विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय कला की झलक दिखाने वाली ‘द आर्ट ऑफ इंडिया 2025’ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक लोकाचार के सहजीवन की सराहना की
जड़ों से पुन: जोड़ना और प्रगति को प्रेरित करना : कला प्रदर्शनी ने विकसित भारत 2047 की सांस्कृतिक आधारशिला रखी
Posted On:
11 JAN 2025 8:28PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहां इंडिया हैबिटेट सेंटर की विजुअल आर्ट्स गैलरी में “आर्ट ऑफ इंडिया 2025” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। डॉ. सिंह ने आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक लोकाचार के सहजीवन की सराहना की।
इस प्रतिष्ठित आयोजन के चौथे संस्करण में भारत के कुछ बेहद प्रतिष्ठित दिग्गजों, नवोदित कलाकारों और स्वदेशी रचनाकारों की 250 से अधिक उत्कृष्ट कलाकृतियों को एक साथ लाते हुए देश के कलात्मक विकास का विशद चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने समावेशिता और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देने में कला की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कला केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब ही नहीं है, अपितु बदलाव के दौर में आशा और एकता का माध्यम भी है। द आर्ट ऑफ इंडिया जैसे कार्यक्रम रचनात्मकता की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित करते हैं तथा भारतीय कलाकारों की प्रतिभा और विविधता के प्रमाण के रूप में कार्य करते हैं।” उन्होंने भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत को बढ़ावा देने के प्रति आयोजकों की निरंतर प्रतिबद्धता की सराहना की।
उन्होंने कहा, “द आर्ट ऑफ इंडिया जैसी पहलों के माध्यम से, यह न केवल जनता को समकालीन मुद्दों से अवगत रखता है, बल्कि हमें प्राचीन, अंतर्निहित और शाश्वत से भी पुन: जोड़ता है।” उन्होंने “बिग बुल” के आकर्षक चित्रण सहित प्रदर्शित कलाकृतियों पर विचार करते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी राष्ट्र को उसके कालातीत लोकाचार से अवगत रखते हुए 21वीं सदी में भारत के उत्थान का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “यह नाजुक संतुलन - जड़ों का सम्मान करते हुए भविष्य को अंगीकार करने - हमारी यात्रा को आकार देने वाले मूल्यों का प्रमाण है।”
डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह के कदम भारत की यात्रा को आकार देने वाले कलात्मक और सांस्कृतिक लोकाचार को संरक्षित करते है, ताकि भविष्य में उनका अभिन्न अंग बने रहना सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा, “यह प्रदर्शनी हमें अपनी जड़ों से पुन: जोड़ते हुए और समकालीन अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करके, न केवल हमारे अतीत का सम्मान करती है, बल्कि 2047 तक परिकल्पित विकसित भारत के लिए सांस्कृतिक नींव भी रखती है।”
प्रतिष्ठित डॉ. अलका पांडे द्वारा क्यूरेट की गई, द आर्ट ऑफ़ इंडिया 2025 कलात्मक शैलियों और कथाओं के एक स्पेक्ट्रम को रेखांकित करती है। राजा रवि वर्मा, एम.एफ. हुसैन और एस.एच. रजा जैसे दिग्गजों के कालातीत कार्यों से लेकर समकालीन और स्वदेशी कलाकारों की नवोन्मेषी कृतियों तक, यह प्रदर्शनी देश की कलात्मक वंशावली के माध्यम से एक आकर्षक यात्रा प्रस्तुत करती है। इस वर्ष की थीम, भारतीय मास्टर्स, समकालीन और लोक कला का जश्न मनाते हुए आशा, शांति और समावेशिता के सार को समाहित करती है।
वर्ष 2022 में अपनी शुरुआत के बाद से, द आर्ट ऑफ इंडिया सांस्कृतिक कैलेंडर पर एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में उभरी है, जो देश भर के कला प्रेमियों, संग्रहकर्ताओं और उत्साही लोगों को आकर्षित करती है। 500 से अधिक कलाकारों और दीर्घाओं के योगदान से युक्त इस वर्ष का संस्करण भारत की कलात्मक विविधता के ऐतिहासिक कीर्तिगान का वादा करता है।
उपस्थित लोगों को यहां परंपरा और आधुनिकता, आलंकारिक और अमूर्त, तथा ऐतिहासिक जड़ों और समकालीन अभिव्यक्तियों के अंतरसंबंधों को दर्शाते मनोहारी दृश्य देखने का अवसर मिला। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य भारत के कलात्मक आख्यान की व्यापक सराहना को प्रेरित करना है, ताकि इसे सभी पीढ़ियों के लिए सुलभ बनाया जा सके।
इस कार्यक्रम का समापन वैश्विक मंच पर भारत की कला और संस्कृति को उभारने वाले मंचों को बढ़ावा देना जारी रखने के आह्वान के साथ हुआ। डॉ. जितेंद्र सिंह की मुख्य अतिथि के रूप में भागीदारी ने वरिष्ठ और नवोदित दोनों ही तरह के कलाकारों को प्रेरणा देने वाले इस अवसर को बेहद गरिमापूर्ण बना दिया।
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