विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
इसरो का स्पेडेक्स मिशन: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा - अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी ने भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी देशों के बीच लाकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत के लिए एक बड़ी छलांग लगाई
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ‘स्पेस-बायोलॉजी’ में अग्रणी राष्ट्र होगा”
अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले दशक में लगभग 5 गुना बढ़कर 8.4 अरब डॉलर से लगभग 44 अरब डॉलर हो जाएगी - अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. सिंह
Posted On:
31 DEC 2024 8:07PM by PIB Delhi
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि इसरो का अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पेडेक्स) देश के लिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि है, जिसने भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी में भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी देशों के बीच लाकर उनके समकक्ष खड़ा कर दिया है। 30 दिसंबर, 2024 को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 के सफल प्रक्षेपण के बाद आज नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए इस मिशन को एक मील का पत्थर बताया।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि स्पेडेक्स मिशन इसरो की एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष यान समागम, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास एवं प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि ये क्षमताएं भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें उपग्रह सेवा, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और अंतर ग्रहीय अन्वेषण शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्पेडेक्स के प्राथमिक उद्देश्यों में अंतरिक्ष यान के विलय और डॉकिंग के लिए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, लक्षित अंतरिक्ष यान के जीवन को बढ़ाने के लिए डॉक की गई स्थितियों में नियंत्रण क्षमता का प्रदर्शन तथा डॉक किए गए उपग्रहों के बीच शक्ति हस्तांतरण का परीक्षण करना शामिल है।
इस मिशन में डॉकिंग के बाद की गतिविधियां भी शामिल हैं, जिसमें अंतरिक्ष यान स्वतंत्र माध्यम से पेलोड संचालन करेगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह के अनुसार, डॉकिंग 7 जनवरी, 2025 को दोपहर के समय होने की उम्मीद है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अंतरिक्ष में जीव विज्ञान के अनुप्रयोग का पता लगाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के बीच महत्वपूर्ण सहयोग का उल्लेख किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरिक्ष के वातावरण में शारीरिक परिवर्तनों पर अध्ययन करके 'स्पेस-बायोलॉजी' में अग्रणी होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आए बड़े परिवर्तन पर अपने विचार रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस क्षेत्र को “गोपनीयता के पर्दे” से मुक्त करने का श्रेय दिया, जिसने दशकों तक संसाधनों व नवाचार को सीमित कर रखा था। उन्होंने 2023 की नई अंतरिक्ष नीति की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया, जिसने पहली बार इसरो की गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति दी।
इस नीति के कारण अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में उछाल आया है, जो 2021 में एकल अंक की संख्या से बढ़कर 2023 में लगभग 300 हो गई। उल्लेखनीय स्टार्टअप्स में अग्निकुल कॉसमॉस शामिल है, जिसने इसरो परिसर में एक निजी लॉन्च पैड स्थापित किया और स्काई रूट भी है जिसने भारत का पहला निजी उप-कक्षीय प्रक्षेपण किया। डॉ. सिंह ने कहा कि ये स्टार्टअप इसरो के बुनियादी ढांचे को सशक्त बना रहे हैं और स्पेसएक्स जैसी वैश्विक कंपनियों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का योगदान साल 2023 में 8.4 अरब डॉलर का था और इसके वर्ष 2033 तक 44 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। अकेले साल 2023 में इस क्षेत्र में निवेश 1000 करोड़ रुपए तक पहुंच पहुंच गया, जिससे भारत अंतरिक्ष क्षमताओं में वैश्विक स्तर पर अग्रणी राष्ट्र बन गया है।
डॉ. सिंह ने एक महत्वाकांक्षी समय-सीमा की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसके अनुसार जनवरी 2025 में: नाविक में प्रगति और फरवरी में मोबाइल संचार के लिए एक अमरीकी उपग्रह का प्रक्षेपण होगा। 2025: व्योममित्र नामक महिला रोबोट गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री जैसे कार्य करेगी। 2026: पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन शुरू होगा। 2035: भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन, भारत अंतरिक्ष केंद्र बनेगा। 2047: चंद्रमा पर पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री उतरेगा।
डॉ. सिंह ने 2024 में आदित्य एल 1 सौर मिशन और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए उपग्रहों के प्रक्षेपण जैसी उपलब्धियों का भी उल्लेख किया।
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जक के रूप में उभरा है। विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से अर्जित 220 मिलियन यूरो में से 187 मिलियन यूरो - यानी कि कुल राशि का 85% - पिछले आठ वर्षों में अर्जित किया गया। इसरो की सेवाओं से लाभान्वित होने वाले देशों में अमेरिका, फ्रांस, जापान आदि शामिल हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कृषि, रक्षा, जल संसाधन प्रबंधन, स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढांचे के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के विविध अनुप्रयोगों पर जोर दिया। मौसम पूर्वानुमान के लिए मिशन मौसम जैसी पहल भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं के लाभ को प्रदर्शित करती है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन के समापन में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रति आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतरिक्ष एवं विज्ञान क्षमताएं अपने चरम पर हैं। डॉ सिंह ने कहा कि आने वाले कई साल वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की अद्वितीय उपलब्धियों और योगदानों के साक्षी बनेंगे।
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