कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अटॉर्नी जनरल श्रीमती डोरकास अगिक अबुया ओडूओर के नेतृत्व में केन्या के वरिष्ठ सिविल सेवकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की


राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने एशिया और अफ्रीका के पड़ोसी देशों के 5000 से अधिक सिविल सेवकों को प्रशिक्षित किया है: डॉ. जितेंद्र सिंह

कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में कर्मयोगी मिशन के माध्यम से प्रशासनिक सुधारों, सुशासन प्रथाओं, क्षमता निर्माण की सराहना की

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रवासी भारतीय दिवस की अनूठी पहल पर प्रकाश डाला

Posted On: 15 JAN 2025 6:36PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने केन्या के वरिष्ठ सिविल सेवकों के लिए नेतृत्व और राष्ट्रीय परिवर्तन पर एक विशेष क्षमता निर्माण कार्यक्रम के दौरान अटॉर्नी जनरल श्रीमती डोरकास अगिक अबुया ओडूओर के नेतृत्व में केन्या के वरिष्ठ सिविल सेवकों के साथ बातचीत की।

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) द्वारा विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत साझा अनुभव के कारण केन्या और भारत के बीच साझा विरासत और ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला, जिसने दोनो देशों में राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश लोकतांत्रिक सिद्धांतों, पारदर्शिता और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने समुद्री चुनौतियों और विभिन्न पर्यावरणीय चिंताओं के बारे में भी बात की तथा स्थायी समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की केन्या की राजकीय यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा, व्यापार और विकास सहायता के क्षेत्र में विभिन्न समझौता ज्ञापनों (एमओयू) और समझौतों पर हस्ताक्षर से द्विपक्षीय संबंधों को नई गति मिली है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) ने बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, मालदीव, वियतनाम, भूटान, म्यांमार, कंबोडिया, नेपाल, गाम्बिया, इरिट्रिया और इथियोपिया सहित एशिया और अफ्रीका के पड़ोसी देशों के 5,000 से अधिक सिविल सेवकों को प्रशिक्षित किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'सुधार, दक्षता, परिवर्तन' के मंत्र को दोहराते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रशासनिक सुधारों, सुशासन प्रथाओं और कर्मयोगी मिशन जैसी क्षमता निर्माण पहलों की प्रशंसा की, जो पिछले दशक में विकसित हुए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में एक मजबूत सिविल सेवा प्रणाली है, जो विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक सेवा संस्थानों सहित विभिन्न शासन संस्थानों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करती है।

सुशासन में भारत की कुछ सफल कहानियों के बारे में बात करते हुए डॉ. सिंह ने स्वच्छ भारत अभियान पर प्रकाश डाला, जिसके तहत अनावश्यक कार्यालय स्क्रैप का निपटान करके 2,326 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में मानवीय हस्तक्षेप के महत्व पर भी जोर दिया और शिकायत निवारण के बाद फीडबैक एकत्र करने के लिए 2023 में मानव डेस्क की स्थापना का उल्लेख किया। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि भारत शिकायत निवारण के लिए अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहा है तथा उन्होंने सीपीजीआरएएमएस को कई देशों के लिए एक आदर्श मॉडल बताया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रवासी भारतीय दिवस पहल पर भी प्रकाश डाला, जिसके तहत केन्या के पांच भारतीयों को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में शामिल थे: श्री मणिलाल प्रेमचंद चंदारिया, श्री फिरोज नौरोजी, श्री पी.वी. संबाशिवा राव, डॉ. प्रकाश एम. हेडा और डॉ. एफआरएस डीसूजा (अब दिवंगत)। उनके योगदान पर भी प्रकाश डाला गया।

अंत में, डॉ. सिंह ने केन्या के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई तथा दोनों देशों और उनके लोगों के बीच संबंधों को और अधिक गहरा करने के लिए निरंतर सहयोग का वचन दिया। उन्होंने क्षमता निर्माण कार्यक्रम को द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर बताया, जो सांस्कृतिक समझ और संयुक्त पहल के लिए अवसर प्रदान करता है। डॉ. सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि साझा ज्ञान और अनुभवों के माध्यम से दोनों देश पारस्परिक लाभ के लिए प्रभावी शासन की नींव को मजबूत कर सकते हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, "दोनों देशों के सिविल सेवकों के बीच सांस्कृतिक समझ और सहयोग एक उपयोगी निवेश है जो दोनों देशों में पारदर्शी और प्रभावी शासन के बीज बोएगा।"

एनसीजीजी के महानिदेशक डॉ. सुरेन्द्र कुमार बागड़े, आईएएस ने समग्र क्षमता निर्माण कार्यक्रम के बारे में बताया।

अटॉर्नी जनरल श्रीमती डोरकास अगिक अबुया ओडूओर ने क्षमता निर्माण में निरंतर समर्थन और अटूट सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया। कुछ वरिष्ठ केन्याई सिविल सेवकों ने पंजाब, गोवा, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने इस अवसर पर भारतीय सिनेमा के प्रति अपने प्रेम और स्नेह तथा अपने जीवन पर इसके गहन प्रभाव को भी व्यक्त किया।

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