इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डीएससीआई के साथ मिलकर 6.85 करोड़ रूपये की संयुक्त पुरस्कार राशि के साथ 'साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज 2.0 शुरू किया


एपीआई सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, क्लोन ऐप मिटिगेशन, ए.आई खतरे का पता लगाने और बायोमेट्रिक सुरक्षा में अभिनव समाधानों के लिए 15 जनवरी से 14 फरवरी 2025 तक पंजीकरण खुला है।

एमईआईटीवाई सचिव श्री एस. कृष्णन ने कहा - यह पहल डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के लक्ष्यों के साथ मार्गदर्शन, क्षमता निर्माण और बाजार तक पहुँच प्रदान करेगी

Posted On: 15 JAN 2025 7:54PM by PIB Delhi

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव श्री एस. कृष्णन ने साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज यानी सीएसजीसी 2.0 के दूसरे संस्करण को शुरू किया। डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) सीएसजीसी 2.0 को क्रियान्वित कर रहा है।

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अधिक सुरक्षित डिजिटल भविष्य lहोगा। सबसे खास बात यह है कि साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज में कुल पुरस्कार राशि में पहले संस्करण की तुलना में 3.2 करोड़ से बढ़कर 6.85 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह इसे देश में सबसे आकर्षक और पुरस्कृत साइबर सुरक्षा चुनौतियों में से एक बनाती है।

पंजीकरण अब खुले हैं। चुनौती और पंजीकरण के बारे में सभी जानकारी https://innovateindia.mygov.in/cyber-security-grand-challenge/ पर पाई जा सकती है:

आईपीआर स्वामित्व के साथ साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटना

एमईआईटीवाई इनोवेटर्स, स्टार्टअप्स और नवोदित उद्यमियों को ग्रैंड चैलेंज में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। एक अनूठी विशेषता यह है कि चुनौती के हिस्से के रूप में विकसित किए जा रहे उत्पाद के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) का स्वामित्व संबंधित स्टार्टअप के पास होगा। सीएसजीसी 2.0 की पूरी प्रक्रिया विभिन्न चरणों में चलेगी, जिसमें प्रत्येक चरण में मेंटरशिप प्रदान की जाएगी।

ग्रैंड चैलेंज के अंतर्गत प्रतिभागियों को छह परिभाषित समस्या क्षेत्रों के आसपास समाधान बनाने की आवश्यकता है। इसमें एपीआई सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, डिवाइस सुरक्षा और गोपनीयता, क्लोन ऐप मिटिगेशन, खतरे का पता लगाने और घटना प्रतिक्रिया के लिए एआई और अगली पीढ़ी के बायोमेट्रिक सिस्टम को सुरक्षित करना शामिल है।

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साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज 2.0 के चरण

साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज 2.0 में आइडिया, न्यूनतम व्यावहारिक उत्पाद (एमवीपी) और अंतिम उत्पाद चरण जैसे तीन चरणों के अलावा एक अतिरिक्त चरण, गो-टू-मार्केट चरण शामिल है। यह आइडिया चरण में प्रत्येक समस्या कथन के लिए छह स्टार्टअप को योग्य बनाकर मान्यता के दायरे का विस्तार करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रारंभिक चरण में कुल 36 स्टार्टअप को मान्यता दी गई। इसमें से प्रत्येक को 5 लाख रुपये मिले और न्यूनतम व्यावहारिक उत्पाद चरण में 18 स्टार्टअप को प्रत्येक को 10 लाख रुपये मिले।

चुनौती के दौरान स्टार्टअप को तकनीकी और व्यावसायिक सलाह दी जाएगी। इससे उन्हें सफल उद्यम बनने में मदद मिलेगी। अंतिम चरण में 6 समस्या कथनों में से प्रत्येक के लिए विजेताओं की घोषणा की जाएगी। इनमे प्रत्येक को 25 लाख रुपये मिलेंगे। गो-टू-मार्केट चरण के बाद जो कि ग्रैंड चैलेंज का अंतिम चरण है, प्लैटिनम विजेता को 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिलेगा, जबकि स्वर्ण विजेता और रजत विजेता को 50 लाख रुपये और 25 लाख रुपये मिलेंगे।

ग्रैंड चैलेंज 2.0 का शुभारंभ करते हुए एमईआईटीवाई सचिव श्री एस कृष्णन ने कहा की साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज 2.0 एक प्रमुख सरकार समर्थित पहल है। इसमें 6.85 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि है और अभिनव साइबर सुरक्षा समाधान पेश करने वाले स्टार्टअप को मान्यता देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। समस्या कथन वर्तमान और नवीनतम साइबर सुरक्षा खतरे के परिदृश्य के अनुरूप हैं। यह पहल डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए सलाह, क्षमता निर्माण और बाजार पहुंच प्रदान करेगी। मुझे उम्मीद है कि प्रतिभागी और विजेता बदलाव की अगुआई करेंगे और भारत की डिजिटल यात्रा को सशक्त बनाने के लिए घरेलू स्तर पर विकसित अभिनव सुरक्षा समाधान लाएंगे।

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एमईआईटीवाई के अतिरिक्त सचिव श्री अभिषेक सिंह ने कहा, "ए.आई और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकों के आगमन के साथ हमें उभरते खतरों से निपटने के लिए निरंतर नवाचार की आवश्यकता है, खासकर देश की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए। हमें उम्मीद है कि साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज 2.0 अत्याधुनिक समाधानों के बारे में विचार करने और नवाचार करने के लिए तेजी से काम करेगा

 

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डीएससीआई के सीईओ श्री विनायक गोडसे ने कहा की हम साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज 2.0 की मेजबानी करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार राशि बढ़ाने के लिए एमईआईटीवाई को धन्यवाद देते हैं। सरकारी निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों और उद्योग विशेषज्ञों का समर्थन चुनौती और इसके समस्या कथनों को आकार देने में महत्वपूर्ण रहा है।.

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