मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह कल गुवाहाटी में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) पर पूर्वोत्तर राज्यों की बैठक का उद्घाटन करेंगे
पीएमएमएसवाई के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र की बैठक में 50 करोड़ रुपये की मत्स्य पालन परियोजनाएं शुरू की जाएंगी
सिक्किम के सोरेंग जिले में टिकाऊ जलीय कृषि के लिए जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर अधिसूचित किया जाएगा
Posted On:
05 JAN 2025 3:00PM by PIB Delhi
मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग 6 जनवरी 2024 को असम के गुवाहाटी स्थित होटल रेडिशन में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह की अध्यक्षता में “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों की बैठक” का आयोजन कर रहा है। इस बैठक में मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल भी उपस्थित रहेंगे। इस बैठक में प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, श्री कृष्णेंदु पॉल, मत्स्य पालन मंत्री, असम; श्री गेब्रियल डेनवांग वांगसू, मत्स्य पालन मंत्री, अरुणाचल प्रदेश; श्री अलेक्जेंडर लालू हेक, पशुपालन मंत्री, मेघालय; श्री पु ललथांसांगा, मत्स्य पालन मंत्री, मिजोरम; श्री एच. डिंगो सिंह, मत्स्य पालन मंत्री, मणिपुर; श्री सुधांशु दास, मत्स्य पालन मंत्री, त्रिपुरा; श्री पूरन कुमार गुरुंग, कृषि एवं मत्स्य पालन मंत्री, सिक्किम; और श्री ए. पंगजंग जमीर, मत्स्य पालन मंत्री, नागालैंड, भी भाग लेंगे। यह बैठक हाइब्रिड मोड में आयोजित की जाएगी।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत वाली प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में आत्मनिर्भर मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र के मत्स्य पालन लाभार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे, जिनमें एनएफडीपी पंजीकरण प्रमाण पत्र, केसीसी कार्ड, सर्वश्रेष्ठ एफएफपीओ और मत्स्य पालन स्टार्ट-अप के लिए पुरस्कार शामिल हैं।
क्षेत्रीय विकास की गति को जारी रखने और बनाए रखने के लिए, मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार सिक्किम राज्य में जैविक मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास के लिए सिक्किम के सोरेंग जिले में जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर को अधिसूचित करेगी। सिक्किम में एक जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक लाभों की एक श्रृंखला प्रदान करेगा और खुद को टिकाऊ जलीय कृषि में अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है।
इस कार्यक्रम में आईसीएआर (मत्स्यपालन) के उप महानिदेशक डॉ. जे.के. जेना द्वारा प्रस्तुत "पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में मत्स्य पालन और जलीय कृषि में मुद्दे और चुनौतियां" पर एक तकनीकी सत्र शामिल होगा। यह सत्र क्षेत्र में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्रों द्वारा सामना की जाने वाली विशिष्ट चुनौतियों, जैसे संसाधन प्रबंधन, बुनियादी ढांचे की सीमाएं, बाज़ार पहुंच के मुद्दे और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर केंद्रित होगा। डॉ. जेना क्षेत्र की अनूठी पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के अनुकूल संभावित समाधानों व अभिनव दृष्टिकोणों पर भी प्रकाश डालेंगे तथा इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों के सतत विकास और वृद्धि को समर्थन देने के लिए व्यावहारिक रणनीतियां प्रस्तुत करेंगे।
यह बैठक पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगी। यह क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने, अभिनव समाधान साझा करने और क्षेत्र के विशिष्ट जलीय संसाधनों के अनुरूप टिकाऊ कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करेगी। यह बैठक बुनियादी ढांचे को बढ़ाएगी, उन्नत तकनीकों को प्रोत्साहित करेगी और बाजार संबंधों को मजबूत करेगी, जिससे अंततः उत्पादकता बढ़ेगी, रोजगार पैदा होगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस ऐतिहासिक आयोजन के माध्यम से सरकार का लक्ष्य पूर्वोत्तर क्षेत्र को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने, टिकाऊ कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देने और पूरे क्षेत्र में मछुआरा समुदायों की आजीविका को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना है।
पृष्ठभूमि
भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो लगभग 3 करोड़ मछुआरों और किसानों को आजीविका प्रदान करता है। वर्ष 2019 में मत्स्य पालन के लिए एक समर्पित मंत्रालय और विभाग की स्थापना के बाद से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस कदम से मत्स्य पालन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित हुआ और 2015 से अब तक इस क्षेत्र में निवेश बढ़कर 38,572 करोड़ रुपये हो गया।
भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो अपनी समृद्ध जलीय जैव विविधता और विशाल जल संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है, आर्थिक विकास को गति देने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और आजीविका को बेहतर बनाने की अपार क्षमता रखता है। मछली विविधता के लिए एक वैश्विक हॉटस्पॉट के रूप में प्रसिद्ध, इस क्षेत्र के विविध पारिस्थितिकी तंत्र मछली की कई प्रजातियों का पोषण करते हैं, जो मत्स्य पालन को इसके आर्थिक और सामाजिक ढांचे के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्थान देते हैं। लगभग 422 मछली प्रजातियों के साथ, इस क्षेत्र ने 2014-15 से नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 2,114.73 करोड़ रुपये के सरकारी निवेश के माध्यम से उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। इसने हैचरी, वैज्ञानिक मछली पालन तकनीक और बुनियादी ढांचे में प्रगति के साथ-साथ मछली उत्पादन को 2013-14 के 3.78 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2023-24 में 6.41 लाख मीट्रिक टन कर दिया है।
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