शिक्षा मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2024: स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग
उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत लद्दाख पहली पूर्ण साक्षर प्रशासनिक इकाई बनी
राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह में 4.8 करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया
परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 में 23 लाख से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया
भारतीय भाषाओं में 104 प्राइमर्स विकसित और जारी किए गए
राष्ट्रीय मेंटरिंग मिशन के ब्रेल संस्करण तथा ऑडियो संस्करण - ब्लूबुक जारी किये गए
58.5% सरकारी स्कूलों में रैंप और हैंडरेल हैं; 31.1% स्कूलों में सीडब्ल्यूएसएन अनुकूल शौचालय हैं
7 करोड़ से अधिक एपीएएआर आईडी तैयार और मान्य की गईं, जिससे छात्रों की प्रगति पर नज़र रखी जा सके
मिशन लाइफ के 7 मुख्य विषयों के अनुरूप देशभर के स्कूलों में समर कैंप आयोजित किए गए
पीएम पोषण योजना के तहत सामग्री प्रापण हेतु सामग्री लागत में वृद्धि
कैबिनेट ने 85 नए केंद्रीय विद्यालयों तथा 28 नवोदय विद्यालयों के प्रारंभ को मंजूरी दी
Posted On:
09 JAN 2025 1:56PM by PIB Delhi
- समग्र शिक्षा
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत केंद्र प्रायोजित योजना - समग्र शिक्षा को लागू कर रहा है। यह योजना स्कूली शिक्षा को पूर्व-प्राथमिक से कक्षा XII तक विभाजन के बिना समग्र रूप से देखती है और शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-4) के अनुरूप है। यह योजना आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान करती है।
इस योजना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की संस्तुति के अनुरूप बनाया गया है।
समग्र शिक्षा के तहत, स्कूली शिक्षा के सार्वभौमीकरण हेतु विभिन्न गतिविधियाँ शुरू करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। गतिविधियों में वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक नए स्कूल खोलना/सुदृढ़ करना, स्कूल भवनों और अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण, वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में स्कूल के बुनियादी ढांचों का विकास/सुदृढ़ीकरण, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्थापना, उन्नयन और संचालन विद्यालय; पीएम-जनमन के तहत पीवीटीजी के लिए छात्रावासों का निर्माण, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों की स्थापना, धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत वंचित एसटी आबादी के लिए छात्रावासों का निर्माण, पात्र बच्चों को मुफ्त वर्दी, प्रारंभिक स्तर पर मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, परिवहन भत्ता, नामांकन और प्रतिधारण अभियान चलाना शामिल है। स्कूल न जाने वाले बच्चों के आयु-अनुरूप प्रवेश के लिए विशेष प्रशिक्षण तथा बड़े बच्चों के लिए आवासीय और गैर-आवासीय प्रशिक्षण, मौसमी छात्रावास/आवासीय शिविर, कार्यस्थलों पर विशेष प्रशिक्षण केंद्र, परिवहन/एस्कॉर्ट सुविधा भी स्कूल न जाने वाले बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा प्रणाली में लाने के लिए समर्थित है, जिसमें एनआईओएस/एसआईओएस के माध्यम से उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए सहायता शामिल है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए छात्र-उन्मुख घटक के अंतर्गत, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान और मूल्यांकन के लिए वित्तीय सहायता, सहायक उपकरण, ब्रेल किट और पुस्तकें, उपयुक्त शिक्षण अधिगम सामग्री और विकलांग छात्राओं को वजीफा आदि प्रदान किया जाता है।
समग्र शिक्षा की उपलब्धियाँ
2018-19 से 2024-25 तक
गतिविधियाँ
|
उपलब्धि*
(2018-19 से 2024-25)
|
अपग्रेड किये गये स्कूलों की संख्या
|
3656
|
नये आवासीय विद्यालय/छात्रावास
|
242
|
अतिरिक्त कक्षा-कक्षों सहित विद्यालयों की संख्या में वृद्धि
|
80105
|
स्मार्ट स्कूलों सहित आईसीटी और डिजिटल पहल के अंतर्गत शामिल स्कूल
|
138802
|
व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत आने वाले स्कूल
|
9477
|
कक्षा आठ से दस तक अपग्रेड किए गए केजीबीवी की संख्या
|
313
|
कक्षा आठ से कक्षा बारह तक अपग्रेड किए गए केजीबीवी की संख्या
|
2303
|
बालिकाओं के लिए अलग शौचालय का निर्माण
|
35457
|
*वित्तीय वर्ष 2018-2019 से 2024-2025 तक (नवंबर तक) पूर्ण किये जाने वाले कार्य
|
# स्रोत: प्रबंध
- पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री)
केंद्र प्रायोजित पीएम श्री (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को 7 सितंबर, 2022 को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई थी। इस योजना के तहत केंद्र सरकार/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों में से मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके 14500 से अधिक पीएम श्री स्कूल स्थापित करने का प्रावधान है। पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करते हैं और समय के साथ अनुकरणीय स्कूल के रूप में उभरते हैं और पड़ोस के अन्य स्कूलों को नेतृत्व भी प्रदान करते हैं। परियोजना की कुल लागत 5 वर्षों की अवधि में 27360 करोड़ रुपये होगी जिसमें 18128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।
केवीएस और एनवीएस सहित कुल 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पीएम श्री योजना के कार्यान्वयन के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। पीएम श्री स्कूलों का चयन चैलेंज मोड के माध्यम से किया जाता है, जिसमें स्कूल आदर्श स्कूल बनने के लिए समर्थन के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
पारदर्शी चुनौती पद्धति के माध्यम से पीएम श्री स्कूलों के चयन के पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे चरण में केवीएस/एनवीएस के साथ-साथ 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 12,084 स्कूलों का चयन किया गया है, जिनमें से 1329 स्कूल प्राथमिक, 3340 स्कूल प्रारंभिक, 2907 स्कूल माध्यमिक और 4508 स्कूल वरिष्ठ माध्यमिक हैं।
पीएम श्री योजना को सभी घटकों जैसे बाला फीचर और जादुई पिटारा, प्री-स्कूल शिक्षा में सहायता, बच्चों के अनुकूल फर्नीचर, प्राथमिक और प्रारंभिक स्कूलों में आउटडोर खेल सामग्री आदि को शामिल करके कार्यान्वित किया जा रहा है और फर्नीचर, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए पूरी तरह से सुसज्जित एकीकृत विज्ञान प्रयोगशाला / भौतिकी प्रयोगशाला / रसायन विज्ञान प्रयोगशाला / जीवविज्ञान प्रयोगशाला, स्मार्ट कक्षाएँ, कंप्यूटर लैब / आईसीटी लैब, अटल टिंकरिंग लैब, कौशल प्रयोगशाला, स्कूल नवाचार परिषद, अच्छी तरह से सुसज्जित खेल सुविधाओं से लैस खेल मैदान आदि।
- पीएम पोषण
सरकार ने 2021-22 से 2025-26 तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एक बार गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना 'प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण)' को मंजूरी दी है। इस योजना का क्रियान्वयन शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस योजना के तहत, कक्षा 1 से 8 तक के पात्र बच्चों के अतिरिक्त प्राथमिक विद्यालयों में प्री-स्कूल या बाल वाटिका (कक्षा 1 से पहले) के बच्चों को भी गर्म पका हुआ भोजन देने का प्रावधान है। यह योजना बिना किसी लिंग और सामाजिक वर्ग के भेदभाव के सभी पात्र बच्चों को शामिल करते हुए पूरे देश में लागू की गई है। पीएम पोषण योजना (जिसे पहले मिड-डे मील योजना के रूप में जाना जाता था) का मुख्य उद्देश्य भारत में अधिकांश बच्चों की दो गंभीर समस्याओं का समाधान करना है, अर्थात सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पात्र बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करके भूख और शिक्षा के साथ-साथ वंचित वर्गों के गरीब बच्चों को अधिक नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें कक्षा की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करना।
इस योजना को 2021 में एनईपी 2020 के साथ संरेखित किया गया है:
क) तिथि भोजन - एक सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्यौहारों पर बच्चों को विशेष भोजन उपलब्ध कराते हैं।
ख) स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यानों का विकास, ताकि बच्चों को प्रकृति और बागवानी का प्रत्यक्ष अनुभव मिल सके। इन उद्यानों की फसल का उपयोग इस योजना में किया जाता है, जिससे अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। सभी जिलों में इस योजना का सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य किया गया है।
ग) आकांक्षी जिलों और एनीमिया के उच्च प्रसार वाले जिलों में बच्चों को पूरक पोषण वस्तुएँ उपलब्ध कराने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।
घ) स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री और सब्जियों पर आधारित जातीय व्यंजनों और नवीन मेनू को बढ़ावा देने के लिए पाककला प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहित करना।
ङ) योजना के कार्यान्वयन में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल करना।
- उल्लास (यू.एल.एल.ए.एस)
केंद्र प्रायोजित योजना, उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम, वित्त वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक लागू की जाने वाली एक शैक्षिक पहल है। उल्लास (अंडरस्टेंडिंग ऑफ लाईफ़लॉन्ग लर्निंग फॉर ऑल ईन सोसायटी), जिसका अर्थ है समाज में सभी के लिए आजीवन सीखने की समझ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है और इसका उद्देश्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों को शैक्षिक अवसर प्रदान करना है, जिन्होंने औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं ली है। यह योजना हाइब्रिड मोड में लागू की गई है, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के समक्ष ऑफ़लाइन, ऑनलाइन या संयुक्त तरीकों में लचीलापन है। इस योजना के पाँच घटक हैं, नामतः (i) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, (ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल, (iii) बुनियादी शिक्षा, (iv) व्यावसायिक कौशल; और (v) सतत शिक्षा।
उल्लास भारत को 'जन-जन साक्षर' बनाने के प्रेरक परिकल्पना के तहत काम करता है, जो कर्तव्यबोध (कर्तव्य की भावना) से प्रेरित है, जिसमें स्कूल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है और स्वैच्छिकता के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव होता है। इस योजना का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी, समावेशिता और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर सार्वभौमिक साक्षरता प्राप्त करना है, जिससे अंततः प्रत्येक नागरिक को पढ़ने, लिखने और समाज में सार्थक रूप से जुड़ने की क्षमता के साथ सशक्त बनाया जा सके। इस योजना का कुल परिव्यय पाँच वर्षों की अवधि में 1037.9 करोड़ रुपये है, जिसमें से केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 337.90 करोड़ रुपये है।
उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत प्रमुख उपलब्धियाँ:
- उल्लास मोबाइल ऐप 29.7.2023 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम के दौरान लॉन्च किया गया।
- अब तक 2 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 39 लाख स्वयंसेवी शिक्षक उल्लास के अंतर्गत पंजीकृत हो चुके हैं।
- कुल 1,11,03,397 शिक्षार्थी आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षा में शामिल हुए तथा अब तक कुल 88,89,654 शिक्षार्थियों को आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षा के माध्यम से प्रमाणित साक्षर घोषित किया गया है।
- लद्दाख पहली प्रशासनिक इकाई बन गई है जो 24.06.2024 को लद्दाख के एलजी द्वारा उल्लास के तहत पूरी तरह से साक्षर है।
- राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह 1 से 8 सितंबर, 2023 तक मनाया गया, जिसका समापन अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर हुआ, जिसमें लगभग 3 करोड़ प्रतिभागियों ने भाग लिया था। 2024 के राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह में इससे भी अधिक संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें 4.8 करोड़ से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। साक्षरता दिवस 8 सितंबर 2024 को मनाया गया, जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे।
- यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई जैसी संस्थाएँ उल्लास योजना को व्यापक रूप से समर्थन देने के लिए अपने संसाधनों का सक्रिय रूप से उपयोग कर रही हैं। शिक्षकों और छात्रों को इस योजना में उनकी मजबूत भागीदारी के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।
- नवसाक्षरों को जेएसएस के माध्यम से कौशल शिक्षा से जोड़ने के लिए 10 अक्टूबर 2023 को सचिव, डीओएसईएल तथा सचिव, कौशल विकास एवं उद्यमिता द्वारा संयुक्त पत्र जारी किया गया था।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के चयनित नव-साक्षरों और स्वयंसेवी शिक्षकों की उपलब्धियों को सुविधाजनक बनाने के लिए, विभाग ने 6 और 7 फरवरी, 2024 को दो दिवसीय उल्लास मेला आयोजित किया था, जिसका उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया था।
- उल्लास मेले के दौरान 26 भाषाओं में प्राइमर जारी किए गए थे।
- विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जा रहे हैं।
- उल्लास की मीडिया और डिजिटल उपस्थिति का विस्तार हो रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रव्यापी जागरूकता और प्रभावी कार्यान्वयन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना है। उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल बनाया गया है। वयस्क शिक्षा पाठों का प्रसारण डीटीएच चैनल नंबर 14 पर 29 आधिकारिक भाषाओं में किया जा रहा है।
- वर्ष 2024-25 के लिए अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 35.60 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा) जारी किए गए हैं। इस योजना के तहत अब तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 159.67 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
- राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना (एनएमएमएसएस)
केंद्रीय क्षेत्र योजना 'राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना' आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यान्वित की जा रही है, ताकि कक्षा आठ में उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाने की प्रवृत्ति को रोका जा सके और उन्हें माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस योजना के तहत कक्षा 9 के चयनित छात्रों को हर साल एक लाख नई छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं और कक्षा 10 से 12 तक राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय के स्कूलों में अध्ययन के लिए उन्हें जारी रखा जाता है/नवीनीकृत किया जाता है। छात्रवृत्ति की राशि 12000 रुपये प्रति वर्ष है।
सरकार ने 1827 करोड़ रुपये के कुल आवंटन के साथ वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है।
योजना के तहत उपलब्धियाँ
योजना के अंतर्गत वर्ष 2023-24 के दौरान 300.10 करोड़ रुपये की लागत से 250089 छात्रवृत्तियाँ स्वीकृत की गई हैं। वर्तमान परियोजना वर्ष अर्थात 2024-25 के दौरान एनएसपी 30.06.2024 से चालू हो गई है तथा छात्रवृत्ति आवेदनों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 15.11.2024 थी। एल1 अथवा लेवल 1 सत्यापन (संस्थान नोडल अधिकारी द्वारा) की अंतिम तिथि 30.11.2024 थी तथा एल2 अथवा लेवल 2 सत्यापन (जिला नोडल अधिकारी या डीएनओ द्वारा) की अंतिम तिथि 15.12.2024 थी। एनएसपी पर अंतिम रूप से सत्यापित आवेदनों को पूर्ववर्ती शैक्षणिक वर्ष के लिए परियोजना वर्ष में छात्रवृत्ति की मंजूरी के लिए विचार किया जाता है।
- पीएम-जनमन
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर 2023 को की थी। इस अभियान का लक्ष्य 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास करना है। इस अभियान का उद्देश्य संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर समग्र सरकारी दृष्टिकोण को अपनाते हुए इन गाँवों में शिक्षा सहित बुनियादी सुविधाओं को पूर्ण करना है। जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) पीएम जनमन के कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है। शिक्षा मंत्रालय इस अभियान में भाग लेने वाले मंत्रालयों में से एक है और पीएम-जनमन को इस विभाग की समग्र शिक्षा योजना के साथ मिलकर लागू किया जा रहा है।
- वर्ष 2023-24 में 100 छात्रावासों के लिए 57.6 करोड़ रुपये की वित्तीय रिलीज के साथ 24217 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
- वर्ष 2024-25 में 19 छात्रावासों के लिए 4500 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।
- 2024-25 में एक अनुपूरूक पीएबी आयोजित किया गया था, जिसके तहत 18,899 लाख रुपये की राशि के साथ 75 छात्रावास स्वीकृत किए गए थे।
7. डीए-जेजीयूए
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए-जेजीयूए) स्वास्थ्य, सामाजिक बुनियादी ढांचे, आजीविका और शिक्षा में हस्तक्षेप के माध्यम से आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए शुरू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से गाँवों में आदिवासी आबादी का समग्र तथा सतत विकास करना है। डीए जेजीयूए योजना की अवधि 2024-25 से 2028-29 तक है, शिक्षा में इस अवधि के दौरान समग्र शिक्षा के तहत 1000 छात्रावासों के निर्माण का लक्ष्य है। 2024-25 में 304 छात्रावासों के लिए 1102.19 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
8. राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी)
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार हर साल 5 सितंबर को भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। प्रत्येक पुरस्कार में योग्यता प्रमाण पत्र, 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक दिया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान का जश्न मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।
पुरस्कार विजेताओं का चयन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा कठोर पारदर्शी एवं ऑनलाइन तीन चरणों अर्थात् जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।
आवेदकों का मूल्यांकन दो प्रकार के मानदंडों वाले मूल्यांकन मैट्रिक्स के आधार पर किया जाता है: वस्तुनिष्ठ मानदंड और प्रदर्शन के आधार पर मानदंड
इन मानदंडों में सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए पहल, किए गए अभिनव प्रयोग, अतिरिक्त और सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों का संगठन, शिक्षण-अधिगम सामग्री का उपयोग, सामाजिक गतिशीलता, अनुभवात्मक शिक्षा सुनिश्चित करना, छात्रों के लिए शारीरिक शिक्षा सुनिश्चित करने के अनूठे तरीके आदि शामिल हैं। एनएटी-2024 के लिए चयन प्रक्रिया में दो-चरण शामिल थे:
- नामांकित व्यक्तियों की प्रारंभिक शॉर्टलिस्टिंग के लिए प्रारंभिक खोज-सह स्क्रीनिंग समिति द्वारा मूल्यांकन और
- चयनित नामांकित व्यक्तियों में से पुरस्कार विजेताओं के चयन के लिए 'जूरी' समिति।
2024 के लिए विभाग की महत्वपूर्ण पहल
1. आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता
1.1 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में यह निर्धारित किया गया है कि सभी बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त करना एक तत्काल राष्ट्रीय मिशन बनना चाहिए। इस उद्देश्य से, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 5 जुलाई 2021 को सरकार द्वारा “समझ के साथ पढ़ने और संख्यात्मकता में दक्षता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण भारत)” नामक एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश का प्रत्येक बच्चा 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त कर ले।
1.2 उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षा (एफएलएनएटी) 17 मार्च 2024 को 23 राज्यों में आयोजित की गई थी। मूल्यांकन में तीन विषय शामिल हैं: पढ़ना, लिखना और संख्यात्मकता। यह परीक्षा पंजीकृत गैर-साक्षर शिक्षार्थियों की आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल का मूल्यांकन करने के लिए विकसित की गई है। एफएलएनएटी में कुल 1,11,03,397 शिक्षार्थी शामिल हुए, जिनमें से अब तक 88,89,654 शिक्षार्थियों को प्रमाणित साक्षर घोषित किया जा चुका है।
2. परख एवं परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण
2.1 राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की संस्तुति के अनुसरण में, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के तहत शिक्षा मंत्रालय द्वारा सभी स्कूल बोर्डों में छात्र मूल्यांकन के लिए मानदंड, मानक और दिशानिर्देश स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख (समग्र विकास के लिए ज्ञान का प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण) की स्थापना की गई है।
2.2 परख को परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 (जिसे पहले एनएएस के नाम से जाना जाता था) के अगले दौर को पूरा करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। यह सर्वेक्षण 4 दिसंबर 2024 को पूरे देश में आयोजित किया गया था और इससे फाउंडेशनल, प्रारंभिक और मध्य चरणों (यानी, वर्तमान में तीसरी , छठी और नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र) के अंत में छात्रों द्वारा विकसित की गई क्षमताओं का आकलन करने और सुधारात्मक उपाय करने में मदद मिलेगी। परीक्षण वस्तुओं का विकास, परीक्षण, अंतिम रूप देना और सर्वेक्षण उपकरण परख, एनसीईआरटी द्वारा विकसित किए गए हैं। सैंपल किए गए स्कूलों में परीक्षण का संचालन सीबीएसई द्वारा संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से किया गया है। सर्वेक्षण में लगभग 88 हज़ार स्कूलों के लगभग 23 लाख छात्रों ने भाग लिया।
2.3 परख की एक प्रमुख पहल स्कूली शिक्षा के सभी चार स्तरों के लिए समग्र प्रगति कार्ड (एचपीसी) की अवधारणा है। एचपीसी शिक्षार्थियों की प्रगति का एक व्यापक दस्तावेज है, जो योग्यता-आधारित और बहु-विषयक गतिविधियों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर कई पाठ्यक्रम और सह-पाठ्यचर्या तत्वों में दर्ज किया जाता है।
2.4 परख ने योग्यता आधारित मूल्यांकन रूपरेखा मॉडल के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए आधारभूत, प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तर पर एच.पी.सी. विकसित किया है।
3. बहुभाषिकता
3.1 राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भाषाओं (मातृभाषा आधारित शिक्षा और बहुभाषावाद) के महत्व और शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण पर जोर देती है जो हमारे देश की भाषाई विरासत को महत्व देती है और संरक्षित करती है और इसकी भाषाई विविधता पर गर्व की भावना को बढ़ावा देती है। एनईपी 2020 की संस्तुति है कि जहाँ भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उससे आगे तक, शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा/मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, जहाँ भी संभव हो, घरेलू/स्थानीय भाषा को एक भाषा के रूप में पढ़ाया जाना जारी रहेगा।
3.2 फाउंडेशनल स्टेज के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ-एफएस) ने बुनियादी स्तर पर शिक्षण-अधिगम के लिए बच्चे की मातृभाषा, घरेलू भाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा के उपयोग पर जोर दिया है। बच्चों को व्यापक पठन और लेखन कौशल प्रदान करना महत्वपूर्ण है, जिसमें अक्षर पहचान और उनकी मातृभाषा, स्थानीय भाषा या घर पर बोली जाने वाली भाषा में लिखित पाठ को समझने और व्याख्या करने की क्षमता दोनों शामिल हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, भारतीय भाषाओं में कुल 104 प्राइमर विकसित और जारी किए गए हैं, जिनमें से 11/12/2024 को आयोजित भारतीय भाषा उत्सव के दौरान विभिन्न भारतीय भाषाओं में 195 नए प्राइमर भी जारी किए गए।
4. पाठ्यपुस्तकें
4.1 अगस्त 2023 में शुरू की गई स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा के अनुसरण में तथा राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री समिति के मार्गदर्शन में एनसीईआरटी ने बालवाटिका (जादुई पिटारा), ग्रेड 1 (भाषाएँ और गणित), ग्रेड 2 (भाषाएँ और गणित), ग्रेड 3 (भाषाएँ, गणित, हमारे आस-पास की दुनिया, कला, शारीरिक शिक्षा और कल्याण) और ग्रेड 6 (भाषाएँ, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कौशल शिक्षा, कला, शारीरिक शिक्षा और कल्याण) के लिए प्रिंट और डिजिटल रूप में शिक्षण शिक्षण सामग्री (एलटीएम) विकसित किया है। ये पाठ्यपुस्तकें तीन भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में भी उपलब्ध हैं।
4.2 कक्षा 4, 5, 7 एवं 8 की पाठ्यपुस्तकें निर्माणाधीन हैं।
4.3 कक्षा IX और XI की पाठ्यपुस्तकें 2025-26 के दौरान विकसित की जाएँगी, जबकि कक्षा X और XII की पाठ्यपुस्तकें 2026-27 के दौरान विकसित की जाएँगी।
4.4 विकसित पाठ्यपुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ हैं- योग्यता-आधारित और आयु-उपयुक्त विषय-वस्तु; आलोचनात्मक चिंतन और समस्या समाधान को बढ़ावा देना; अंतःविषयक और बहुविषयक दृष्टिकोणों का एकीकरण; डिजिटल संसाधनों का समावेश; सांस्कृतिक जड़ता और भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर जोर आदि।
4.5 माँग को पूर्ति करने के लिए एनसीईआरटी की वार्षिक पाठ्यपुस्तक छपाई 5 करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ कर दी गई है।
4.6 सभी अनुसूचित भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार की जा रही हैं तथा उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुलभ बनाया जा रहा है।
5. एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम
5.1 चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) को एनईपी 2020 में परिकल्पित 64 बहु-विषयक संस्थानों में शुरू किया गया है। आईटीईपी शिक्षा में 4 साल की एकीकृत दोहरी प्रमुख स्नातक डिग्री के साथ-साथ कला, विज्ञान, शारीरिक शिक्षा आदि में एक विशेष विषय है। इसका उद्देश्य भावुक, प्रेरित, योग्य, पेशेवर रूप से प्रशिक्षित और अच्छी तरह से तैयार शिक्षकों को विकसित करना है।
5.2 आईटीईपी के लिए प्रवेश राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा (एनसीईटी) के माध्यम से किया जाता है, जो अंतिम बार 10 जुलाई 2024 को आयोजित किया गया था ।
6. एनपीएसटी और एनएमएम
6.1 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैरा 15.11 में परिकल्पित राष्ट्रीय मेंटरिंग मिशन (एनएमएम) का उद्देश्य स्कूली शिक्षकों को मेंटरिंग प्रदान करने के इच्छुक उत्कृष्ट पेशेवरों का एक बड़ा समूह तैयार करना है। ये संभावित मेंटर, उम्र या पद की परवाह किए बिना, हमारे देश के 21वीं सदी के विकास लक्ष्यों को साकार करने में योगदान देंगे।
6.2 विभाग ने 9 मार्च 2024 को एनएमएम - द ब्लूबुक लॉन्च किया था। एनएमएम - द ब्लूबुक का ब्रेल संस्करण और ऑडियो संस्करण एनईपी, 2020 की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 29.07.2024 को जारी किया गया था।
6.3 शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी), जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के पैरा 5.20 में परिकल्पित है, का उद्देश्य प्रदर्शन सुधार के लिए स्पष्ट अपेक्षाएँ और दिशानिर्देश प्रदान करके शिक्षकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को बढ़ाना है।
6.4 विभाग ने 9 मार्च 2024 को एनपीएसटी मार्गदर्शक दस्तावेज़ लॉन्च किया था। एनपीएसटी मार्गदर्शक दस्तावेज़ का ब्रेल संस्करण और ऑडियो संस्करण एनईपी 2020 की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 29.07.2024 को जारी किया गया था।
स्कूलों में शिक्षण परिणामों को बेहतर बनाने के लिए उठाए गए कदम
शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख (समग्र विकास के लिए ज्ञान का प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण), एनसीईआरटी, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से भारत भर के स्कूलों में सीखने के परिणामों और दक्षताओं को बढ़ाने के लिए कई रणनीतिक पहलों को लागू कर रहा है।
परख की एक प्रमुख पहल स्कूली शिक्षा के सभी चार स्तरों के लिए समग्र प्रगति कार्ड (एचपीसी) की अवधारणा है। एचपीसी योग्यता-आधारित मूल्यांकन गतिविधियों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर कई तत्वों में कैप्चर की गई शिक्षार्थियों की प्रगति का एक एकीकृत और व्यापक दस्तावेज़ है। परख ने योग्यता आधारित मूल्यांकन रूपरेखा मॉडल के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए फाउंडेशनल, प्रारंभिक, मध्य तथा माध्यमिक चरणों में समग्र प्रगति कार्ड विकसित किए हैं।
परख की एक और मुख्य पहल परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 (जिसे पहले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण-एनएएस के नाम से जाना जाता था) का आयोजन 4 दिसंबर, 2024 को किया गया था, जिसमें देश भर के 87,619 स्कूलों के लगभग 23 लाख छात्र शामिल थे। यह राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण स्कूली शिक्षा के आधारभूत, प्रारंभिक और मध्य चरणों (यानी वर्तमान में कक्षा 3, 6 और 9 में पढ़ने वाले छात्र) के अंत में सीखने की क्षमताओं का आकलन करने में मदद करेगा।
इस सर्वेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य छात्र दक्षताओं के राष्ट्रीय मानक के लिए आधार रेखा स्थापित करना है, जिससे विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों में सीखने के स्तरों की विस्तृत समझ हो सके। छात्र उपलब्धि पर नमूना डेटा एकत्र करके, परख उन विशिष्ट दक्षताओं की पहचान कर सकता है जहाँ छात्र संघर्ष कर रहे हैं और इन सीखने की ज़रूरतों का समर्थन करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप डिज़ाइन कर सकता है। यह दृष्टिकोण केंद्रित कार्य योजनाओं के निर्माण को सक्षम बनाता है जिन्हें भारत की स्कूली प्रणाली के विविध शैक्षिक परिदृश्यों को संबोधित करने के लिए तैयार किया जा सकता है।
मूल्यांकन के बाद, परख सर्वेक्षण निष्कर्षों के आधार पर लक्षित हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए राज्य और जिला स्तरीय शैक्षिक प्राधिकरणों के साथ सहयोग करेगा।
शिक्षक प्रशिक्षण सीखने की क्षमता में सुधार के लिए उठाए गए कदमों का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। शिक्षकों को योग्यता-आधारित शिक्षा के लिए प्रभावी उपकरणों और पद्धतियों से लैस करके, परख यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कक्षा में दी जाने वाली शिक्षा 21वीं सदी की शिक्षा की उभरती हुई माँगों को पूरा करे।
स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की प्रतिशत सुधारने हेतु उठाए गए कदम
समग्र शिक्षा के अंतर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा (आई.ई.) के लिए एक समर्पित घटक है, ताकि पूर्ण समानता और समावेश सुनिश्चित किया जा सके ताकि विशेष आवश्यकता वाले सभी बच्चे नियमित स्कूलों में पूरी तरह से भाग ले सकें। इस योजना का उद्देश्य प्री-स्कूल से लेकर कक्षा XII तक सीडब्ल्यूएसएन की शिक्षा को निरंतरता में देखना है। इस योजना में विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 की विकलांगता अनुसूची में उल्लिखित एक या अधिक विकलांगता वाले सभी सीडब्ल्यूएसएन को शामिल किया गया है।
आईई घटक के माध्यम से, सीडब्लूएसएन के लिए विभिन्न प्रावधान उपलब्ध कराए जाते हैं जैसे कि पहचान और मूल्यांकन शिविर (ब्लॉक स्तर पर), प्रति वर्ष सहायता के लिए छात्र विशिष्ट हस्तक्षेप @ रु. 3,500 प्रति सीडब्लूएसएन। इसके अलावा, विकलांग लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से विशेष जरूरतों वाली लड़कियों को 10 महीने के लिए 200 रुपये प्रति माह (2,000 रुपये प्रति वर्ष) वजीफा दिया जाता है। इसके अलावा, सीडब्लूएसएन की अनूठी सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्लॉक स्तर पर संसाधन केंद्रों के माध्यम से व्यक्तिगत सहायता भी प्रदान की जाती है।
सीडब्ल्यूएसएन की प्रारंभिक जाँच और पहचान के लिए, आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के अनुसार बेंचमार्क विकलांगताओं सहित 21 विकलांगताओं को शामिल करने वाले स्कूलों की पुस्तिका और मोबाइल ऐप के लिए प्रशस्त है। जो सीडब्ल्यूएसएन की प्रारंभिक स्क्रीनिंग और पहचान की सुविधा प्रदान करता है तथा जिसमें समग्र शिक्षा के तहत उनके प्रमाणीकरण और आईई हस्तक्षेप के प्रावधान हैं।
स्कूलों को उनके डिजाइन में बाधा रहित सुविधाओं को शामिल करके अधिक दिव्यांग अनुकूल बनाया जा रहा है। एसएस की एक और हालिया पहल दिव्यांग अनुकूल शौचालय उपलब्ध कराना है। अब तक, 58.5% सरकारी स्कूलों में रैंप और हैंडरेल की व्यवस्था की गई है और 31.1% स्कूलों में सीडब्लूएसएन अनुकूल शौचालय हैं। हितधारकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त कार्यालय के परामर्श से शैक्षणिक संस्थानों के लिए सुगम्यता संहिता 10 जनवरी, 2024 को अधिसूचित की गई थी ।
विभाग ने अधिसूचना संख्या एसओ 4586 (ई) दिनांक 21.09.2022 (29.09.2022 को प्रकाशित) के माध्यम से सामान्य विद्यालयों में विशेष शिक्षकों के लिए छात्र शिक्षक अनुपात (पीटीआर) अधिसूचित किया था।
एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में परिवर्तित कर दिया गया है: अब तक कक्षा 1 से 7 तक के पाठ्यक्रम सामग्री, मनोविज्ञान, इतिहास, भूगोल, उर्दू, अर्थशास्त्र में शब्दावली से संबंधित 4250 से अधिक आईएसएल वीडियो तैयार किए गए हैं और इन ई-सामग्री की सुसंगत पहुँच सुनिश्चित करने के लिए नियमित आधार पर दीक्षा पोर्टल और पीएम ईविद्या (एक कक्षा, एक चैनल), डीटीएच टीवी चैनलों के माध्यम से इनका लगातार प्रसार किया जा रहा है।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) सीडब्ल्यूएसएन छात्रों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होने के कारण, विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम - 2016 में परिभाषित कई छूट / रियायतें प्रदान करता है जैसे कि मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार, स्क्राइब की सुविधा और प्रतिपूरक समय, स्क्राइब की नियुक्ति और संबंधित निर्देश, शुल्क और कक्षा X के लिए विशेष छूट जैसे तीसरी भाषा से छूट, विषयों को चुनने में लचीलापन, वैकल्पिक प्रश्न / अलग प्रश्न और कक्षा XII के लिए विशेष छूट जैसे विषयों को चुनने में लचीलापन, अलग प्रश्न पत्र और व्यावहारिक घटक के बदले प्रश्न।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन में विभिन्न राज्य स्कूल बोर्डों के बीच समानता लाने के लिए उठाए गए कदम
भारत सरकार पूरे देश में एक अधिक साम्यिक, मानकीकृत और प्रभावी शिक्षा प्रणाली बनाने का प्रयास करती रही है, ताकि सभी छात्रों को, चाहे वे किसी भी राज्य या बोर्ड से हों, समान मूल्यांकन मानकों तक पहुँच प्राप्त हो। परख को एनसीईआरटी के तहत एक घटक निकाय के रूप में स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य देश भर के सभी बोर्डों में पाठ्यक्रम, मूल्यांकन प्रथाओं और परीक्षा प्रारूपों में समानता लाने के लिए सभी स्कूल बोर्डों में छात्र मूल्यांकन और मूल्यांकन के लिए मानदंड, मानक और दिशानिर्देश स्थापित करना है। परख ने स्कूल बोर्डों के बीच समानता को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
- राष्ट्रीय परामर्श बैठक: 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 26 स्कूल शिक्षा बोर्डों के साथ पहली राष्ट्रीय बैठक में स्कूल मूल्यांकन प्रथाओं और बोर्ड समतुल्यता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- क्षेत्रीय कार्यशालाएँ: परख ने देश भर में पश्चिमी, उत्तरी, पूर्वी, उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में पाँच दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशालाओं की श्रृंखला आयोजित की। इन कार्यशालाओं में स्कूल मूल्यांकन और बोर्डों के बीच प्रथाओं को मानकीकृत करने के तरीकों पर चर्चा की गई।
- प्रश्न पत्रों का अध्ययन: विभिन्न बोर्डों के प्रश्न पत्रों पर परख द्वारा अध्ययन किया गया ताकि उनके मूल्यांकन पैटर्न का विश्लेषण किया जा सके। इसके बाद, सभी बोर्डों में बेहतर संरेखण और समतुल्यता सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए गए।
- समतुल्यता को अंतिम रूप देने के लिए कार्यशालाएँ: प्रश्नपत्र अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों को अंतिम रूप देने और समतुल्यता पर रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। अंतिम दिशा-निर्देशों की समीक्षा और कार्यान्वयन के लिए कई प्रमुख बोर्डों ने भाग लिया।
- समतुल्यता पर रिपोर्ट साझा करना: समतुल्यता अध्ययन के निष्कर्षों को साझा करने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिसका उद्देश्य अधिक समावेशी और व्यापक मूल्यांकन ढांचा तैयार करना था।
- प्रश्न पत्र टेम्पलेट्स का मानकीकरण: परख ने सभी बोर्डों में प्रश्न पत्र टेम्पलेट्स के मानकीकरण पर कार्यशालाएँ शुरू कीं। कार्यशालाओं में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के साथ संरेखित करते हुए प्रश्न पत्र डिज़ाइन और मूल्यांकन गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रभावी प्रश्न पत्र डिज़ाइन पर शिक्षकों को और अधिक प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न राज्यों के मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर विशेष जोर दिया गया।
अपार आईडी – विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में रोल आउट की स्थिति
एपीएएआर छात्रों को अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों को संचित करने और संग्रहीत करने का अधिकार देता है, जिससे आगे की शिक्षा के लिए संस्थानों के बीच निर्बाध संक्रमण की सुविधा मिलती है। एपीएएआर आईडी स्कूल स्तर से ही क्रेडिट मान्यता और स्थानांतरण की प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, जिससे शैक्षणिक प्रगति और पूर्व शिक्षा की मान्यता को सुव्यवस्थित किया जा सकता है।
अपार पंजीकरण प्रक्रिया
- चरण 1: सत्यापन: जनसांख्यिकीय विवरण सत्यापित करने के लिए स्कूल जाएँ
- चरण 2: माता-पिता की सहमति: यदि छात्र नाबालिग है तो माता-पिता की सहमति प्राप्त करें
- चरण 3: प्रमाणीकरण: स्कूल के माध्यम से पहचान प्रमाणित करें
- चरण 4: आईडी निर्माण: सफल सत्यापन के बाद, अपार आईडी बनाई जाती है और सुरक्षित ऑनलाइन पहुँच के लिए डिजिलॉकर में जोड़ दी जाती है
17 दिसंबर 2024 तक, 7 करोड़ से अधिक अपार आईडी तैयार और मान्य की जा चुकी हैं, जिससे छात्रों की प्रगति की अद्वितीय ट्रैकिंग सुनिश्चित हो रही है।
मिशन लाइफ हेतु इको क्लबों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर राज्यों के बीच जागरूकता निर्माण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 स्कूली पाठ्यक्रम में पर्यावरण जागरूकता और स्थिरता सिद्धांतों को एकीकृत करने के महत्व पर जोर देती है। नीति का उद्देश्य छात्रों को पर्यावरण / जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं के प्रति संवेदनशील बनाना और छात्रों में पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक मूल्यों, दृष्टिकोण, व्यवहार और कौशल को विकसित करना है, जिससे उन्हें एक स्थायी भविष्य में योगदान देने के लिए तैयार किया जा सके।
इस परिकल्पना के अनुरूप, इको क्लब स्कूलों के भीतर एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करते हैं, जो छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग के लिए व्यावहारिक कौशल और ज्ञान विकसित करने का अवसर प्रदान करते हैं। जल उपयोग को अनुकूलित करने, अपशिष्ट उत्पादन को कम करने, पुनर्चक्रण और वृक्षारोपण अभियान चलाने जैसी गतिविधियों में भागीदारी के माध्यम से, छात्र स्थायी अभ्यास सीखते हैं जिन्हें वे स्कूल के भीतर और बाहर दोनों जगह लागू कर सकते हैं। इको क्लब छात्रों को पर्यावरण राजदूत के रूप में कार्य करने के लिए सशक्त बनाते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार को बढ़ावा देकर अपने परिवारों और समुदायों तक अपना प्रभाव बढ़ाते हैं, जैसे कि एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करना, पानी का संरक्षण करना और पर्यावरण के अनुकूल पहलों में भाग लेना। इन जुड़ावों के माध्यम से, छात्रों को हमारे ग्रह को संरक्षित और सुरक्षित रखने की साझा जिम्मेदारी की गहन समझ प्राप्त होती है, जिससे एक स्थायी भारत के लिए पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिकों को पोषित करने के एनईपी 2020 के उद्देश्य को आगे बढ़ाया जा सकता है। मिशन लाइफ के लिए इको क्लबों की गतिविधियों को समग्र शिक्षा के माध्यम से समर्थन दिया जाता है। 2024-25 के लिए एडब्ल्यूपी&बी के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 744 करोड़ रुपये (लगभग) आवंटित किए गए हैं।
इको क्लबों की गतिविधियों को मिशन लाइफ के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे उनका नाम बदलकर “मिशन लाइफ के लिए इको क्लब” रखा गया है। इको क्लबों की सभी गतिविधियों को मिशन लाइफ के सात विषयों (ऊर्जा बचाओ, पानी बचाओ, सिंगल यूज प्लास्टिक को ना कहें, सतत खाद्य प्रणाली अपनाएँ, अपशिष्ट कम करें, स्वस्थ जीवन शैली अपनाएँ और ई-कचरा कम करें) के साथ जोड़ा गया है। इस पहल के एक हिस्से के रूप में, विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में 5 जून, 2024 (विश्व पर्यावरण दिवस) से मिशन लाइफ के सात मुख्य विषयों को शामिल करते हुए ग्रीष्मकालीन शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविरों में छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों सहित 11 करोड़ से अधिक व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में, शिविरों के दौरान, छत्तीसगढ़, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों के स्कूली शिक्षक, छात्र और समुदाय के सदस्य बीज बॉल तैयार करने में लगे रहे, बाद में मरुस्थलीकरण के खिलाफ एक उपाय के रूप में मानसून के मौसम के दौरान इन बीज गेंदों को खराब भूमि पर फैलाया गया।
एनईपी 2020 की 4वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 22 से 28 जुलाई, 2024 तक मनाए जाने वाले शिक्षा सप्ताह के दौरान, एक दिन को "मिशन लाइफ के लिए इको क्लब" दिवस के रूप में नामित किया गया था। 11 नवंबर, 2024 तक, मिशन लाइफ दिवस के लिए इको क्लबों की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हैं- मिशन लाइफ के लिए 1.46 लाख नए इको क्लबों की स्थापना [स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डी.ओ.एसईएल) की 100 दिनों की कार्य योजना का हिस्सा], 1 लाख से अधिक स्कूल पोषण उद्यानों की स्थापना (डी.ओ.एसईएल की 100 दिनों की कार्य योजना का भी हिस्सा), #EkPedMaaKeNaam पहल के तहत 5.18 करोड़ पौधों का रोपण जिसमें कुल 6.75 करोड़ व्यक्तियों की भागीदारी है, जिसमें छात्र, शिक्षक और समुदाय के सदस्य शामिल हैं। स्कूलों ने मानसून सीजन को शामिल करते हुए 27.07.2024 से 30.09.2024 तक ये वृक्षारोपण अभियान चलाए।
पीएम पोषण योजना के तहत सामग्री प्रापण हेतु सामग्री लागत में वृद्धि
श्रम ब्यूरो द्वारा उपलब्ध कराए गए मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर, पीएम पोषण योजना के तहत बाल वाटिका और प्राथमिक कक्षाओं के लिए भोजन पकाने के लिए सामग्री (दालें, सब्जियाँ, तेल, मसाले और मसालों, ईंधन) की खरीद के लिए सामग्री लागत दिसंबर 2024 से 5.45 रुपये (प्रति बच्चा 0.74 रुपये की वृद्धि) से बढ़ाकर 6.19 रुपये प्रति बच्चा प्रति दिन और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 8.17 रुपये (प्रति बच्चा 1.12 रुपये की वृद्धि) से बढ़ाकर 9.29 रुपये प्रति बच्चा प्रति दिन कर दी गई है। सामग्री लागत के लिए ये दरें न्यूनतम अनिवार्य दरें हैं। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अपने संसाधनों से अधिक योगदान करने के लिए स्वतंत्र हैं।
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 [आरटीई (संशोधन) अधिनियम, 2019] के अंतर्गत नियमों के निर्माण की स्थिति
बच्चों के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 के नियमों को राजपत्र अधिसूचना जीएसआर777(ई) दिनांकित 16 दिसंबर, 2024 के माध्यम से संशोधित किया गया है, जिसमें शैक्षणिक वर्ष के अंत में 5वीं और 8वीं कक्षा में नियमित परीक्षा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई बच्चा पदोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे परिणाम घोषित होने की तिथि से दो महीने की अवधि के भीतर अतिरिक्त निर्देश और पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। यदि पुन: परीक्षा में उपस्थित होने वाला बच्चा फिर से पदोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे पांचवीं कक्षा या आठवीं कक्षा में रोक दिया जाएगा, जैसा भी मामला हो।
नये केवी एवं जेएनवी का प्रारंभ
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 4 दिसंबर 2024 को देश भर में नागरिक/रक्षा क्षेत्र के अंतर्गत 85 नए केन्द्रीय विद्यालय (केवी) खोलने और एक मौजूदा केवी अर्थात केवी शिवमोग्गा, जिला शिवमोग्गा, कर्नाटक के विस्तार को मंजूरी दी है, ताकि केन्द्रीय विद्यालय योजना (केन्द्रीय क्षेत्र योजना) के अंतर्गत सभी कक्षाओं में दो अतिरिक्त अनुभाग जोड़कर केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की जा सके।
4 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने नवोदय विद्यालय योजना (केन्द्रीय क्षेत्र योजना) के अंतर्गत देश के वंचित जिलों में 28 नवोदय विद्यालय (एनवी) स्थापित करने को मंजूरी दे दी है।
*****
एमजी/केसी/एसजी
(Release ID: 2092540)
Visitor Counter : 147