लोकसभा सचिवालय
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए विशेषकर ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों की महिलाओं का समावेशन और सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है: लोकसभाध्यक्ष
नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिलाओं के नेतृत्व के प्रति भारत के प्रगतिशील दृष्टिकोण का प्रमाण है: लोकसभाध्यक्ष
भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष ने वनों एवं भूमि के संरक्षण से परे जाकर, जनजातीय समुदायों की गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा की: लोकसभाध्यक्ष
लोकसभाध्यक्ष ने पंचायती राज की महिला प्रतिनिधियों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों को और अधिक जनोन्मुखी बनाने हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग और नवाचार को अपनाने का आग्रह किया
लोकसभाध्यक्ष ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास में योगदान देने हेतु महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने के लिए और अधिक समर्थन देने का आह्वान किया
लोकसभाध्यक्ष ने संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में “पंचायत से संसद 2.0" कार्यक्रम में 22 राज्यों की 500 से अधिक महिला पंचायती राज प्रतिनिधियों को संबोधित किया
Posted On:
06 JAN 2025 6:17PM by PIB Delhi
नई दिल्ली; 6 जनवरी, 2025: लोकसभाध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए विशेष रूप से ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों की महिलाओं का समावेशन और सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण ग्रामीण समस्याओं का समाधान करने में महिलाओं के नेतृत्व का लाभ उठाने के महत्व पर जोर देते हुए, श्री बिड़ला ने जनजातीय महिलाओं की उद्यमशीलता की भावना की प्रशंसा की जो पारंपरिक शिल्प, ऑनलाइन व्यवसायों और स्थानीय उत्पादन से संबंधित पहलों के माध्यम से आत्मनिर्भर गांवों का निर्माण कर रही हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक समर्थन का आह्वान किया कि महिलाओं के नेतृत्व वाले ये उद्यम वैश्विक बाजारों तक पहुंचें और भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास में योगदान दें।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए, श्री बिड़ला ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को महिलाओं के नेतृत्व के प्रति भारत की प्रगतिशील दृष्टिकोण के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया।
श्री बिरला संविधान सदन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय महिला आयोग तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से लोकसभा सचिवालय के पार्लियामेंट्री रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट फॉर डेमोक्रेसीज (प्राइड) द्वारा आयोजित ‘पंचायत से संसद 2.0’ कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम; केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी; महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती सवित्री ठाकुर; सांसदगण; लोकसभा के महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर शामिल थीं।
इस आयोजन, जिसमें 22 राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों के पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की 500 से अधिक जनजातीय महिला प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई, ने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के एक मंच के रूप में कार्य किया। भारत की लोकतांत्रिक और विकासात्मक यात्रा में महिलाओं के अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए, श्री बिड़ला ने संविधान सभा की उन 15 महिला सदस्यों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके योगदान भारत में महिला सशक्तिकरण से संबंधित आंदोलन को प्रेरित करते हैं।
आजादी के 75 वर्षों में भारत की यात्रा की चर्चा करते हुए, लोकसभाध्यक्ष ने पंचायती राज प्रतिनिधियों से झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और जनजातीय नेता भगवान बिरसा मुंडा जैसी हस्तियों के बलिदान से प्रेरणा लेने का आह्वान किया, जो दृढ़ता और समानता के प्रतीक हैं। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष वनों और भूमि के संरक्षण से परे था, जिसका लक्ष्य जनजातीय समुदायों की गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा करना था। उन्होंने प्रतिभागियों से भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और विरासत से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
यह बताते हुए कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत के पास शासन में महिलाओं की भागीदारी की विरासत है जो दुनिया को निरंतर प्रेरित करती रहती है, श्री बिरला ने कहा कि जमीनी स्तर पर पंचायतों से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संसद तक बदलाव लाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और समावेशी विकास का मॉडल विकसित करने में महिलाओं का नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति की सराहना की। कई राज्यों ने महिलाओं के लिए अनिवार्य 33 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार कर लिया है, जो कुछ मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक तक पहुंच गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये उपाय प्रतीकात्मक नहीं हैं बल्कि टिकाऊ और समावेशी शासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं ।
महिलाओं द्वारा केवल भाग लेने के बजाय नेतृत्व करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, श्री बिड़ला ने 2025 को महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से एक ऐतिहासिक वर्ष बनाने का आग्रह किया। उन्होंने इस वर्ष को नए संकल्पों का एक ऐसा वर्ष बनाने का आह्वान किया, जिसमें महिलाएं आत्मनिर्भर बनें तथा सामाजिक रूप से समतापूर्ण व आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र को संचालित करें और अपने सपनों को देश की नियति में बदलें। श्री बिड़ला ने महिला प्रतिनिधियों से महिला नेतृत्व वाले विकास और ग्रामीण आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने हेतु आपस में प्रतिस्पर्धा करने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे अपने निर्वाचन क्षेत्रों को अधिक जनोन्मुखी बनाने हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग और नवाचार को अपनाने का भी आग्रह किया। इस अवसर पर, श्री बिड़ला ने संसद भाषिणी के माध्यम से महिला प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। संसद भाषिणी एक एआई उपकरण है, जिसका उपयोग छह भारतीय भाषाओं - गुजराती, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु और मलयालम - में भाषणों का अनुवाद करने के लिए किया जाता है।
श्री बिड़ला ने बेहतर और अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील नेतृत्व का हवाला देते हुए पंचायत स्तर पर प्रतिनिधि संस्थानों का नेतृत्व करने वाली महिलाओं के सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला, जो सामुदायिक चिंताओं का प्रभावी ढंग से समाधान करता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक कठिनाइयों के साथ महिलाओं के व्यक्तिगत अनुभव उन्हें स्थानीय चुनौतियों के लिए अधिक ठोस समाधान विकसित करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने इसका श्रेय उनके जन्मजात समस्या-समाधान कौशल को दिया, जो समस्याओं की गहरी समझ और रणनीतिक दृष्टिकोण तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए, श्री बिड़ला ने कहा कि उनकी बढ़ती भागीदारी से लोगों के जीवन में अधिक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन आएगा।
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, लोकसभा के महासचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर ने भी प्रतिनिधियों को संबोधित किया। लोकसभा सचिवालय के संयुक्त सचिव श्री गौरव गोयल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों के लिए संवादात्मक कार्यशालाएं एवं सत्र आयोजित किए गए जिनका संचालन विशेषज्ञों और संसद सदस्यों द्वारा किया गया। ये सत्र (i) पेसा अधिनियम के 73वें संशोधन पर विशेष जोर देने के साथ महिलाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधान; (ii) जनजातीय समस्याओं के समाधान के लिए केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाएं व कार्यक्रम जैसे विषयों पर केन्द्रित रहे।
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एमजी/केसी/आर
(Release ID: 2090789)
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