने के समय आधार ई-केवाईसी के माध्यम से सत्यापित किया जाता है

लाभार्थियों को सेवाओं का लाभ उठाने के समय आधार प्रमाणीकरण से गुजरना पड़ता है

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के दुरुपयोग के संभावित मामलों का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां ​​नियमित डेस्क मेडिकल ऑडिट के साथ-साथ पैनल में शामिल स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के परिसर में फील्ड ऑडिट भी करती हैं

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत कुल 1,114 अस्पतालों को पैनल से हटा दिया गया है और 549 अस्पतालों को निलंबित कर दिया गया है तथा 1,504 से अधिक अस्पतालों पर 122 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है

Posted On: 04 FEB 2025 2:52PM by PIB Delhi

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमशः कुछ अभाव और व्यावसायिक मानदंडों के आधार पर, सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (सएईसीसी) 2011 से 10.74 करोड़ पात्र परिवारों की पहचान की गई थी। इसके अलावा, जनवरी 2022 में, भारत सरकार ने 11.7 प्रतिशत की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए लाभार्थी आधार को संशोधित कर 12 करोड़ परिवारों तक पहुँचाया और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को समान सामाजिक-आर्थिक प्रोफ़ाइल के लिए बनाई गई योजनाओं के अन्य डेटाबेस का उपयोग करने की सुविधा दी, जो आधार सत्यापित हैं। मार्च 2024 में, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा), आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्ल्यूडब्ल्यू) और आंगनवाड़ी सहायिकाओं (एडब्ल्यूएच) के 37 लाख परिवारों को भी इस योजना में शामिल किया गया। 29 अक्टूबर 2024 को सरकार ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का विस्तार किया, ताकि 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों और उनके परिवारों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना प्रति वर्ष 5 लाख रुपए तक का निःशुल्क उपचार लाभ प्रदान किया जा सके। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लागू करने वाले कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने खर्च पर इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी आधार का विस्तार किया है।

योजना से अपात्र लाभार्थियों को बाहर करने के लिए, कार्ड बनाते समय आधार ई-केवाईसी के माध्यम से आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लाभार्थियों का सत्यापन किया जाता है । लाभार्थियों को सेवाओं का लाभ उठाने के समय आधार प्रमाणीकरण से गुजरना पड़ता है। आधार-प्रमाणीकरण पात्र लाभार्थी की पहचान स्थापित करने में मदद करता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने दुरुपयोग और दुर्व्यवहार के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति अपनाई है और इसके कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में एबी-पीएमजेएवाई में होने वाली विभिन्न प्रकार की अनियमितताओं की रोकथाम, पता लगाने और निवारण के लिए कदम उठा रहा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में दुरुपयोग के संभावित मामलों का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है। इस्तेमाल की गई प्रौद्योगिकियों में नियम-आधारित ट्रिगर और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम, फ़ज़ी लॉजिक, इमेज क्लासिफिकेशन और डी-डुप्लीकेशन आदि शामिल हैं।

ऐसे मामलों की जांच डेस्क ऑडिट, फील्ड जांच के माध्यम से की जाती है, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाती है, जिसमें आयुष्मान कार्ड को निष्क्रिय करना, जुर्माना, वसूली या दोषी संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शामिल है। इससे सार्वजनिक धन की बर्बादी को रोका जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास अच्छी तरह से स्थापित ऑडिट तंत्र और दिशानिर्देश हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां ​​(एसएचए) नियमित डेस्क मेडिकल ऑडिट के साथ-साथ पैनल में शामिल स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं (ईएचसीपी) के परिसर में फील्ड ऑडिट भी करती हैं। इन ऑडिट के दौरान देखी गई किसी भी गड़बड़ी को पैनल में शामिल स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं (ईएचसीपी) के साथ गंभीरता से लिया जाता है और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों (एसएचए) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाता है कि ऐसे स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं से पैसे काट लिए जाएं और/या जुर्माना लगाया जाए। इसमें वसूली, पैनल से हटाना और/या आपराधिक मामला शुरू करना शामिल हो सकता है। ये सभी निवारक तंत्र के रूप में कार्य करते हैं। उठाए गए कड़े कदमों के परिणामस्वरूप, विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। कुल 1,114 अस्पतालों को पैनल से हटा दिया गया है। 549 अस्पतालों को एबी-पीएमजेएवाई के अंतर्गत निलंबित कर दिया गया है। 1,504 से अधिक अस्पतालों पर 122 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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