सहकारिता मंत्रालय
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सहकारिता मंत्रालय: वर्षांत समीक्षा 2024

Posted On: 31 DEC 2024 11:00AM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के "सहकार से समृद्धि" के सपने को मूर्त रूप देने के लिए 6 जुलाई, 2021 को एक अलग सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई। देश के पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व और मार्गदर्शन में मंत्रालय ने सहकारिता क्षेत्र को मजबूत और जीवंत बनाने के लिए विभिन्न पहलों और ऐतिहासिक कदमों को उठाया है। पिछले तीन वर्षों में सहकारिता मंत्रालय ने 56 प्रमुख पहलों को कार्यान्वित किया है, जिससे देश भर में सहकारी समितियों के आर्थिक विकास और विस्तार के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं। इन पहलों पर अब तक हुई प्रगति और विवरण इस प्रकार हैं:

आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत ने 130 वर्षों में पहली बार आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 की मेजबानी की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता समिति वर्ष 2025 का भी शुभारंभ किया और एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।

अरहर दाल उत्पादक किसानों के पंजीकरण, खरीद और भुगतान के लिए पोर्टल

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 4 जनवरी 2024 को नई दिल्ली में अरहर दाल उत्पादक किसानों के पंजीकरण, खरीद और भुगतान के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन फेडरेशन लिमिटेड (एनएएफईडी) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन लिमिटेड (एनसीसीएफ) द्वारा विकसित पोर्टल का शुभारंभ किया।

आरसीएस और एआरडीबी के कार्यालयों के लिए कम्प्यूटरीकरण योजना

केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 30 जनवरी 2024 को नई दिल्ली में राज्यों के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) और कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) के कार्यालयों के लिए कम्प्यूटरीकरण योजना का शुभारंभ किया।

सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11 राज्यों की 11 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) में सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजनाकी पायलट परियोजना का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 24 फरवरी 2024 को गोदामों और अन्य कृषि-संबंधी अवसंरचना के निर्माण के लिए देश भर में अतिरिक्त 500 पीएसीएस की आधारशिला रखी और 18,000 पीएसीएस के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना का भी उद्घाटन किया।

शहरी सहकारी बैंकों के लिए छतरी संगठन

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 2 मार्च 2024 को नई दिल्ली में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए छतरी संगठन, राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड (एनयूसीएफडीसी) का उद्घाटन किया।

एनसीओएल और यूओसीबी के बीच समझौता ज्ञापन

राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) और उत्तराखंड आर्गेनिक्स कमोडिटी बोर्ड (यूओसीबी) के बीच 30 अगस्त 2024 को केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

10,000 एमपीएसीएस, डेयरी और मछली पालन सहकारी समितियों का शुभारंभ

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 25 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली में डेयरी और मछली पालन सहकारी समितियों के साथ-साथ 10,000 नव स्थापित बहु-उद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपीएसीएस) का उद्घाटन किया।

(ए) प्राथमिक सहकारी समितियों का आर्थिक सुदृढ़ीकरण

1. पीएसीएस को बहु-उद्देशीय बनाने के लिए आदर्श उप-नियम

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में  सहकारिता मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय फेडरेशनों और अन्य हितधारकों के परामर्श के बाद पीएसीएस के लिए आदर्श उप-नियम तैयार किए गए और 5 जनवरी 2023 को इसे जारी कर दिया गया।

इन आदर्श उप-नियमों का उद्देश्य पीएसीएस/एलएएमपीएस की आय के स्रोतों को बढ़ाना और डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण आदि जैसे 25 से अधिक नए क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। अब तक, 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने आदर्श उप-नियमों को अपना लिया है या उनके मौजूदा उप-नियम इस आदर्श उप-नियमों के अनुरूप हैं।

2. कम्प्यूटरीकरण के जरिए पीएसीएस को सुदृढ़ करना

पीएसीएस/एलएएमपीएस का कम्प्यूटरीकरण वित्त वर्ष 2024-25 में जारी रहा तथा क्रियाशील पीएसीएस/एलएएमपीएस को एकल राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर नेटवर्क के जरिए नाबार्ड से जोड़ा गया।

अब तक, 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 67,930 पीएसीएस के कम्प्यूटरीकरण के प्रस्ताव मंजूर किए गए हैं। इस काम के लिए केंद्र सरकार द्वारा हार्डवेयर खरीद, डिजिटलीकरण तथा सहायक प्रणालियों की स्थापना के लिए राज्यों को कुल 700.42 करोड़ रुपए तथा नाबार्ड को 165.92 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। नाबार्ड द्वारा राष्ट्रीय एकीकृत सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी, 2024 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में 18,000 पीएसीएस के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना का उद्घाटन किया।

3. प्रत्येक पंचायत/गांव में बहु-उद्देशीय पीएसीएस/डेयरी/मछली पालन सहकारी समितियों की स्थापना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 फरवरी, 2023 को इस योजना को मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य अगले 5 वर्षों में देश की सभी पंचायतों/गांवों को शामिल करते हुए नई बहु-उद्देशीय पीएसीएस, डेयरी, मछली पालन सहकारी समितियों की स्थापना करना है।

यह योजना नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी और राज्य सरकारों के सहयोग से इन प्राथमिक सहकारी समितियों के स्तर पर केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित करके लागू की जा रही है।

योजना के समयबद्ध कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए 19 सितम्बर, 2024 को एक मानक संचालन प्रक्रिया (मार्गदर्शिका) भी शुरू की गई, जिसमें लक्ष्य, समयसीमा और संबंधित हितधारकों की भूमिका और जिम्मेदारियाँ बताई गई हैं। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 10,825 नई एम-पीएसीएस, डेयरी और मछली पालन संबंधी सहकारी समितियां पंजीकृत की गई हैं।

4. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहकारी क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा विकेंद्रीकृत अनाज भंडारण कार्यक्रम

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी, जिसे 31 मई, 2023 को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया। इसमें केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के समन्वय के माध्यम से पीएसीएस  स्तर पर विभिन्न कृषि बुनियादी ढांचे, जैसे गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयाँ, उचित मूल्य की दुकानें आदि का निर्माण करना शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह देश की खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने, खाद्यान्न की बर्बादी को कम करने, किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने और पीएसीएस स्तर पर ही विभिन्न कृषि जरूरतों को पूरा करने के लिए इस परियोजना पर विशेष बल दे रहे हैं।

पायलट प्रोजेक्ट के तहत 11 राज्यों के 11 पीएसीएस में गोदामों का उद्घाटन किया गया और 500 अतिरिक्त पीएसीएस में गोदाम निर्माण की आधारशिला 24 फरवरी, 2024 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई।

5. ई-सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए सामान्य सेवा केन्द्र (सीएससी) के रूप में पीएसीएस

सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच 2 फरवरी,2023 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, ताकि पीएसीएस को सीएससी द्वारा प्रदान की जाने वाली 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। सीएससी-एसपीवी और नाबार्ड के समन्वय में एनसीसीटी द्वारा इन पीएसीएस को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

अब तक 41,075 पीएसीएस ने सीएससी सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है और इन पीएसीएस के जरिए 60 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हो चुका है। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 21 जुलाई, 2023 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में इस परियोजना का उद्घाटन किया। देश के सभी क्रियाशील पीएसीएस/एलएएमपीएस के माध्यम से सीएससी सुविधाएं प्रदान करने की योजना है, जिन्हें कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है।

 6. पीएसीएस द्वारा नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन

एफपीओ योजना के तहत सहकारी क्षेत्र में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को 1100 अतिरिक्त एफपीओ आवंटित किए गए हैं। अब पीएसीएस, एफपीओ के रूप में, कृषि से संबंधित अन्य आर्थिक गतिविधियां कर सकेंगे। यह पहल सहकारी समितियों के सदस्यों को उनकी उपज का उचित और लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए आवश्यक बाजार संपर्क उपलब्ध कराने में भी सहायक होगी।

एलपीजी वितरक के लिए पीएसीएस की पात्रता

सहकारिता मंत्रालय पीएसीएस की व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है। पीएसीएस को एलपीजी वितरक के लिए पात्र बनाना इस दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने पीएसीएस को एलपीजी वितरक के लिए पात्र बनाने हेतु अपने नियमों में संशोधन किया है।

 पीएसीएस द्वारा संचालित थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंप को खुदरा दुकानों में बदलने की अनुमति

सहकारिता मंत्रालय की पहल पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसधारी पीएसीएस को खुदरा दुकानों में बदलने की सहमति दे दी है। इस पहल के तहत, पीएसीएस को अपने थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा दुकानों में बदलने का एकमुश्त विकल्प दिया गया है। थोक उपभोक्ता पंप वाले 4 राज्यों के 109 पीएसीएस  ने खुदरा दुकानों में बदलने के लिए सहमति दे दी है, जिनमें से 45 पीएसीएस को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से आशय पत्र (एलओआई) प्राप्त हो चुके हैं। इस प्रावधान से पीएसीएस का मुनाफा बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

7. नए पेट्रोल/डीजल पंप डीलरशिप के लिए पीएसीएस को प्राथमिकता

नए खुदरा पेट्रोल/डीजल पंप डीलरशिप में भी पीएसीएस को प्राथमिकता दी जा रही है। अब तक, 25 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 286 पीएसीएस /एलएएमपीएस ने खुदरा पेट्रोल/डीजल डीलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। इस पहल से पीएसीएस का मुनाफा बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

8. ग्रामीण स्तर पर जेनेरिक दवाओं तक पहुंच के लिए जन औषधि केंद्र के रूप में पीएसीएस

पीएसीएस को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेकेएस) संचालित करने में सक्षम बनाया गया है। इस पहल से आम लोगों को गांव/ब्लॉक स्तर पर ही सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध होंगी और पीएसीएस को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।

अब तक, 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 4,482 पीएसीएस /सहकारी समितियों ने पीएम भारतीय जन औषधि केंद्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है, जिनमें से 2,715 पीएसीएस को पीएमबीआई द्वारा प्रारंभिक मंजूरी दी गई है और 768 को राज्य औषधि नियंत्रकों से दवा लाइसेंस प्राप्त हुए हैं और 696 पीएसीएस को पीएमबीआई से स्टोर कोड मिले हैं, जो पीएमबीजेके के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हैं।

9. प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में पीएसीएस

सहकारिता मंत्रालय ने उन पीएसीएस को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) में अपग्रेड करने का फैसला किया है, जो पहले से ही उर्वरक वितरण केंद्रों के रूप में काम कर रहे हैं। यह भी निर्णय लिया गया कि पीएसीएस को उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन उद्यमी के रूप में कार्य करने दिया जाए।

इससे पीएसीएस के लिए नए व्यावसायिक अवसर पैदा होंगे और उनका मुनाफ़ा बढ़ेगा। उर्वरक विभाग (भारत सरकार) और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 36,180 पीएसीएस को पीएमकेएसके में अपग्रेड किया गया है और शेष बचे पीएसीएस का काम प्रगति पर है।

10. नाबार्ड की मदद से बैंक मित्र सहकारी समितियों को माइक्रो-एटीएम दिया गया

डेयरी और मछली पालन संबंधी सहकारी समितियों को भी जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों का बैंक मित्र बनाया गया है। उनके व्यापार में आसानी, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए, नाबार्ड के सहयोग से बैंक मित्र सहकारी समितियों को 'डोर स्टेप वित्तीय सेवाएं' प्रदान करने के लिए माइक्रो-एटीएम भी दिए जा रहे हैं। इसके लिए 21 मई, 2023 को एक पायलट परियोजना शुरू की गई और 12 जुलाई, 2023 को गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा पंचमहल और बनासकांठा जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के खाताधारकों को कार्ड वितरित करके इसका उद्घाटन किया गया।

गुजरात के मुख्यमंत्री द्वारा 15 जनवरी को बनासकांठा के सनादर डेयरी कॉम्प्लेक्स से "सहकारी समितियों के बीच सहयोग" नामक एक राज्यव्यापी अभियान शुरू किया गया। अब इस पायलट परियोजना को गुजरात के सभी डीसीसीबी और देश भर के अन्य डीसीसीबी द्वारा लागू किया जाएगा। इस पायलट परियोजना में  गुजरात में न्यू बैंक मित्र सहकारी समितियों को 5,582 से अधिक माइक्रो एटीएम वितरित किए गए हैं।

11. सहकारी समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड

ग्रामीण सहकारी बैंकों की पहुंच और क्षमता का विस्तार करने और ग्रामीण सहकारी समितियों के सदस्यों को आवश्यक तरलता प्रदान करने के लिए गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में एक पायलट परियोजना शुरू की गई है।

इस परियोजना के तहत, सहकारी समितियों के सभी सदस्यों के बैंक खाते संबंधित जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में खोले जा रहे हैं और नाबार्ड के सहयोग से खाताधारकों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वितरित किए जा रहे हैं।

रुपे किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए, सहकारी समितियों के सदस्यों को उचित दर पर ऋण उपलब्ध होगा और सदस्य इस कार्ड का उपयोग अन्य वित्तीय लेनदेन के लिए भी कर सकते हैं। 15 जनवरी को बनासकांठा के सनादर डेयरी कॉम्प्लेक्स से सहकारी समितियों के बीच सहयोगनामक एक राज्यव्यापी अभियान शुरू किया गया।

इस अभियान के तहत, गुजरात के सभी डीसीसीबी और देश भर के अन्य डीसीसीबी द्वारा इस  पायलट परियोजना को लागू किया जाएगा। इस अभियान के तहत अब तक 1,10,000 से अधिक रुपे केसीसी वितरित किए जा चुके हैं।

12. पीएसीएस पानी समिति के रूप में

ग्रामीण क्षेत्रों में पीएसीएस  की गहरी पहुंच का उपयोग करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय की पहल पर, जल शक्ति मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर पीएसीएस को ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप जलापूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) का काम करने के लिए पानी समितिके रूप में पात्र बनाने के लिए कहा है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव के काम को मजबूत करेगा और साथ ही पीएसीएस के लिए नए व्यावसायिक अवसर पैदा करेगा। अब तक, 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 937 पीएसीएस का चयन/पहचान किया गया है और अन्य पीएसीएस को पात्र बनाने का काम इस पहल के तहत प्रगति पर है।

13. पीएसीएस स्तर पर पीएम-कुसुम योजना का मेल

पीएसीएस की पहुंच, जिसका सीधा संबंध 13 करोड़ किसान सदस्यों से है, का लाभ पंचायत स्तर पर विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने के लिए उठाया जा सकता है। इससे पीएसीएस से जुड़े किसान अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे। इसके अलावा, पीएसीएस और इसके सदस्य किसानों को आय के वैकल्पिक स्रोत मिलेंगे।

मत्स्यपालक उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) का गठन

मछुआरों को बाजार से जोड़ने और प्रसंस्करण सुविधाएं प्रदान करने के लिए, एनसीडीसी ने शुरुआती चरण में 70 एफएफपीओ पंजीकृत किए हैं। मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने 1000 मौजूदा मछली पालन संबंधी सहकारी समितियों को एफएफपीओ में बदलने के लिए एनसीडीसी को 225.50 करोड़ रुपये आवंटित किये है।

(बी) राष्ट्रीय स्तर पर तीन नई बहु-राज्यीय सहकारी समितियां

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री तथा सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, सहकारिता मंत्रालय ने निर्यात, प्रमाणित बीज और जैविक उत्पादों के लिए तीन नई बहु-राज्यीय सहकारी समितियों का गठन किया।

14. निर्यात के लिए नई राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्यीय सहकारी समिति

बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत, सहकारी क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक छतरी संगठन के रूप में एक नई राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) की स्थापना की गई है। प्राथमिक से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियां, जिसमें जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर के फेडरेशन और बहु-राज्यीय सहकारी समितियां शामिल है, इसके सदस्य बन सकती हैं। इस एनसीईएल के माध्यम से किसानों के उत्पादों के निर्यात में सुगमता आएगी और किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिलेगा।

आज की तारीख तक, लगभग 6,377 पीएसीएस/सहकारी समितियाँ एनसीईएल की सदस्य बन चुकी हैं। आज की तिथि तक, एनसीईएल द्वारा कुल 11,62,728 मीट्रिक टन माल का निर्यात किया गया है, जिसका निर्यात मूल्य 4,581.7 करोड़ रुपये है, जिसमें 11,39,944 मीट्रिक टन चावल, 7,685 मीट्रिक टन प्याज, 11,858 मीट्रिक टन चीनी, 1025 मीट्रिक टन गेहूं, 2,500 मीट्रिक टन मक्का और 24.5 मीट्रिक टन जीरे का निर्यात शामिल है।

प्रमाणित बीजों के लिए नई राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी समिति

बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत, एकल ब्रांड नाम के तहत उन्नत बीजों की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए एक छतरी संगठन के रूप में एक नई भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) की स्थापना की गई है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहकारी समितियां (प्राथमिक, जिला और राज्य स्तर) इसकी सदस्य बन सकती हैं। ये बीबीएसएसएल  किसानों को उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाएगी, फसलों की उत्पादकता को बढ़ाएगी और किसानों की आय में वृद्धि करेगी।

 • बीबीएसएसएल ने अब तक रबी सीजन (2023-24) के दौरान 960 एकड़ भूमि पर गेहूं, सरसों और दलहन (चना, मटर) के प्रजनक बीज बोए गए हैं। इसी तरह, खरीफ सीजन के दौरान धान, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, ज्वार और ग्वार के प्रजनक बीज 148.26 हेक्टेयर भूमि पर बोए गए हैं। वर्तमान समय तक 14,816 पीएसीएस/सहकारी समितियां बीबीएसएसएल की सदस्य बन चुकी हैं।

जैविक खेती के लिए नई राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्यीय सहकारी समिति

राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) की स्थापना बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत एक छतरी संगठन के रूप में की गई है, जो प्रमाणित और प्रामाणिक जैविक उत्पादों के उत्पादन, वितरण और विपणन के लिए काम करेगा। प्राथमिक से लेकर राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियां, जिसमें जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर के फेडरेशन, बहु-राज्यीय सहकारी समितियां और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) शामिल हैं, इसके सदस्य बन सकते हैं। इससे जैविक उत्पादों का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों का लाभ बढ़ेगा।

आज की तारीख तक, 4,757 पीएसीएस/सहकारी समितियां एनसीओएल की सदस्य बन चुकी हैं। एनसीओएल ने भारत ऑर्गेनिक्स ब्रांडके तहत 13 उत्पाद लॉन्च किए हैं : अरहर दाल, चना दाल, मूंग दाल धुली, मूंग दाल छिलका, मूंग दाल स्प्लिट, मसूर साबुत, मसूर मलका, उड़द, उड़द स्प्लिट, राजमा चित्रा, काबुली चना, भूरा चना और गेहूं का आटा।

(सी) सहकारी समितियों के लिए आयकर कानून में राहत

15. सहकारी समितियों के लिए आयकर पर अधिभार में कमी

केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र और कंपनियों के बीच समानता लाने के उद्देश्य से अथक प्रयास किए हैं। 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक की आय वाली सहकारी समितियों के लिए आयकर पर अधिभार को कंपनियों के समान 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे सहकारी समितियों पर आयकर का बोझ कम होगा और सदस्यों के लाभ के लिए समितियों के पास अधिक पूंजी उपलब्ध होगी।

16. सहकारी समितियों पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) में कमी

सहकारी समितियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है। इस प्रावधान के होने जाने से अब सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच इस संबंध में समानता आ गई है। इससे सहकारी समितियां मजबूत होंगी और सहकारी क्षेत्र का विस्तार होगा।

17. पीएसीएस और पीसीएआरडीबी द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा में वृद्धि

पीएसीएस और प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (पीसीएआरडीबी) द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा 20,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति सदस्य कर दी गई है। इस प्रावधान से उनकी गतिविधियों में सुगमता आएगी, उनका कारोबार बढ़ेगा और समितियों के सदस्यों को लाभ होगा।

18. नई विनिर्माण सहकारी समितियों के लिए कर में कटौती

31 मार्च, 2024 तक विनिर्माण कार्य शुरू करने वाली नई विनिर्माण सहकारी समितियों पर अधिभार सहित 30 प्रतिशत तक की मौजूदा कर दर के मुकाबले 15 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाया जाएगा। इस प्रावधान से अब सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच इस संबंध में समानता होगी। इससे विनिर्माण क्षेत्र में नई सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहन मिलेगा।

19. नकद निकासी में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा में वृद्धि

केंद्र सरकार ने बजट 2023-24 के जरिए सहकारी समितियों की स्रोत पर कर कटौती के बिना नकद निकासी की सीमा 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कर दी है। इस प्रावधान से सहकारी समितियों के स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की बचत होगी, जिसका उपयोग वे अपने सदस्यों के लाभ के लिए कर सकेंगी।

20. आयकर अधिनियम की धारा 269एसटी के तहत नकद लेनदेन में राहत

आयकर विभाग ने एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि अब सहकारी समितियों द्वारा अपने वितरकों के साथ किए गए 'अनुबंध' को 'वन इवेंट' नहीं माना जाएगा। इस स्पष्टीकरण के साथ, सहकारी समिति द्वारा अपने वितरक के साथ एक दिन में किए गए 2 लाख से कम के नकद लेनदेन को अलग से माना जाएगा और उन पर आयकर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। इससे राज्य और जिला दुग्ध संघ एक दिन में अब 2 लाख रुपये से कम का भुगतान नकद में अपने वितरकों से प्राप्त कर सकेंगे और बैंक अवकाश के दौरान सदस्य दूध उत्पादकों को नकद में भुगतान कर सकेंगे।

(डी)   सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय का सुदृढ़ीकरण

21.    केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण

      • केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय बहु-राज्य सहकारी समितियां (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है। बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिए एक डिजिटल इकोसिस्‍टम सृजन केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय को कम्प्यूटरीकृत किया गया है। इससे केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय में इलेक्ट्रॉनिक प्रवाह के माध्यम से समयबद्ध तरीके से आवेदनों और सेवा अनुरोधों को संसाधित करने में मदद मिलेगी।

बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) अधिनियम, 2023

      • बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) अधिनियम, 2023 का उद्देश्य बहु-राज्य सहकारी समितियां अधिनियम, 2002 में संशोधन करना है जिससे 97वें संवैधानिक संशोधन के प्रावधानों को शामिल किया जा सके और बहु-राज्य सहकारी समितियों में शासन को मजबूती, पारदर्शिता, जवाबदेही, चुनाव प्रक्रिया में सुधार किया जा सके आदि।

(ई)    सहकारी चीनी मिलों का पुनरुद्धार

22.    सहकारी चीनी मिलों को आयकर से राहत

      • सहकारी चीनी मिलों को उचित एवं लाभकारी मूल्य अथवा राज्य परामर्शित मूल्य तक किसानों को उच्च गन्ना मूल्य के भुगतान पर अतिरिक्त आयकर नहीं देना पड़ेगा। इस प्रावधान से सहकारी चीनी मिलें अब अपने सदस्यों को गन्ने का मूल्य दे सकेंगी तथा उन्हें इस व्यय पर आयकर में छूट मिलेगी।

      • दिनांक 25 अक्‍टूबर, 2021 को जारी स्पष्टीकरण के अनुसार यह प्रावधान 01 अप्रैल, 2016 से लागू है। सहकारी चीनी मिलों के माध्यम से किसान सदस्यों को यह लाभ तब से मिल रहा है।

23.    सहकारी चीनी मिलों के आयकर से संबंधित दशकों पुराने लंबित मुद्दों का समाधान

      • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के अथक प्रयासों से, केंद्रीय बजट वर्ष 2023-24 के माध्यम से प्रावधान किया गया है कि कर निर्धारण वर्ष 2016-17 से पहले सहकारी चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को किए गए भुगतान को व्यय के रूप में दावा करने की अनुमति दी जाएगी।

      • राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार इससे सहकारी चीनी मिलों को 46,524 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है, जिससे दशकों से लंबित आयकर संबंधी मुद्दों का समाधान हुआ है।

24.    सहकारी चीनी मिलों के सुदृढ़ीकरण के लिए राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये की ऋण योजना

      • सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी चीनी मिलों के सुदृढ़ीकरण के लिए राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम को अनुदान सहायता नामक एक नई योजना शुरू की है, जिसके अन्‍तर्गत भारत सरकार राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम को 500 करोड़ रुपये की दो किस्तों में 1,000 करोड़ रुपये का अनुदान दे रही है।

      • 500 करोड़ रुपये की पहली किस्त वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान प्राप्त हुई और 500 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान प्राप्त होने की संभावना है।

      • राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम इस अनुदान का उपयोग सहकारी चीनी मिलों को 10,000 करोड़ रुपये तक के ऋण प्रदान करने के लिए करेगा, जिसका उपयोग वे इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने या सह-उत्पादन संयंत्र स्थापित करने या कार्यशील पूंजी के लिए या तीनों उद्देश्यों के लिए कर सकेंगे। राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा 58 सहकारी चीनी मिलों के लिए 8040.38 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

25.    सहकारी चीनी मिलों को इथेनॉल की खरीद में वरीयता और सह-उत्पादन बिजली संयंत्रों की स्थापना

      • इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के अन्‍तर्गत पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा सहकारी चीनी मिलों को इथेनॉल खरीद के लिए निजी कंपनियों के बराबर रखा जाएगा।

      • गन्ने की खोई से सह-उत्पादन बिजली संयंत्रों की स्थापना का कार्य भी प्रगति पर है। इन कदमों से सहकारी चीनी मिलों का कारोबार बढ़ेगा और परिणामस्वरूप उनका मुनाफा भी बढ़ेगा।

26.    सहकारी चीनी मिलों की मदद के लिए गुड़ पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया

      • सरकार ने गुड़ पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला किया है। इससे डिस्टिलरी की तरलता बढ़ेगी क्योंकि गुड़ उनके संचालन के लिए कच्चा माल है।

(एफ)  सहकारी बैंकों के समक्ष आ रही कठिनाइयों का निवारण

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व तथा गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के अथक प्रयासों से सहकारी बैंकों के व्यवसाय में आ रही कठिनाइयों के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।

27.    शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) अब अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए नई शाखाएं खोल सकेंगे।

28.    सहकारी बैंक भी वाणिज्यिक बैंकों की तरह बकाया ऋणों का एकमुश्त निपटान कर सकेंगे।

29.    शहरी सहकारी बैंकों को दिए गए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त समय सीमा दी गई है।

30.    शहरी सहकारी बैंकों के साथ नियमित संपर्क के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

31.    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शहरी सहकारी बैंकों को अपने ग्राहकों को घर-द्वार बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी है।

32.    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों के लिए व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा को दोगुना से अधिक कर दिया है।

33.    ग्रामीण सहकारी बैंक अब वाणिज्यिक रियल एस्टेट-आवासीय आवास क्षेत्र को ऋण दे सकेंगे, जिससे उनके व्यवसाय में विविधता आएगी।

34.    सहकारी बैंकों को सीजीटीएमएसई के सदस्य ऋण देने वाले संस्थानों (एमएलआई) के रूप में शामिल किया गया है। इससे अब सदस्य सहकारी बैंक दिए गए ऋणों पर 85 प्रतिशत तक जोखिम कवरेज का लाभ उठा सकेंगे। इसके साथ ही सहकारी क्षेत्र के उद्यम अब सहकारी बैंकों से बिना किसी गारंटी के ऋण भी प्राप्त कर सकेंगे।

35.    सहकारी बैंकों को आधुनिक 'आधार सक्षम भुगतान प्रणाली' (एईपीएस) से जोड़ने के लिए लाइसेंस शुल्क को लेनदेन की संख्या से जोड़कर कम कर दिया गया है। इसके अलावा सहकारी वित्तीय संस्थानों को भी प्री-प्रोडक्शन चरण के पहले तीन महीनों के लिए यह सुविधा निःशुल्क मिल सकेगी। इससे अब किसानों को अपने घर पर ही अपनी उंगलियों के निशान से बैंकिंग की सुविधा मिल सकेगी।

36.    शहरी सहकारी बैंकों के लिए समय-निर्धारण मानदंडों की अधिसूचना सरकार द्वारा प्रकाशित की जा रही है

      • शहरी सहकारी बैंक जो 'वित्तीय रूप से सुदृढ़ और सुप्रबंधित' (एफएसडब्‍ल्‍यूएम) मानदंडों को पूरा करते हैं और पिछले दो वर्षों से टियर 3 के रूप में वर्गीकरण के लिए आवश्यक न्यूनतम जमाराशि बनाए रखते हैं, अब भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की अनुसूची II में शामिल होने और 'अनुसूचित' दर्जा प्राप्त करने के पात्र हैं। वर्तमान में, टियर 3 और टियर 4 के रूप में वर्गीकृत 84 बैंक हैं।

37    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्यों को पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंकों के लिए बुलेट पुनर्भुगतान योजना के अन्‍तर्गत गोल्ड लोन के लिए मौद्रिक सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 4 लाख कर दिया है।

38.    शहरी सहकारी बैंकों के लिए छतरी संगठन

        • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) के राष्ट्रीय महासंघ को यूसीबी क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त और विकास निगम लिमिटेड (एनयूसीएफडीसी) नामक एक छतरी संगठन (यूओ) के गठन के लिए मंजूरी दे दी है, जो लगभग 1,500 यूसीबी को आवश्यक आईटी अवसंरचना और संचालन सहायता प्रदान करेगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पत्र 08 फरवरी, 2024 के माध्यम से अम्ब्रेला संगठन को पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) जारी किया है, जिससे संगठन को सर्वसम्मति नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज के रूप में व्यवसाय करने की अनुमति मिल गई है।

(जी) राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम का विस्तार

39. राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा सहकारी समितियों के लिए नई योजनाएं शुरू की गईं

राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम  द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों के लिए नई योजनाएं शुरू की गई हैं, जैसे स्वयं सहायता समूहों के लिए 'स्वयंशक्ति सहकार'; दीर्घकालिक कृषि ऋण के लिए 'दीर्घावधि कृषक सहकार'; डेयरी के लिए 'डेयरी सहकार' और महिला सहकारी संस्थाओं के लिए 'नंदिनी सहकार' आदि।

      • वित्तीय वर्ष 2023-24 में, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने कुल 60,618.47 करोड़ रुपये की राशि वितरित की और वित्तीय सहायता के वितरण में 48 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्‍त की है। अगले तीन वर्षों में लगभग 1,00,000 करोड़ रुपये का ऋण वितरित करने का लक्ष्य है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा अब तक 65,345.78 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

      • सभी राज्य और राज्य सहकारी समितियां राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की ऋण योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं। भारत सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम को निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के पालन के अधीन सरकारी गारंटी के साथ 2000 करोड़ रुपये मूल्य के बांड जारी करने की अनुमति दी है। अब राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए अपेक्षाकृत कम दरों पर अतिरिक्त 2000 करोड़ रुपये दीर्घकालिक ऋण वितरित करने में सक्षम होगी।

40.   गहरे समुद्र के ट्रॉलरों के लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा वित्तीय सहायता

      • राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने गहरे समुद्र के ट्रॉलरों के वित्तपोषण का कार्य अपने हाथ में लिया है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम  द्वारा विभिन्न वित्तीय सहायताएं स्वीकृत की गई हैं जैसे; महाराष्ट्र में 20.30 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत पर 14 गहरे समुद्र के ट्रॉलर खरीदने के लिए 11.55 करोड़ रुपये, राजमाता विकास मच्छीमार सहकारी संस्था लिमिटेड, मुंबई को 46.74 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत पर समुद्री खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए 37.39 करोड़ रुपये, केरल सरकार की एकीकृत मत्स्य विकास परियोजना (आईएफडीपी) के लिए 32.69 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने श्री महावीर मच्छीमार सहकारी मंडली लिमिटेड, गुजरात के 30 गहरे समुद्री ट्रॉलर खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसकी ब्लॉक लागत 36.00 करोड़ रुपये है।

(एच)  सहकारी समितियों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर 'खरीदार' के रूप में शामिल करना

41.   केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जून, 2022 को सहकारी समितियों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर 'खरीदार' के रूप में पंजीकृत करने की मंजूरी दे दी है। सहकारी समितियां अब सरकारी ई-मार्केटप्लेस के एकल मंच पर देश भर में उपलब्ध लगभग 67 लाख प्रामाणिक विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं से खरीद कर सकेंगी। अब तक, 667 सहकारी समितियों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर खरीदार के रूप में शामिल किया गया है।

      • इसके अलावा, सहकारी समितियों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस पर विक्रेता के रूप में पंजीकरण करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। अब तक इन सहकारी समितियों द्वारा 2,406 लेनदेन हुए हैं, जिनकी राशि 273.62 करोड़ रुपये है।

(आई) नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति और नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस

42.   नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का निर्माण

      • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सहकारिता से समृद्धिके विजन को साकार करने के लिए गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने देश में नई सहकारिता नीति बनाने का निर्णय लिया है। नई सहकारिता नीति तैयार करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में विभिन्न राज्यों और देश भर के विशेषज्ञों और हितधारकों की 48 सदस्यों वाली एक बहु-विषयक और राष्ट्रीय स्तर की समिति गठित की गई है। अब तक विशेषज्ञ समिति की 17 बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा की गई और नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द ही तैयार होने की उम्मीद है।

43.   नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस

      • केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह का मानना ​​है कि किसी भी सहकारी क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए डेटाबेस आवश्यक है। इसलिए सहकारिता मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से चरणबद्ध तरीके से एक व्यापक, प्रामाणिक और अद्यतन राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस विकसित करने का कार्य किया जा रहा है।

      • प्रथम चरण के अंतर्गत पैक्स, डेयरी एवं मत्स्यपालन की लगभग 2.64 लाख समितियों की मैपिंग पूरी की गई। दूसरे चरण में राष्ट्रीय सहकारी समितियों एवं संघों की मैपिंग पूरी की गई। अब तक अंतिम चरण में 5.38 लाख सहकारी समितियों का डाटा डाटाबेस में शामिल किया जा चुका है। इस प्रकार कुल 8.19 लाख सहकारी समितियों का डाटा एनसीडी पोर्टल पर मैप किया जा चुका है।

(जे)   सहकारी क्षेत्र में शिक्षा एवं प्रशिक्षण

44.   सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना

केन्द्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह का मानना ​​है कि सहकारी क्षेत्र का सुनियोजित विकास एवं सशक्तीकरण प्रशिक्षित जनशक्ति से ही संभव है, जिसके लिए सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान एवं विकास के लिए राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना बनाई जा रही है।

यह विश्वविद्यालय प्रशिक्षित जनशक्ति की सतत, पर्याप्त एवं गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करेगा तथा विद्यमान कर्मियों के क्षमता निर्माण के लिए कार्य करेगा। यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में अपनी तरह का पहला विशिष्ट विश्वविद्यालय होगा।

45.   राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद के माध्यम से प्रशिक्षण एवं जागरूकता को बढ़ावा देना

      • सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) ने वर्ष 2023-24 में 1740 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लक्ष्य के मुकाबले 3619 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान परिषद ने लगभग 2,21,478 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया, जो निर्धारित लक्ष्य 43,500 प्रतिभागियों से पांच गुना अधिक है।

      • अप्रैल से नवंबर 2024 तक कुल 2,694 कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और 2,14,742 प्रतिभागियों को राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।

(के) अन्य पहल

46. कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) का कम्प्यूटरीकरण

      • दीर्घकालिक सहकारी ऋण ढांचे को मजबूत करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय ने कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) की 1,851 इकाइयों के कम्प्यूटरीकरण के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी है। इसमें हार्डवेयर खरीद, व्यापक उद्यम संसाधन नियोजन (ईआरपी) समाधान, डिजिटलीकरण, प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करना तथा सॉफ्टवेयर का रखरखाव आदि जैसे विभिन्न घटक शामिल होंगे। इस योजना में होने वाले व्यय का 25 प्रतिशत कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों द्वारा तथा शेष 75 प्रतिशत केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाएगा।

      • राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालय के कम्प्यूटरीकरण की योजना

      • सहकारी समितियों के लिए व्यापार करने में आसानी बढ़ाने और सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में पारदर्शी कागज रहित विनियमन के लिए एक डिजिटल इकोसिस्‍टम बनाने के लिए, सहकारिता मंत्रालय ने सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी है। अब तक, 35 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों ने मंत्रालय को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया है और हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए पहली किस्त में 35 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को 15.20 करोड़ रुपये (लगभग) वितरित किए गए हैं।

47.   श्वेत क्रांति 2.0

      • भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी समितियों के माध्यम से रोजगार, महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने और दूध उत्पादन में सुधार लाने के उद्देश्य से श्वेत क्रांति 2.0की एक नई पहल शुरू की है।

      • इस पहल का मुख्य उद्देश्य डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद में 50 प्रतिशत की वृद्धि करना, उन क्षेत्रों में डेयरी किसानों को बाजार तक पहुँच प्रदान करना है जो अभी तक संगठित डेयरी क्षेत्र द्वारा कवर नहीं किए गए हैं और संगठित डेयरी क्षेत्र में डेयरी सहकारी समितियों की हिस्सेदारी को बढ़ावा देना है।

48.   आत्मनिर्भरता अभियान

      • सहकारिता मंत्रालय ने आयात पर निर्भरता कम करने के लिए दालों (अरहर, मसूर और उड़द) के उत्पादन को प्रोत्साहित करने और इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इथेनॉल के उत्पादन के लिए मक्का के उत्पादन को प्रोत्साहित करने की पहल शुरू की है। राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) इस पहल अंतर्गत केंद्रीय नोडल एजेंसियां ​​हैं, और उन्होंने सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों के पंजीकरण के लिए क्रमशः ई-सम्‍युक्ति (एनसीसीएफ) और ई-समृद्धि (नेफेड) पोर्टल विकसित किए हैं।

      • अरहर, उड़द और मसूर दालों के पूर्व-पंजीकृत किसानों के लिए, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 100 प्रतिशत उपज खरीदने की गारंटी दी है। हालांकि, अगर बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है, तो किसान अधिक लाभ के लिए खुले बाजार में अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र हैं।

      • इसी तरह, दोनों एजेंसियां ​​तीनों मौसमों - खरीफ, जायद और रबी के दौरान पूर्व-पंजीकृत किसानों से मक्का की 100 प्रतिशत खरीद की गारंटी देती हैं, जिससे इथेनॉल डिस्टिलरी को मक्का की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है और साथ ही किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है। आज तक, एनसीसीएफ के Esamyukti.in पोर्टल पर 15,38,704 किसान और नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल पर 23,91,210 किसान पहले ही पंजीकरण करा चुके हैं।

49. सहारा समूह की समितियों के निवेशकों को धन वापसी

      • सहकारिता मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की और सहकारिता मंत्रालय की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 29 मार्च, 2023 के आदेश के अंतर्गत सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों (सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड) के जमाकर्ताओं के वैध बकाये के वितरण के लिए सहारा-सेबी रिफंड खाते से 5000 करोड़ रुपये केंद्रीय सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया।

      • केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 18 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में केंद्रीय रजिस्ट्रार-सहारा रिफंड पोर्टल’ (https://mocrefund.crcs.gov.in) का शुभारंभ किया।

      • जमाकर्ताओं को प्रथम चरण के भुगतान की प्रक्रिया 04 अगस्त, 2023 से शुरू हो गई है। 18 दिसम्‍बर, 2024 तक सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टलपर लगभग 1.28 करोड़ आवेदन (88,924 करोड़ रुपये की राशि के साथ 3.64 करोड़ दावे) प्राप्त हुए हैं। सहारा समूह की सहकारी समितियों के 9,42,364 जमाकर्ताओं को लगभग 1496.28 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

कार्यान्वयन रणनीति

1. मंत्रालय की पहलों के सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री द्वारा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखे गए हैं। समय-समय पर सचिव (सहकारिता) द्वारा भी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए मुख्य सचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखे गए हैं।

2. राष्ट्रीय स्तर पर, सचिव (सहकारिता) की अध्यक्षता में संबंधित विभागों, एजेंसियों और राज्य सरकारों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं। अब तक सभी राज्यों के साथ 22 समीक्षा बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।

3. राज्य स्तर पर, संबंधित मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव (सहकारिता), रजिस्ट्रार सहकारी समितियां (आरसीएस), नाबार्ड/राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम  आदि के प्रतिनिधियों और संबंधित विभागों के प्रमुखों के साथ राज्य सहकारी विकास समितियां (एससीडीसी) गठित की गई हैं। अब तक, राज्य सहकारी विकास समितियों की 52 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।

4. जिला स्तर पर जिला सहकारी विकास समितियां (डीसीडीसी) का गठन संबंधित जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला रजिस्ट्रार सहकारी समितियां (डीआरसीएस) और संबंधित विभागों के प्रमुखों के साथ किया गया है। अब तक जिला सहकारी विकास समितियों की 1,616 बैठकें हो चुकी हैं।

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एमजी/आरपीएम/केसी/आईएम/एचएन/केएस/एमबी   


(Release ID: 2091016)
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