जनजातीय कार्य मंत्रालय
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धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 2025- जनजातीय समुदायों के लिए समग्र स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को आगे बढ़ाना

Posted On: 21 JAN 2025 3:21PM by PIB Delhi

जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से 20 जनवरी 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 2025 का आयोजन किया। यह ऐतिहासिक आयोजन धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य भारत के जनजातीय समुदायों की गंभीर स्वास्थ्य और कल्याण संबंधी चुनौतियों का समाधान करना है।

भारत के जनजातीय समुदायों को भौगोलिक अलगाव, सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों और संस्कृति आधारित स्वस्थ्य परंपराओं के कारण अक्सर स्वास्थ्य सेवा में विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं कारणों से स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र और परिणामों में असमानताओं को देखते हुए विशेष ध्यान और समाधान की आवश्यकता होती है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं। इनमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन की शुरुआत करना भी शामिल है, जिसका लक्ष्य 2047 तक सिकल सेल एनीमिया का उन्मूलन करना है। इस मिशन के सहायक कार्यक्रम के रूप में जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय क्षेत्रों में समग्र स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत कई पहल की हैं।

जनजातीय स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में प्रमुख प्रयास और पहल:

जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर कई पहल शुरू की हैं:

  • भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वास्थ्य एवं रुधिर विज्ञान पीठ : एम्स, दिल्ली में स्थापित यह पीठ जनजातीय स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान एवं डेटा संग्रहण के लिए एक बहु-विषयक मंच के रूप में कार्य करती है।
  • सक्षमता केन्द्र (सीओसी) : जनजातीय आबादी में प्रचलित आनुवंशिक स्थिति, सिकल सेल एनीमिया के शुरुआत में ही और प्रसवपूर्व निदान को सक्षम करने के लिए 14 राज्यों में 15 सीओसी स्वीकृत किए गए हैं।
  • सहयोगात्मक दृष्टिकोण : प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदान करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, सहकारी समितियों, आईसीएमआर, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और राज्य जनजातीय कल्याण विभागों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 2025 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, आयुष, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालयों के अधिकारियों, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) प्रतिनिधि, एम्स निदेशक, जनजातीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ, प्रमुख संस्थान, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां, गैर सरकारी संगठनों सहित प्रमुख हितधारकों ने एक मंच पर आकर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया। इस कार्यक्रम में जनजातीय स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप, कार्रवाई-उन्मुख शोध और पाठ्यक्रम-सुधार पहल के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

सम्मेलन के उद्देश्य:

  1. जनजातीय क्षेत्रों के लिए नवीन स्वास्थ्य सेवा वितरण मॉडल का पता लगाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श।
  2. नीतिगत समाधान और अनुसंधान के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करना।
  3. स्वास्थ्य-प्राप्ति व्यवहार को बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त स्वास्थ्य  नीतियां विकसित करना।
  4. क्षमता निर्माण, सामुदायिक सहभागिता और निगरानी तंत्र के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करना।
  5. जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवा की पहुंच और परिणामों में सुधार के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाएं।

उद्घाटन सत्र की मुख्य बातें:

सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री जुएल ओराम ने किया, जिसमें जनजातीय राज्य मंत्री (टीए) श्री दुर्गादास उइके , जनजातीय मामलों के सचिव श्री विभु नायर और एम्स दिल्ली के निदेशक प्रो. (डॉ.) एम श्रीनिवास भी उपस्थित थे।

इस सम्मेलन में देश भर से 400 से अधिक विशिष्ट व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें एम्स नागपुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) प्रशांत पी जोशी, एम्स देवगढ़ और एम्स पटना के निदेशक प्रो. (डॉ.) सौरभ वार्ष्णेय, एम्स भुवनेश्वर के निदेशक प्रो. (डॉ.) आशुतोष विश्वास ; एम्स गुवाहाटी के निदेशक प्रो. (कर्नल) अशोक पुराणिक, एम्स कल्याणी के निदेशक प्रो. (डॉ.) रामजी और जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री टी रुमुआन पैते शामिल थे।

ओडिशा में एक जनजातीय ब्लॉक को गोद लेकर रोगों के कारणों का अध्ययन करने, स्वास्थ्य स्थितियों पर क्षेत्रीय अनुसंधान करने और क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय और एम्स दिल्ली के बीच आशय पत्रों का आदान-प्रदान किया गया।

उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा की गई :

सम्मेलन में निम्नलिखित विषयों पर गहन सत्र आयोजित किये गये:

  • स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करना : टेलीमेडिसिन, मोबाइल चिकित्सा इकाइयों और क्षमता निर्माण की खोज करना।
  • पारंपरिक चिकित्सक : स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल में एकीकृत करना।
  • पोषण और किशोर स्वास्थ्य : कुपोषण, प्रजनन स्वास्थ्य और पारंपरिक खाद्य विषयों पर ध्यान देना।
  • रोग-विशिष्ट समाधान : सिकल सेल रोग, व्यसन और मानसिक स्वास्थ्य को लक्ष्य बनाना।
  • सांस्कृतिक संवेदनशीलता : बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के साथ पारंपरिक जीवन शैली को संतुलित करना।

अपेक्षित परिणाम:

  1. जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा के प्रसार को बढ़ाने के लिए एक विशिष्ट योजना।
  2. पारंपरिक चिकित्सकों और विधियों का औपचारिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में एकीकरण।
  3. कुपोषण से निपटने और किशोर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पोषण-केंद्रित पहल।
  4. दुर्लभ बीमारियों, व्यसन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन के लिए लक्षित योजनाएं।
  5. सामुदायिक भागीदारी और प्रौद्योगिकी एकीकरण के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करना।

राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 2025 जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सहयोग, नवाचार और समावेशिता को बढ़ावा देकर, यह पहल भारत की जनजातीय आबादी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए स्थायी आधार पर स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने का प्रयास करती है।

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