रक्षा मंत्रालय
डीआरडीओ ने स्क्रैमजेट इंजन का ग्राउंड परीक्षण किया
Posted On:
21 JAN 2025 6:38PM by PIB Delhi
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) ने लंबी अवधि की सुपरसोनिक दहन रैमजेट या स्क्रैमजेट संचालित हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने की पहल की है। डीआरडीएल ने हाल ही में इन तकनीकों को विकसित किया है और भारत में पहली बार 120 सेकंड के लिए अत्याधुनिक एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट कॉम्बस्टर ग्राउंड टेस्ट का प्रदर्शन किया है। सफल ग्राउंड टेस्ट अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिशनों को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
हाइपरसोनिक मिसाइलें उन्नत हथियारों की एक श्रेणी है, जो मैक 5 से अधिक गति अर्थात ध्वनि की गति से पांच गुना या 5,400 किमी/घंटा से अधिक से चलती हैं। इन उन्नत हथियारों में मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों को बायपास करने और तेज तथा उच्च प्रभाव वाले हमले करने की क्षमता है। अमेरिका, रूस, भारत और चीन सहित कई देश सक्रिय रूप से हाइपरसोनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। हाइपरसोनिक वाहनों की कुंजी स्क्रैमजेट हैं। ये हवा में सांस लेने वाले इंजन हैं, जो बिना किसी गतिशील हिस्से का उपयोग किए सुपरसोनिक गति पर दहन को बनाए रखने में सक्षम हैं।
स्क्रैमजेट कॉम्बस्टर के ग्राउंड टेस्ट ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां प्रदर्शित कीं, जो सफल इग्निशन और स्थिर दहन वाले हाइपरसोनिक वाहनों में परिचालन हेतु इस्तेमाल के लिए इसकी क्षमता को प्रदर्शित करती हैं। स्क्रैमजेट इंजन में इग्निशन 'तूफान में मोमबत्ती जलाए रखने' जैसा है। स्क्रैमजेट कॉम्बस्टर में एक अभिनव लौ स्थिरीकरण तकनीक शामिल है, जो 1.5 किमी/सेकंड से अधिक हवा की गति के साथ कॉम्बस्टर के अंदर निरंतर लौ रखती है। स्क्रैमजेट इंजन कॉन्फ़िगरेशन पर पहुंचने में कई ग्राउंड टेस्ट के माध्यम से कई नवीन और आशाजनक इग्निशन और लौ होल्डिंग तकनीकों का अध्ययन किया गया। उनके मूल्यांकन और प्रदर्शन की भविष्यवाणी के लिए उन्नत कम्प्यूटेशनल द्रव गतिकी (सीएफडी) सिमुलेशन टूल का उपयोग किया गया।
भारत में पहली बार डीआरडीएल और उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन का स्वदेशी विकास इस सफलता का मुख्य कारण है। ईंधन महत्वपूर्ण शीतलन सुधार और प्रज्वलन में आसानी के दोहरे लाभ प्रदान करता है। टीम ने औद्योगिक स्तर पर डीआरडीएल की सख्त ईंधन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक विशेष विनिर्माण प्रक्रिया विकसित की।
अत्याधुनिक थर्मल बैरियर कोटिंग (टीबीसी) का विकास एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसे हाइपरसोनिक उड़ान के दौरान आने वाले अत्यधिक तापमान को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है। डीआरडीएल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) प्रयोगशाला द्वारा संयुक्त रूप से एक नया उन्नत सिरेमिक टीबीसी विकसित किया गया है, जिसमें उच्च तापीय प्रतिरोध है और जो स्टील के गलनांक से परे काम करने में सक्षम है। कोटिंग को स्क्रैमजेट इंजन के अंदर विशेष जमाव की विधियों का इस्तेमाल करके लगाया जाता है, जो उनके निष्पादन और आयु को बढ़ाता है। स्थिर दहन, बेहतर प्रदर्शन और उन्नत थर्मल प्रबंधन में प्रदर्शित क्षमताओं के साथ, यह सफलता अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिशनों के लिए मंच तैयार करती है।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने स्क्रैमजेट इंजन के सफल ग्राउंड टेस्ट के लिए डीआरडीओ और उद्योगजगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा, "यह उपलब्धि अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिशनों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।"
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने स्थिर दहन, उन्नत प्रदर्शन और उन्नत थर्मल प्रबंधन परीक्षण में क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए डीआरडीएल टीम और उद्योग को बधाई दी।
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